ओपिनियन पोस्‍ट।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो 3 जनवरी को चंद्रयान-2 लॉन्च करेगा। यह 16 फरवरी को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक तय स्थान पर उतर जाएगा। इसके अलावा भारत 2022 में अंतरिक्ष में मानव मिशन गगनयान भी भेजेगा। इसके जरिये तीन अंतरिक्ष यात्री 350 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष यान में बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाएंगे। इस दौरान वे बेहद कम गुरुत्वाकर्षण से जुड़े प्रयोग करेंगे।

गगनयान मानव मिशन में भारत कामयाब होता है तो दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही अंतरिक्ष में अपना मानवयुक्त यान भेज पाए हैं। अमेरिकी स्पेस मिशन के तहत राकेश शर्मा 2  अप्रैल 1984  को अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले भारत के पहले और दुनिया के 138वें अंतरिक्ष यात्री बने थे। वह 7 दिन 21 घंटे 40 मिनट अंतरिक्ष में रहे थे।

Gaganyan

गगनयान से भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को करीब तीन साल प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए इनका चयन भी जल्द होगा। इसमें एयरफोर्स के पायलटों को प्राथमिकता दी जाएगी। अंतरिक्ष में पांच-सात दिन रहने के बाद अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटेंगे।

यान को तय कक्षा में पहुंचने में 16 मिनट और धरती पर वापस आने में 36 मिनट लगेंगे। गगनयान पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय मानव मिशन की तुलना में काफी कम होगा।

बीते दो साल में संसद में पूछे गए सवालों के जवाब में सरकार ने कई बार कहा कि अंतरिक्ष में इंसान भेजने की कोई योजना नहीं है, लेकिन पिछले दिनों स्वतंत्रता दिवस पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन की घोषणा की तो इसरो ने अपनी तैयारियों का खुलासा कर दिया।

इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया कि गगनयान मिशन के तहत अगले तीन साल में 15 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, जिनमें से करीब 900 लोगों को सीधे इसरो में नौकरी मिलेगी। चंद्रयान-2 का वजन 600 किलोग्राम बढ़ाया गया है।

मिशन की जिम्मेदारी 56 साल की वैज्ञानिक डॉ. वीआर ललितांबिका को सौंपी गई है। यात्रियों का चयन इसरो और एयरफोर्स मिलकर करेंगे। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि इसमें कितने महिला या पुरुष होंगे और किस क्षेत्र विशेष के होंगे।

अब यह उपग्रह समेत 38 क्विंटल से कुछ ज्यादा होगा। भार बढ़ने की वजह से अब इसे जीएसएलवी से लॉन्च नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए जीएसएलवी-मैक-3 में बदलाव किया गया है। यह जीएसएलवी-मैक-3-एम1 कहलाएगा। इसरो की मार्च 2019 से पहले तक 19 मिशन लॉन्च करने की योजना है।

चंद्रयान-2 को पहले इसी साल अक्टूबर में लॉन्च करने की योजना थी। यह दुनिया का पहला मिशन होगा,  जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक पहुंचेगा। इसरो अगले साल के मध्य तक एसएसएलवी नाम से एक नया प्रक्षेपण यान बना लेगा, जिसे छह लोगों की मदद से सिर्फ तीन दिन में असेंबल किया जा सकेगा। अभी जीएसएलवी और पीएसएलवी को असेंबल करने में 600 लोग और 60 दिन लगते हैं।