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जिन्दगी हाशिये पर- नारियल-पानी बेचकर पलती जिन्दगी

सत्यदेव त्रिपाठी। मुम्बई का जुहू-तट, जहां संसार की सारी निधियां-समृद्धियां पटी पड़ीं। स्वर्गिक-सुख जीते-भोगते लोग और जहां एक घंटा बिताने…