आतंकवादियों को पनाह देने पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के पाकिस्तान को लताड़ लगाने और अमेरिकी कांग्रेस में दो सदस्यों की ओर से पहली बार पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने का बिल पेश किए जाने के बाद भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर दुनिया से अलग-थलग करने की कोशिश में सफल होता नजर आ रहा है। मगर इसके साथ ही यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या वाकई पाकिस्तान आतंकवादी देश घोषित हो जाएगा।

यह सवाल इसलिए भी अहम है कि वर्तमान अमेरिकी कांग्रेस अपने आखिरी दौर में है और बराक ओबामा का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है। ऐसे में अमेरिकी कांग्रेस में पेश हजारों बिल में से कुछ के ही कानून में तब्दील होने की संभावना है। जबकि इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम चार महीने लगेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ओबामा के अच्छे संबंधों की वजह से ही भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाने में सफल हो रहा है। मगर अगले राष्ट्रपति का पाकिस्तान और भारत के प्रति रवैया कैसा रहता है उस पर भी पाकिस्तान का भविष्य़ तय होगा। इसके अलावा अभी तक अमेरिका ने पूरी तरह से पाकिस्तान को आर्थिक मदद देनी नहीं रोकी है। खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताकर पाकिस्तान अमेरिका से आर्थिक मदद लेता रहा है और उस राशि का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में करता रहा है।

पाक को आतंकवादी देश घोषित करने का बिल

अमेरिकी कांग्रेस में दो सदस्यों टेड पो और डेना रोअरबाकर ने पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने का बिल पेश किया है। टेड आतंकवाद पर बनी समिति के सदस्य हैं और उप समिति के चेयरमैन भी हैं। वहीं डेना बलूच आंदोलन का समर्थन करते हैं। एचआर 6069 या द पाकिस्तान स्टेट स्पॉन्सर अॉफ टेररिज्म डेजिगनेशन एक्ट नाम के इस बिल पर अमेरिकी राष्ट्रपति को 90 दिन के भीतर एक रिपोर्ट जारी करनी होगी। इसमें इस बात की विस्तृत जानकारी दी जाएगी कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय अातंकवाद को बढ़ावा दिया है या नहीं। इसके तीस दिन बाद अमेरिकी गृह मंत्री को एक फॉलोअप रिपोर्ट पेश करना होगा। इसके जरिये यह तय होगा कि पाकिस्तान आतंकवाद प्रायोजित करने वाला मुल्क है। अगर ऐसा नहीं होता है तो अमेरिकी प्रशासन को इस बात की विस्तृत जानकारी देनी होगी कि ऐसा नहीं करने के पीछे क्या कानूनी बाध्यताएं हैं।

टेड पो का कहना है कि पाकिस्तान भरोसे के लायक सहयोगी नहीं है। वह सालों से अमेरिका के दुश्मनों को मदद देता रहा है। इस बात के काफी सबूत हैं कि पाकिस्तान आतंकवादियों के साथ खड़ा है। ओसामा बिन लादेन की वहां मौजूदगी से लेकर हक्कानी नेटवर्क तक की वहां मौजूदगी ऐसे कई प्रमाण देते हैं कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ लड़ाई में किसका पक्षधर है। अब वक्त आ गया है जब हम पाकिस्तान को उसकी धोखेबाजी के लिए पैसे देना बंद करें और उसे वह दर्जा दें जिसका कि वह हकदार है।

वैसे कई सालों बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने को लेकर औपचारिक बातचीत शुरू हुई है। इससे पहले इस मुद्दे पर आखिरी बार चर्चा 1993 में तब हुई थी जब पाक ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के जरिये मुंबई बम धमाकों की साजिश रची थी। आज बहुत सारे अमेरिकी सैन्य जनरल, अफसर और विशेषज्ञ इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि पाकिस्तान डबल गेम खेल रहा है।

छद्म युद्ध बंद करें – ओबामा

उरी में भारतीय सेना पर आतंकवादियों के किए गए हमले से बराक ओबामा कितने नाराज हैं इसकी बानगी तो तभी मिल गई थी जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने पहुंचे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने से उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने अंतिम भाषण में ओबामा ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम तो नहीं लिया मगर कहा कि देश छुपकर वार करने से बाज आएं अन्यथा आतंकवाद उन्हें भस्म कर देगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एवं सांप्रदायिक हिंसा से पश्चिम एशिया अस्थिर हो रहा है।

उन्हाेंने चेतावनी दी कि अगर लोगों-समुदायों को घुलने मिलने नहीं दिया जाएगा तो कट्टरवाद की आग जलती रहेगी और आतंकवाद से अनगिनत लोग पीड़ित होते रहेंगे एवं आतंकवाद बाहरी मुल्कों में पहुंचेगा। उन्होंने माना कि कोई भी बाहरी ताकत विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों के लोगों को साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है। क्षेत्रीय संघर्षों में हमें सभी पक्षों से अपील करनी होगी कि वे इंसानियत-मानवता को समझें और देश हालात बिगाड़ने वाले छद्म युद्धों को बंद करें।

ओबामा का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत पाकिस्तान पर हमेशा से छद्म युद्ध का आरोप लगाता रहा है। पाकिस्तान सीमा पार से लश्कर ए तोयबा, जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के जिरए भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़े हुए है।