आज अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस है। आज के दिन विश्व  में शांति दूतों को याद किया जाता है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा, महात्मा गांधी, भुट्टो, नेपोलियन बोनापार्ट, बुद्ध ने विश्व में शांति का संदेश फैलाया और शांति दूत के नाम पर अमर हो गया।

कैसे शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस 

प्रथम विश्व युद्ध के बाद पैरिस में एक शांति सम्मेलन हुआ था, जिसमें कई महान देशों ने हिस्सा लिया था। यूनाइटेड नेशन ने द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक इसी मुहिम को चलाने की कोशिश की। इसलिए आज भी यूएन ही इस दिन को विश्व स्तर पर शांति के तौर पर मनाता है। हालांकि इस दिन को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस कहने पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी। लेकिन फिर भी 21 सितंबर शांति के तौर पर मनाया जाता है। युद्ध के बाद एक शांति की तलाश होती है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व बहुत ही अशांत हो गया था। साल 1981 में पहली बार ये दिन मनाया गया। दरअसल, सितंबर के तीसरे शनिवार को ये दिन मनाया जाता है। लेकिन साल 2001 के बाद से ये दिन 21 सितंबर को ही मनाया जाने लगा।

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस का महत्व

दरअसल, इतने युद्ध और लड़ाई के बाद विश्व में शांति का संदेश फैलाना जरूरी था। ऐसे में जैसे ही युद्ध खत्म हुए लोग एक दूसरे को मदद करने के लिए आगे आए और सदभावना के साथ इस दिन को सेलिब्रेट करने लगे।

शांतिदूतों के शांति संदेश

– शांति आपके अंदर होती है, आत्मा शांत तो सब शांत, इसे बाहर कहीं मत ढूंढे- बुद्ध

-अगर हमें शांति महसूस नहीं होती है, इसका मतलब हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे के साथ हैं, या एक दूसरे के लिए हैं- मदर टेरेसा

-अपने आंखें खोलो और सबकी आंखें खोलने में मदद करो- महात्मा गांधी

-एक हल्की सी मुस्कुराहट से ही शांति आती है। – मदर टेरेसा