अजय विद्युत

लगातार बारिश के कारण नमी और भीतर पानी आ जाने से विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा में जाने में अब स्वस्थ व युवा यात्रियों को भी परेशानी होने लगी है। हालांकि गुफा में प्रवेश के पहले ही हिदायत लिखी है कि आप सांस, ब्लडप्रेशर, हृदय के रोगी हैं तो कृपया प्रवेश न करें। जुलाई से अक्टूबर तक वैसे भी  गुफा में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। लेकिन इस वर्ष तो वह बहुत अधिक घट गया है। गुफा के भीतर दीया तक नहीं जल पा रहा।

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी ने ‘ओपिनियन पोस्ट’ को बताया कि हमने इस बार जिलाधिकारी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सूचित किया है। प्रशासन के अधिकारी और एएसआई के वैज्ञानिक भी कुछ दिन पहले यहां आकर मुआयना कर चुके हैं। ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए उन्होंने जल्द से जल्द व्यवस्था करवाने की बात कही है। भंडारी ने कहा कि अब पवित्र गुफा के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु काफी कम हो गए हैं। मंदिर समिति ने अपने स्तर पर मीडिया के माध्यम से यह सूचना लोगों तक पहुंचाई कि जिनको सांस की जरा सी भी दिक्कत हो, या फिर वे ब्लड प्रेशर या हृदयरोग के शिकार हों, वे कुछ समय तक यहां न आएं।

स्कन्द पुराण के अनुसार इस पवित्र गुफा की खोज त्रेता युग में राजा ऋतुपर्ण ने की थी जो राजा भगीरथ के सातवीं पीढ़ी में आते हैं। कलियुग में काफी समय तक इस गुफा के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। आदि शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की थी और भगवान शिव के शिवलिंग को कीलित किया था। चारों युग, तमाम देवी-देवता, गणेश जी का कटा सिर, भगवान शिव की पानी से भीगी जटाएं और पूरे ब्रह्मांड का विहंगम दृश्य… काल भैरव की जीभ और कब होगा कलियुग का अंत… पाताल भुवनेश्वर में अटपटी, फिसलन भरी और पानी से नहाती बयासी सीढ़ियां उतरने के बाद यह सब आप देख सकते हैं।