अजय विद्युत। 

सोमवार को सुबह 9.27 पर प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने व्हाट्सएप पर कुछ पंक्तियां लिखीं। चूंकि कवि से इतर वे आम आदमी पार्टी से भी जुड़े हैं और पिछले कुछ समय से ‘चर्चा’ में रहे हैं, सो सहज ही है कि इसके राजनीतिक मतलब भी निकाले जा रहे हैं। उनकी पिछली कुछ पोस्टों को लेकर पार्टी में काफी उबाल और बवाल मच चुका है, जिन्हें आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पसंद नहीं किया था। और जो समझौता हुआ उसमें यह भी शामिल था कि कुमार आगे से सोशल मीडिया पर कोई ऐसी पोस्ट या वीडियो नहीं डालेंगे जिससे पार्टी असहज हो।

Screenshot_20170515-164723कृपा, रुतबा, इनायत, मेहरबानी बेअसर निकली,

मुझे बदनाम करने की निशानी बेअसर निकली,

मेरे हर लफ्ज का जादू जमाने की जबां पर है,

तुम्हारी साजिशों की हर कहानी बेअसर निकली।

बात कविता तक ही होती तो शायद इतनी चर्चा नहीं होती। हुआ यह कि दोपहर लगभग तीन बजे उन्होंने ‘हिंदी कुल’ नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिसमें पत्रकारों और साहित्यकारों सहित काफी लोगों को जोड़ा गया। लोगों को नहीं पता था कि यह ग्रुप किसका है और उन्हें क्यों जोड़ा गया है तो उन्होंने पूछना शुरू किया। सबसे पहले 3.12 पर पत्रकार गीताश्री ने पूछा- ‘ई का है। किसने?’ हालांकि ऊपर ही लिखा था- कुमार विश्वास क्रिएटेड ग्रुप ‘हिंदी कुल’। 3.15 पर कुमार विश्वास ने संदेश में कहा- आज संध्या पहला पुष्प अर्पित होगा। 3.34 पर फिर कहा- ‘प्रसारण समूह बनाते बनाते दैवीय कौतुक से ये ग्रुप बन गया।’

Screenshot_20170515-172417-1इस तरह से यह माना जा रहा है कि कुमार विश्वास कुछ समय के लिए संभवत: ‘आप’ की राजनीति से अलग रहकर केवल साहित्य में रमना चाहते हैं और साहित्य कला से जुड़े लोगों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर एक साहित्यिक संगठन का ढांचा खड़ा करना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर अभी भी कुमार विश्वास को भाजपा का एजेंट बताते हुए तमाम टिप्पणियां की जा रही हैं। यह कुछ ही दिनों में साफ हो जाएगा कि कुमार का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हो चुका है या यह केवल कुछ समय का विश्राम है। अथवा उनके निशाने पर केजरीवाल नहीं कपिल मिश्रा हैं।