मलिक असगर हाशमी

सूबे में प्रचंड गर्मी पड़ रही है। पारा 46 डिग्री तक पहुंच चुका है। मगर इससे भी कहीं अधिक कांग्रेसियों की रथ और साइकिल यात्रा, इंडिनयन नेशनल लोकदल का जेल भरो आंदोलन और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार के मुखिया मनोहरलाल खट्टर के ताबड़तोड़ रोडशो से हरियाणा का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। सूबे के तीनों प्रमुख राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे और कार्यक्रमों के माध्यम से भ्रष्टाचार, सुशासन, विकास, जमीन घोटाला, एसवाईएल नहर के पानी जैसे मुद्दे को लेकर एक दूसरे को घेरने में लगे हैं। मगर इन मुद्दों में प्रदेश के परेशान सरसों के किसानों का कहीं कोई जिक्र नहीं है। यहां तक कि किसानों के नाम पर हाय तौबा मचाने वाले नेता भी अब तक उनकी हिमायत में सामने नहीं आए हैं।
मौजूदा हालत ये हैं कि हरियाणा स्टेट को-आॅपरेटिव सप्लाई मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (हैफेड) की लापरवाहियों से सरसों उत्पादक हैरान, परेशान हैं। उनमें इस कदर नाराजगी है कि किसी जिले में धरने पर बैठे हैं तो कहीं तपती दोपहरी में सड़कों पर बैनर लेकर पैदल मार्च करते दिखाई दे रहे हैं। फिर भी उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। उम्मीद से पहले सरसों की सरकारी खरीद बंद होने के पखवाड़े भर बाद भी किसान विभिन्न अनाज मंडियों के बाहर इस आस में बैठे हैं कि मंडी का गेट खुलेगा, खरीद फिर से शुरू होगी और वे अपनी मेहनत की कमाई अपने साथ लेकर घर लौटेंगे। अखिल भारतीय किसान सभा का कहना है कि प्रदेश सरकार और हैफेड अधिकारियों के मौजूदा रुख से लगता है कि किसानों को आस छोड़कर अपनी फसल कहीं और बेचने की तैयारी करनी चाहिए।
पीला सोना के नाम से मशहूर सरसों की हरियाणा में इस बार बंपर पैदावार हुई है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने पहले सरसों की खरीद की तारीख एक अप्रैल तय की थी। बाद में इसे घटाकर 15 मार्च कर दिया गया। किसान संगठनों का आरोप है कि इस बार फसल खरीद के लिए नियम-शर्तें ऐसी रखी गर्इं कि उन्हें पूरा करने में किसानों का सारा समय निकल गया। इस बार हरियाणा में फसलों के भुगतान की व्यवस्था किसानों के बैंक खाते में सीधे पैसा ट्रांसफर करके की गई। इसके लिए उन्हें खरीद से पहले मंडियों को आधार कार्ड, पैन कार्ड और राशन कार्ड की कॉपी उपलब्ध कराने को कहा गया था। किसान सभा के प्रधान कर्ण सिंह जैनावास के मुताबिक, ‘आम तौर पर किसानों के पास पैन कार्ड नहीं होता। उन्हें इसकी आवश्यकता न के बराबर पड़ती है। सरसों की सरकारी खरीद में इसे अनिवार्य करने से पैन कार्ड बनाने में ही किसानों का काफी समय निकल गया।’
इस बार 100 रुपये बोनस सहित प्रति क्विंटल चार हजार रुपये के हिसाब से सरसों की खरीद हुई। इसके लिए प्रदेश की खरीद एजेंसियों ने पहले चरण में 11 जिलों रेवाड़ी, नारनौल, भिवानी, चरखीदादरी, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, गुरुग्राम आदि में 19 खरीद केंद्र बनाए थे जहां 20 मई तक खरीद चली। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का आरोप है कि सरसों की खरीद के लिए इतनी कड़ी शर्तें रखी गर्इं कि हरियाणा में 20 से 30 फीसद ही पैदावार की खरीद हो पाई। खरीद के दौरान किसी मंडी मेंं वारदाने कम पड़ गए तो कहीं समय पर उठान न होने से मंडियां ओवरफ्लो हो गर्इं जिससे टोकन लेने के बावजूद अधिकांश किसान फसल बेचने से वंचित रह गए। मौजूदा स्थिति यह है कि सरकारी खरीद केंद्रों पर फसल बेचने से वंचित रह गए किसान अपनी पैदावार औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं।
हालांकि किसानों की परेशानियों को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हैफेड को 31 मई तक खरीद जारी रखने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद एकाध मंडियों ने ही मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन किया। बाकी मंडियों में दोबारा खरीद शुरू नहीं हो पाई। चरखीदादरी के करीब ढाई हजार किसान दोबारा खरीद शुरू होने का अब भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि खरीद के लिए वे रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं और उन्हें टोकन भी मिला हुआ है, इसके बावजूद उनके लिए मंडियों के गेट नहीं खुल रहे। हरियाणा सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 18 मई को चरखीदादरी, भिवानी एवं महेंद्रगढ़ जिलों से जुटाए आंकड़ों के आधार पर 3,500 किसानों की फसल खरीद के आदेश दिए थे। पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान का कहना है कि इस आदेश के बाद करीब एक हजार किसानों की फसल खरीदी गई पर चरखीदादरी के 2,500 किसानों की खरीद की अब तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है। यहां के किसान जयभगवान, दलबीर सिंह आदि कहते हैं कि वे लगातार मंडियों के चक्कर काट रहे हैं पर कहीं सुनवाई नहीं हो रही। बाढड़ा कस्बे के दो गांवों काकड़ौली हठी और पिचौपा खुर्द के 450 किसानों को 28 से 31 मई के बीच फसल बेचने को कहा गया था जो संभव नहीं हो सका। इस बारे में मार्केट कमेटी के चेयरमैन चंद्रपाल सांगवान की दलील है कि सरकार ने उन गांवों के किसानों की सरसों खरीद की जिनका एक बार भी नंबर नहीं आया था। अब लक्ष्य पूरा हो चुका है इसलिए खरीद बंद कर दी गई है।
दोबारा खरीद शुरू कराने के लिए अखिल भारतीय किसान सभा की अगुवाई मेंं भिवानी, तोशाम, बाढड़ा आदि में धरना और बैठकोंं का दौर चल रहा है। किसान संघर्ष समिति ने जिला स्तर पर भूख हड़ताल करने की भी घोषणा की है। किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि तोशाम के 194 किसान सरसों बेचने से वंचित रह गए। 30 मई को बड़सी, छपरा रांगड़ान, जोगियान, दुल्हेड़ी, बावनीखेड़ा, ढाणीमाहू के किसान जब 200 ट्रैक्टरों में सरसों लादकर तोशाम मंडी पहुंचे तो हैफेड कर्मचारी दफ्तर छोड़कर भाग गए। इस बारे में किसानों ने जब फोन पर हैफेड के सीजीएम आरके साहनी से बात की तो बताया गया कि हरको के चेयरमैन हरविंदर कल्याण और सांसद धर्मबीर सिंह की मुख्यमंत्री से बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही खरीद शुरू हो जाएगी। मगर इस बात को भी पखवाड़ा गुजर गया है, परिस्थितियां यथावत हैं। चरखीदादरी के एसडीएम ओमप्रकाश देवराला कहते हैं कि सरकारी आदेश के बावजूद हैफेड सरसों की खरीद क्यों नहीं कर रहा है, इसकी जांच मेंं अनियमितता पाई गई तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसान संघर्ष समिति के संयोजक कमल सिंह मांदी चेतावनी देते हुए कहते हैं कि किसानोंं की खून-पसीने की कमाई यूं सड़कों पर बर्बाद हुई तो सरकार को किसानों का बड़ा आंदोलन झेलने को तैयार रहना होगा।