उत्साही समर्थक ऐसा जगह-जगह करते मिल जाएंगे। पार्टी अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी का 15-16 जनवरी को पहला अमेठी दौरा था। अपने नेता के यहां नम्बर बढ़वाने की कोशिश में एक समर्थक ने दौरे के ठीक पहले जिला मुख्यालय गौरीगंज में राहुल को राम के रूप में बाण चढ़ाये पोस्टरों में सजा दिया। सामने दशानन थे। समझा जा सकता है कि मकसद तभी पूरा होता जब इस पर चेहरा मोदी का होता। दशानन के आग लगने के पहले ही इस पोस्टर ने भाजपा खेमे में आग भर दी। शुरुआत में एफआईआर का विचार बना। फिर पोस्टर लगाने वाले को अकारण सुर्खियां मिलने के हिसाब-किताब बीच इरादा छोड़ दिया गया। हालांकि शुरुआती जबाबी प्रहार में लापता सांसद के व्यंग्य से लबरेज पोस्टर जल्दी ही भाजपा समर्थक जनता के बीच ले आए। पर इस दौरे के ठीक पहले स्मृति ईरानी के प्रतिनिधि विजय गुप्त ने क्षेत्र में स्थान-स्थान पर भाजपा कार्यकर्त्ताओं के साथ बैठकें कर डालीं। 2014 के चुनाव के समय से विजय गुप्त अमेठी में सक्रिय हैं। स्थानीय नेताओं-कार्यकर्त्ताओं से उनकी मुलाकातें होती रहती हैं। लेकिन इस बार जब अनेक जगहों पर राहुल को भाजपाइयों के तगड़े विरोध का सामना करना पड़ा तो इसे सुनियोजित मानते हुए उसे भाजपा की विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश का हिस्सा माना गया।
राहुल 2004 से अमेठी के सांसद हैं। उससे भी बहुत पहले जब वह बच्चे थे तब पिता स्व. राजीव गांधी के साथ अमेठी आया करते थे। हमेशा सिर-माथे बिठाने वाली अमेठी में राहुल के लिए यह नया, चौंकाने वाला और दुखदाई अनुभव था जब कई ठिकानों पर उनके विरोध में तख्तियां लिए और नारे लगाते हुजूम इकठ्ठे हुए। दौरे के पहले दिन सलोन में समर्थकों-विरोधियों के बीच झड़प-मारपीट का जो सिलसिला शुरू हुआ वह अगले दिन के दौरे तक जारी रहा। वह अमेठी में पिता की मूर्ति पर माल्यार्पण नहीं कर पाये। प्रतिरोध के बीच सुरक्षा कारणों से गौरीगंज में उनका रूट बदला गया। उन्होंने पैदल चलकर नाराजगी जाहिर की। समर्थकों ने अध्यक्ष के रूप में उनकी यात्रा को यादगार बनाने के लिए ढ़ेरों गुलाब फूल और पंखुड़ियां मंगाई थीं। उस रास्ते उनका काफिला गुजर नहीं सका और उन पर बिन बरसे ही वे मुरझा गर्इं। मुसाफिरखाना में भी समर्थक-विरोधी आपस में भिड़े। इन्हौना, मोहनगंज और जगदीशपुर में भी विरोध प्रदर्शन की कोशिशों को रोकने के लिए पुलिस को जतन करने पड़े। पुलिस के लिए यह मुश्किल मौका था। एसपीजी सुरक्षा प्राप्त राहुल गांधी की सुरक्षा और उनके दौरे को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता थी। सुरक्षा के नाम पर पुलिस जब उनके रास्ते आती तो राहुल और उससे ज्यादा समर्थकों को नाराज करती। उधर विरोध प्रदर्शन में लगे लोगों के सत्ता दल से जुड़ाव के चलते उसके हाथ अपनी शैली में नहीं खुल पाये। दिलचस्प यह है कि मोदी को रावण रूप में दिखाने वाले पोस्टर को तमाम कांग्रेसियों ने नापसन्द किया। उनके मुताबिक निजी प्रचार के चक्कर में ऐसे समर्थक पार्टी के लिए समस्याएं बढ़ाते हैं। उन्हें राहुल के दौरे के रंग में भंग पड़ने का रंज है। दूसरी तरफ भाजपा के भी अनेक नेता ऐसे हैं जो इस विरोध प्रदर्शन से इत्तफाक नहीं रखते। उनके मुताबिक राहुल अमेठी आकर निकल जाते थे। कोई खास चर्चा नहीं होती थी। पर इस बार जगह-जगह उनके विरोध ने अमेठी के गांव-गांव तक इसकी खबर भिजवा दी। सत्ता दल के नाते संजीदगी की कायल पार्टी का यह हिस्सा नए नवेले भाजपाइयों के अतिरिक्त उत्साह प्रदर्शन के साथ ही स्मृति के प्रतिनिधि विजय गुप्ता से भी खिन्न है।
सांसद के नाते राहुल ने अपने क्षेत्र की समस्याओं के लिए प्रदेश-केंद्र की सरकारों पर जमकर निशाने साधे। कहा कि जानबूझकर पहले से स्वीकृत प्रोजेक्ट अमेठी से हटाये गए। साथ ही राजनीतिक हमले भी खूब किये। भाजपा और उसकी सरकारों पर देश-समाज को बांटने और वैमनस्य बढ़ाने के उनके आरोप अमेठी में भी गूंजे। उधर गुजरात चुनाव से सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर पार्टी के बढ़ते रुझान की झलक यहां भी मौजूद थी। दौरे की शुरुआत हनुमान मन्दिर के दर्शन से हुई। खिचड़ी दान भी हुआ। और हां! जनेऊधारी राहुल ने खिचड़ी के साथ जनेऊ भी पण्डित जी को भेंट किया।