पंजाब में बदला निजाम, हरकत में कारिंदे

ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो

न अनावश्यक बैठक। न बहुत ज्यादा चर्चा। फोकस बस इस पर कि काम होना चाहिए। क्या होना है यह बता दिया। बाकी की जिम्मेदारी टीम और अधिकारी संभालते हैं। पंजाब के नए मुख्यमंत्री का काम करने का अंदाज कुछ ऐसा ही है। अब जबकि गेहूं की कटाई शुरू हो गई है, मंडी में गेहूं आना शुरू हो जाएगा। खरीद के इंतजाम करने हैं। समय कम है इसलिए सब कुछ बहुत जल्दी में करना है। अनाज खरीद के इंतजाम को लेकर एक बैठक में जब अधिकारी कैप्टन की ओर देख रहे थे तो उन्होंने कहा कि आप अभी तक कैसे गेहूं खरीद करते आए हैं। उसी तरह से कीजिए। बस अंतर यह है कि इस बार कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए। इसकी जिम्मेदारी आपकी है। इस जवाब के साथ यह मीटिंग दस मिनट में ही खत्म हो गई। परिणाम क्या होगा यह तो कुछ दिनों में ही पता चलेगा। अलबत्ता गेहूं खरीद के इंतजाम बहुत तेजी से हो रहे हैं। इस मीटिंग के बाद कैप्टन सीधे दिल्ली के लिए निकल पड़े। वहां उन्होंने अनाज खरीद के लिए केंद्र सरकार से फंड मांगा जो मिल गया। पिछली सरकार और इस सरकार के अंतर को यदि समझना है तो बस गेहूं खरीद के इंतजाम का तरीका देख लीजिए। यानी कैप्टन अमरिंदर सिंह एक्शन में हैं। उनके काम की रफ्तार यूं ही बनी रहे तो पंजाब के लिए विकास के नए आयाम स्थापित हो सकते हैं।

एक साथ सौ से ज्यादा फैसले
कैबिनेट की पहली बैठक वादों को पूरा करने की कैप्टन की एक ललक दिखा गई। चुनावी रैलियों में वे कहा करते थे कि उनकी सरकार बनते ही जनता के हित में एक साथ सौ निर्णय लेंगे। सरकार बनते ही पहली कैबिनेट मीटिंग में सौ से ज्यादा फैसले लेकर अमरिंदर सिंह ने अपने इस वादे को पूरा कर दिया। इस बैठक में लिए गए कुछ प्रमुख फैसले :-
1- ड्रग्स कारोबार पर लगाम लगाने के लिए एडिशनल डीजीपी की अध्यक्षता में एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जाएगी।
2- नई एक्साइज पॉलिसी लाई जाएगी। शराब के ठेकों से मिलने वाले राजस्व में धांधली को रोकने और राजस्व बढ़ाने में यह पॉलिसी कारगर होगी।
3- किसानों के कर्ज माफी को लेकर अगले दो महीने में राज्य सरकार एक पॉलिसी तैयार करेगी। इस पॉलिसी के लागू होने तक बैंकों के पास गिरवी रखी किसानों की जमीनों को बैंक नीलाम नहीं कर सकेंगे।
4- मुख्यमंत्री, तमाम मंत्री और विधायक, अधिकारी अपनी सरकारी गाड़ियों पर लाल बत्ती या अन्य कोई बत्ती नहीं लगाएंगे। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि सूबे में सरकार बनने पर लाल बत्ती और वीआईपी कल्चर को खत्म किया जाएगा।
5- डीटीओ अफसर का पद समाप्त कर दिया गया है। अब उनकी जगह स्थानीय एसडीएम ट्रांसपोर्ट महकमे का काम संभालेंगे। जून में आएगा प्रदेश का बजट।
6- सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर वो तमाम कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाए जाएंगे जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पंजाब का पानी राज्य से बाहर न जाने पाए। वहीं तमाम विभागों के सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि विभागों को अलॉट किए गए काम तय समय सीमा के अंदर पूरे हों नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
7- तमाम मंत्रालयों को वो फंड सरकारी खजाने में वापस जमा कराने के लिए कहा गया है जो चुनाव से ठीक पहले अकाली-भाजपा सरकार की तरफ से ताबड़तोड़ चुनावी वादों को पूरा करने के लिए उन्हें दिए गए थे।
8- अमरिंदर सरकार ने विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दिए गए सभी आदेशों को रोक दिया है। उनकी समीक्षा करने के बाद ही ये तय किया जाएगा कि क्या ये ऐलान चुनावी ऐलान थे या वाकई में इनका जनता से कोई सरोकार है। उसके बाद इन आदेशों को सरकार के पास उपलब्ध फंड और जरूरत के मुताबिक लागू किया जाएगा या खारिज किया जाएगा।
9- कैप्टन ने तमाम मंत्रियों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में जो वादे जनता से किए गए हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए। साथ ही तमाम मंत्रियों को अपने मंत्रालयों के कामकाज पर नजर रखने की ताकीद की गई है। साथ ही वे ये भी सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे काम जिनका सीधा सरोकार पंजाब की जनता से है वे तय समय के अंदर पूरे हों और जनता को किसी तरह की परेशानी न हो।

कैप्टन का तरीका थोड़ा अलग
पंजाब की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार इंद्रप्रीत सिंह कहते हैं, ‘कैप्टन के काम करने का तरीका अलग है। वे जिम्मेदारी देते हैं। हर काम खुद करने की बजाय टीम के माध्यम से कराना चाहते हैं। यह अच्छी बात है। उनके कामकाज के तरीके में एक प्रोफेशनल टच रहता है जो इस बार भी नजर आ रहा है। पहले भी जब वे सीएम थे तब भी इसी तरह से काम करते रहे हैं। यही वजह रही कि उनके समय में अनाज खरीद प्रक्रिया हो या फिर दूसरे काम एक तरीके और सिस्टम से ही चलते हैं।’ उनके मुताबिक, ‘अब सतलुज-यमुना लिंक नहर के मसले को ही देख लें। चुनाव हो चुका है लेकिन वे इस मामले को लेकर पीएम से मिलने पहुंचे। इससे साफ है कि वे हर मुद्दे को लेकर बेहद संजीदा हैं। उनके काम की रफ्तार तो यही रहती है।’

इस तेजी से क्या हासिल होगा
स्टडी आॅफ रूरल एंड इंडस्ट्री डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के सोशल साइंस के प्रोफेसर डॉक्टर हरपाल सिंह ने ओपिनियन पोस्ट से बातचीत में कहा, ‘पंजाब की स्थिति खासी खराब है। राज्य कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। किसानों की आत्महत्या, कैंसर, नशा और कानून व्यवस्था बड़े मामले हैं। इन पर रोक लगाना आसान नहीं है। यदि सत्ता में यह तेजी नहीं होगी तो इन पर रोक लगाना मुश्किल होगा। इसके साथ ही कैप्टन के सामने कई सारी चुनौतियां भी हैं। उन्हें उनसे भी पार पाना है। इसके लिए उन्हें सबसे पहले तो प्रशासन पर अपनी पकड़ बनानी होगी। यही वो कर रहे हैं। कैप्टन को एक बात पता है कि उन्हें एक साथ कई सारे मोर्चों पर लड़ना है। केंद्र से संबंध अच्छा बनाए रखना ताकि अनाज खरीद का फंड उन्हें आराम से मिलता रहे। एसवाईएल नहर के मामले में भी उन्हें केंद्र का साथ चाहिए। इसलिए तेजी दिखाते हुए कैप्टन सिस्टम और सत्ता दोनों पर पकड़ बनाना चाह रहे हैं।’

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