गुलाम चिश्ती ।

धेमाजी विधानसभा उपचुनाव से पूर्व राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच असंतोष चरम पर है। असम प्रदेश कांग्रेस समिति (एपीसीसी) के अध्यक्ष रिपुन बोरा अपने चहेते बाबुल सोनोवाल को टिकट दिलाने में कामयाब रहे, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई बाबुल सोनोवाल को टिकट दिए जाने के खिलाफ थे। दूसरी ओर असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवब्रत सैकिया बाबुल सोनोवाल की जगह शैलेन सोनोवाल को टिकट दिए जाने के पक्ष में थे। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने विरोध स्वरूप चुनाव प्रचार न करने का फैसला किया है, जबकि नेता प्रतिपक्ष भी दलीय अनुशासन को देखते हुए चुनाव प्रचार जरूर करेंगे, परंतु इस मामले में उनकी नहीं सुनी गई। इससे वे काफी नाराज हैं।

टिकट वितरण से पहले असम विधानसभा स्थित कांग्रेस विधायक दल कक्ष में प्रदेश चुनाव समिति की एक बैठक हुई थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में आरोप लगाया था कि रिपुन बोरा उनकी बातें नहीं सुन रहे हैं। उनकी मनमानी से पार्टी को काफी नुकसान पहुंच रहा है। इस घटना के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा उसी दिन दिल्ली के लिए रवाना हो गए, तो पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई दूसरे दिन दोपहर बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए। दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच तनातनी का मुख्य कारण धेमाजी उपचुनाव के लिए उम्मीदवार का चयन था। इस चुनाव के टिकट के लिए पांच नेताओं ने आवेदन किया था, परंतु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा बाबुल सोनवाल को टिकट देने पर अड़े थे। जानकारों का कहना है कि यदि बाबुल को टिकट दिया जाता है तो भाजपा आसानी से यह सीट जीत लेगी। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई पूर्व मंत्री सुमित्रा पातिर दलै को टिकट दिलाने के पक्ष में थे। पूर्व सीएम का यहां तक कहना था कि यदि उन्हें सुमित्रा पातिर को टिकट दिलाने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) सुप्रीमो सोनिया गांधी से भी कहना पड़े तो उनसे भी कहेंगे। दूसरी ओर स्थानीय लोग भी चाहते थे कि पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कांग्रेस में आए शैलेन सोनोवाल को टिकट दे ताकि दोनों पार्टियों के बीच जोरदार राजनीतिक टक्कर हो सके। चुनाव समिति की बैठक में गोगोई और रिपुन के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप के बीच चुनाव समिति ने एक चार सदस्यीय टीम बनाई थी, जिसमें कांग्रेस विधायक दल के नेता व नेता प्रतिपक्ष देवब्रत सैकिया, विधायक दल के उपनेता रकिबुल हुसैन, पूर्व मंत्री द्वय- प्रणति फूकन और टंकबहादुर राई शामिल थे। बताते चलें कि इस टीम ने धेमाजी में जिला कांग्रेस, ब्लाक कांग्रेस, पार्टी के सहयोगी संगठनों और समाजसेवी संगठनों से राय मशविरा किया था और जानने की कोशिश की गई थी कि पार्टी को धेमाजी से किसको टिकट देना चाहिए। टीम गुवाहाटी वापस आएगी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाएगा कि धेमाजी उपचुनाव के लिए कौन उम्मीदवार होगा। उधर, नेता प्रतिपक्ष देवब्रत सैकिया के करीबियों का कहना है कि सैकिया शैलेन सोनोवाल को टिकट दिए जाने के पक्ष में थे। ऐसे में देखा जा रहा कि पार्टी के प्रमुख तीनों नेताओं (गोगोई, रिपुन व सैकिया) में उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति नहीं थी। रिपुन बाबुल सोनोवाल को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं तो गोगोई सुमित्रा पातिर के पक्ष में थे, वहीं देवब्रत शैलेन सोनोवाल के पक्ष में थे। परंतु रिपुन इस मामले में गोगोई व देवब्रत को पछाड़ते हुए अपने चहेते बाबुल सोनोवाल को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। इन दिनों कांग्रेस तीन खेमों में बंटी दिखती रही है। पिछले कई महीनों से देखा जा रहा है कि एक ही मुद्दे पर तीनों नेता अलग-अलग बयान जारी करते हैं। वे एक साथ संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने से भी बचते हैं। ऐसी स्थिति में इन दिनों प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारीगण भी तीन भागों में बंट गए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन दिनों गुप्त रूप से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा पूर्व अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता की सलाह पर फैसले ले रहे हैं। कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश कांग्रेस की छोटी कार्यकारिणी के पक्षधर हैं और उन्होंने बोरा को ऐसा करने को कहा था, परंतु बोरा ने एआईसीसी को जो सूची भेजी है, वह काफी लंबी है। इसी बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने महासचिव विचित्र चौधरी को महासचिव (प्रशासन) की जिम्मेवारी सौंपी है, जिन्हें भुवनेश्वर कलिता का करीबी कहा जाता है। तीन खेमों में बंटी पार्टी में भुवनेश्वर अलग से अपना वजूद कायम करने में जुटे हैं। ऐसे में पार्टी का भविष्य क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है। बाबुल सोनोवाल को टिकट मिलने के बाद यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल नहीं चाहते थे कि कांग्रेस भाजपा के बागी शैलेन सोनोवाल को टिकट दे। ऐसे में मुख्यमंत्री के कुछ करीबियों ने कांग्रेस नेताओं से संपर्क कर शैलेन सोनोवाल को टिकट न देने का आग्रह किया था। ऐसे में शैलेन की जगह बाबुल को टिकट देना भाजपा को भी खूब भा रहा है।