सुनील वर्मा।

हैदराबाद से पकडे गए आईएस मॉड्यूल के सरगना इब्राहिम यजदानी मुस्लिम धर्म उपदेशक जाकिर नाईक से बेहद प्रभावित था। देशभक्ति के बदले देश को तबाह करने के लिए उसके मन में जो विचार पैदा हुआ उसमें जाकिर नाईक के मजहबी भावनाओं को भड़काने वाले उपदेशों ने भी अपना काम किया। एनआईए की पूछताछ में यजदानी ने खुलासा किया है कि वह अकसर जाकिर नाईक के उपदेश उनके पीस टीवी पर सुना करता था। 2012 में जब सरकार ने भड़काऊ मानकर इस चैनल को प्रतिबंधित किया तो वह यू ट्यूब पर उनके उपदेश सुनने लगा। यजदानी ने एनआईए को बताया कि उनके भाषण सुनकर उसके तन मन में दूसरे धर्मों व उनके लोगों के प्रति घृणा पैदा हो जाती थी। यजदानी ने 2010 में मुंबई में जाकिर नाईक के कॉन्क्लेव में भी शिरकत की थी।

हैरानी की बात है कि महाराष्ट्र के इस धर्म गुरु का नाम ढाका में आतंकी हमला करने वालों के प्रेरणास्रोत के रूप में भी सामने आ रहा है। बता दें कि ढाका में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 20 लोगों की मौत हो गई थी। आतंकियों के प्रेरणास्त्रोत के रूप में नाम सामने आने के बाद खुद जाकिर नाईक को सामने आकर सफाई देनी पड़ी। जाकिर पर कई देशों ने भड़काऊ भाषण देने के चलते प्रतिबंध लगा रखा है। ढाका में हमला करने वाले आतंकी जाकिर के भाषण को गौर से सुना करते थे और वे इनसे प्रभावित थे।

जाकिर नाईक का जन्म 1965 में मुंबई में हुआ। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद जाकिर ने 1991 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी। इस संस्था का मकसद था गैर मुस्लिमों को इस्लाम का सही मतलब समझाना। जाकिर ने मुंबई में इस्लामिक इंटरनेशनल स्कूल और यूनाइटेड इस्लामिक यूथ की भी स्थापना की जिसमें गरीब मुस्लिम बच्चों को स्कॉलरशिप और शिक्षा दी जाती है। इसी मकसद से जाकिर ने खुद दुनिया भर में घूम-घूम कर कुरान और इस्लाम पर उपदेश देना शुरू कर दिया। जाकिर नाईक पिछले 20 सालों में 30 से ज्यादा देशों में 2000 से भी ज्यादा सभाएं कर चुके हैं। दुनिया भर में उनकी पहचान इस्लामिक धर्मगुरु की है लेकिन अपने कई बयानों की वजह से वे विवादों में रहे हैं। ब्रिटेन और कनाडा जैसे कई देशों ने जाकिर पर प्रतिबंध लगा रखा है।

कट्टर विचारों और तीखे बयानों की वजह से जाकिर के विरोधी भी कम नहीं हैं। गैर मुस्लिमों के अलावा कई मुस्लिम समुदाय के लोग भी जाकिर नाईक के विचारों से सहमत नहीं हैं। 2010 में मुंबई में जाकिर नाईक ने कहा था कि ‘मैं सारे मुस्लिमों से कहता हूं कि हम मुसलमानों को आतंकी होना चाहिए। आतंकी मतलब ऐसा आदमी जो भय फैलाए।’ ढाका हमले के संदिग्ध आतंकी रोहन इम्तियाज ने जाकिर के इसी बयान को फेसबुक पर लिख कर मुस्लिमों से आतंकवादी बनने की अपील की थी।

जाकिर नाईक की वेशभूषा और भाषा दूसरे इस्लामिक धर्मगुरुओं से बिल्कुल अलग है। वह सूट पहन कर कुरान की आयतें पढ़ते हैं। उर्दू की जगह अंग्रेजी में बोलते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या उनके भाषण मुस्लिम युवाओं को इस्लाम के रास्ते पर चलने की बजाय आतंक के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दे रहे हैं। नाईक ने ओसामा बिन लादेन को भी आतंकी मानने से इनकार कर दिया था। अब ढाका में आतंकी हमले के बाद जाकिर एक बार फिर विवादों में हैं क्योंकि बांग्लादेशी सरकार का कहना है कि ढाका हमले में शामिल सात में से दो आतंकी उनके उपदेशों से प्रभावित थे।

अगर महाराष्ट्र की सुरक्षा एजेंसियों और एनआईए की मानें तो नाईक पर उनकी पहले से नजर है। उनके वीडियो की जांच की जा रही है।