अपनी नीति, अपनी रणनीति

रमेश कुमार ‘रिपु’

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 मई को दंतेवाड़ा में जब डॉ. रमन सिंह की विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी तब स्वयं मुख्यमंत्री को भी अहसास नहीं था कि वे चुनावी अभियान के शुरुआती दौर में बढ़त पा लेंगे। उनकी विकास यात्रा के प्रथम चरण की समाप्ति 10 जून को अंबिकापुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में हुई। अमित शाह सवा लाख की भीड़ देखकर गदगद हो गए। वे खुद को रोक नहीं सके और बोल पड़े, ‘ये भीड़ बता रही है कि चौथी बार भी प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने जा रही है। 65 से भी ज्यादा सीटें भाजपा को मिलेंगी। ऐसी जीत मिलेगी जिससे कांग्रेस समूल खत्म हो जाएगी।’
अमित शाह ने आगामी चुनाव में 65 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है मगर रमन सिंह जानते हंै कि चौथी बार सरकार बनाना अधिक चुनौतीपूर्ण है। इसलिए कि अबकी बार कांग्रेस के अलावा प्रदेश में अजीत जोगी की भी पार्टी है जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होना तय है। कांग्रेस की तुलना में फिलहाल किसी भी आम सभा में जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (छजकां) सबसे अधिक भीड़ खींच रही है। इसका नजारा 17 मई को बिलासपुर के पेंड्रा में राहुल गांधी की जनसभा में दिखा। उनकी सभा में अजीत जोगी की तुलना में आधी भीड़ भी नहीं थी। इसके अलावा अन्य पार्टियां हैं जिनका अपना जनाधार है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत भाजपा के मुकाबले सिर्फ 0.75 फीसदी कम था। रमन सिंह बखूबी जानते हैं कि इस बार उनके सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं। तीसरे कार्यकाल में उन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। फिर भी छत्तीसगढ़ भाजपा में उनसे अधिक लोकप्रिय कोई दूसरा नेता नहीं है।

मिशन 65 को तरजीह
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह पार्टी के ब्रांड हैं। वे जानते हैं कि पार्टी के प्रचार के किस तरीके से और जनता की किस नब्ज को छूने से प्रदेश भगवा रंग में रंग जाएगा। विकास यात्रा के जरिये वे चौथी बार भी जीत का परचम लहराना चाहते हैं। उनकी विकास यात्रा का खर्च सरकारी खजाने से हो रहा है। सरकारी विमान से लेकर विकास रथ में तब्दील की गई लक्जरी गाड़ी सबका यात्रा में इस्तेमाल हो रहा है। प्रदेश में 90 विधानसभा सीटें हैं लेकिन उनकी विकास यात्रा 67 विधानसभा क्षेत्र से गुजरेगी। उनकी विकास यात्रा उन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी जहां भाजपा एक तरफा जीतती आई है। कांग्रेस के गढ़ में उनका विकास रथ नहीं जाएगा। यानी रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग के कुल 11 विधानसभा क्षेत्रों में रमन नहीं जाएंगे। वे मिशन 65 को ध्यान में रखकर ही अपनी विकास यात्रा को तरजीह दे रहे हैं। विकास यात्रा का दूसरा चरण अगस्त के अंत में शुरू होगा जो चुनावी आचार संहिता लागू होने तक चलेगा।

विपक्ष की विकास खोजो यात्रा
मुख्यमंत्री की विकास यात्रा के खिलाफ विपक्ष ‘विकास खोजो’ यात्रा पर है। विपक्ष की यात्रा उन सभी विधानसभा क्षेत्रों में हो रही है जहां-जहां रमन सिंह का विकास रथ पहुंच रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल कहते हैं, ‘मुख्यमंत्री की विकास यात्रा में सरकारी पैसे का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग हो रहा है। हम तो उन्हें चुनौती दे रहे हैं कि हमें भी दिखाएं विकास कहां हुआ है। वे जनता को धोखा देना चाहते हैं लेकिन अबकी बार जनता उन्हें ऐसा धोखा देने की ठान बैठी है कि फिर कभी विकास यात्रा नहीं निकालेंगे।’ इसके जवाब में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष धरमलाल कौशिक कहते हैं, ‘विकास उन्हें दिखता है जो देखना चाहते हैं। जिनकी आंखों में विरोध का जाला पड़ गया है वे विकास को नहीं समझ सकते। आज छत्तीसगढ़ कई मामले में देश में नंबर एक है। दूसरे राज्य के लोग यहां आकर सीखते हैं कि सरकार आमूल-चूल परिवर्तन किस तरह करती है। जाति-धर्म की राजनीति से डॉ. रमन सिंह परहेज करते हैं। सबका साथ, सबका विकास ही उनका एक मात्र लक्ष्य रहा है जो आगे भी रहेगा।’ भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव में किसान संकल्प यात्रा के दौरान कहा, ‘हमारी सरकार आएगी तो किसानों के कर्ज दस दिनों के अंदर माफ कर दिए जाएंगे। साथ ही पुलिस वालों को छुट्टी दी जाएगी।’

छग में भी गुजरात फार्मूला
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शिवरतन शर्मा कहते हैं, ‘बूथ मैनेजमेंट के जरिये मिशन 65 के लक्ष्य को पाने का प्लान तैयार किया गया है। गुजरात में जिस फार्मूले के तहत चुनाव लड़ा गया था उसे छत्तीसगढ़ में भी अजमाया जाएगा। हर बूथ पर कम से कम 51 फीसदी वोट पार्टी के पक्ष में पड़े ऐसा प्रयास किया जाएगा।’ भाजपा ने तय किया है कि गुजरात रणनीति को छत्तीसगढ़ में लागू करने के लिए गुजरात से नेता बुलाए जाएंगे। वे बूथों पर तैनात कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। प्रदेश में 90 विधानसभा सीटों के लिए 23,500 बूथ हैं और 1.81 करोड़ मतदाता हैं। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 10 लाख मतदाता अधिक हैं जिनमें से छह लाख वैसे युवा हैं जो पहली बार वोट डालेंगे। पिछड़े और जनजाति समुदाय के मतदाता अधिक हैं। प्रदेश की 90 सीटों में से 34 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने प्रदेश भाजपा को सोशल मीडिया पर ज्यादा काम करने की सलाह दी है। उनका कहना है, ‘हमारा अगला मिशन सोशल मीडिया के जरिये समाज को जोड़ने का होगा। कार्यकर्ताओं ने सुराज और विकास यात्राओं के जरिये 22 हजार पोलिंग बूथ तक जनसंपर्क किया है। सारा फीडबैक संगठन और सरकार को दिया गया है। संगठन कैसे सरकार का मार्गदर्शन कर सकता है इसका बेहतर प्रयोग छत्तीसगढ़ में हुआ है।’

बूथ मैनजमेंट में कांग्रेस आगे
भाजपा को पटखनी देने के लिए कांग्रेस ने इस बार करीब 26 हजार बूथ कमेटी (कुछ बड़े बूथों खासकर पहाड़ी इलाकों में जहां सात-आठ टोले-मंजरें हैं, को पार्टी ने तीन या चार हिस्सों में बांट दिया है ताकि मतदाताओं को प्रभावित करने में कार्यकर्ताओं को आसानी हो) तैयार की है। सभी विधानसभा क्षेत्रों में संकल्प शिविर लगाकर पार्टी बूथ कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दे चुकी है। 24 हजार बूथ कमेटियां सक्रिय हो चुकी हैं। संकल्प शिविर के माध्यम से सक्रिय बूथ कार्यकर्ताओं से पार्टी सीधे संपर्क में है। बस्तर के तीन विधानसभा क्षेत्रों में संकल्प शिविर लगना बाकी है। कांग्रेस ने पांच बूथ का एक सेक्टर बनाया है और 25 बूथ का एक जोन तैयार किया है। इस तरह लगभग 6,240 जोन और सेक्टर प्रभारी किसी भी बैठक में शामिल होने या दिशा-निर्देश के पालन के लिए तैयार हैं। इसी तरह 199 ब्लॉक और 35 जिलों के अध्यक्षों ने भी अपना काम शुरू कर दिया है। पिछली बार भाजपा को 41.04 फीसदी और कांग्रेस को 40.29 फीसदी वोट मिले थे। यानी भाजपा को सिर्फ 0.75 फीसदी वोट अधिक मिले थे।
बूथ मैनेजमेंट मजबूत करने के अलावा कांग्रेस ने आम लोगों की राय से ही चुनावी घोषणा-पत्र बनाने का फैसला किया है। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव का कहना है, ‘कांग्रेस आम लोगों से राय मांग रही है। उसी के आधार पर पार्टी अपना चुनावी घोषणा-पत्र जारी करेगी।’ कांग्रेस भाजपा के पिछले घोषणा-पत्र को ध्यान में रख कर भी अपना घोषणा-पत्र तैयार करेगी ताकि जिन चुनावी घोषणाओं को भाजपा सरकार पूरा नहीं कर पाई उसे लेकर सरकार को घेरा जा सके। कांग्रेस इस प्रयास में है कि घोषणा-पत्र में किसान, आदिवासी, नर्स, बेरोजगार, गरीब कोई छूटे नहीं। इसके अलावा हर विधानसभा क्षेत्र में रमन सिंह के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की सीडी बजाई जाएगी और घोटालों का प्रचार किया जाएगा। मसलन नान घोटाला, पनामा पेपर लिंक, अंतगड़ कांड, चरण पादुका घोटाला, बारदाना घोटाला, वेदांता अस्पताल मामला, आदिवासी मामला, नक्सली मामला, तेंदूपत्ता बोनस मामला या फिर संसदीय सचिव मामला, डर्टी सीडी कांड, कोयला आवंटन मामला, वृक्षारोपण घोटाला, रिसॉर्ट मामला, गो हत्या, सड़क घोटाला, झीरम कांड जैसे मामलों को कांग्रेस जोरशोर से उठाएगी।

छजकां का मिशन 72
अजीत जोगी को डॉ. रमन सिंह प्रदेश में तीसरी सियासी ताकत मानते हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार, छजकां कांग्रेस का चार फीसदी और भाजपा का दो फीसदी नुकसान कर रही है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का दावा है कि प्रदेश में उनकी पार्टी की अगली सरकार बनने जा रही है। वे दो-चार फीसदी के आंकड़े की राजनीति नहीं करते। जोगी की पार्टी भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी चुनौती है। इसलिए भी कि राजीतिक कार्यक्रमों में यह पार्टी कांग्रेस की तुलना में अधिक भीड़ खींच रही है। पिछले दिनों अजीत जोगी के 72वें जन्म दिन पर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने मिशन 72 की घोषणा की। यानी पार्टी ने 72 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इस मौके पर उमड़ी करीब सवा लाख की भीड़ ने सत्ता पक्ष को भी हैरान कर दिया। हालांकि भाजपा के एक प्रवक्ता ने सफाई देते हुए पूछा, क्या आने वाली भीड़ उनका वोट बैंक है? इसका जवाब भी खुद ही नहीं में देते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि वे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, उनकी अपनी लोकप्रियता है, इस वजह से लोग आ गए। अभी तक छजकां 36 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। पार्टी के मीडिया प्रभारी सुब्रत डे कहते हैं, ‘अगामी चुनाव को ध्यान में रख कर पार्टी ने पन्ना प्रभारी तैयार किया है। एक पन्ने में जितने मतदाताओं के नाम रहेंगे उस पन्ने के प्रभारी की जवाबदारी रहेगी उन्हें मतदान केंद्र तक लाने की। जोगी जी का शपथ-पत्र ही पार्टी का घोषणा-पत्र है। इसके अलावा पार्टी विधानसभावार घोषणा-पत्र तैयार करेगी। सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करने वाले विभाग और संगठनों का पार्टी समर्थन करेगी। छजकां की सरकार बनने पर उनकी सभी मांगें पूरी की जाएंगी। इसके अलावा हमारी सरकार में बस्तर से एक डिप्टी सीएम होगा। सरकार बस्तर से चलेगी। गैर कांग्रेस या फिर गैर भाजपा दलों से भविष्य में तालमेल की संभावना बनी तो पार्टी गठबंधन करेगी। बहरहाल, पार्टी सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।’

गठबंधन की सियासत
प्रदेश में इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ने जा रही है। अब तक उसके दस उम्मीदवारों की घोषणा हुई है। वहीं कांग्रेस के 35 उम्मीदवारों की घोषणा 13 अगस्त तक हो जाएगी। सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन करने की पहल की थी लेकिन बसपा की तरह 30 सीटें मांगे जाने के बाद गठबंधन का मामला खटाई में पड़ गया। बावजूद इसके, बिलासपुर की कुछ सीटों पर गठबंधन सशर्त हो सकता है। इसलिए कि कोरबा के आदिवासी बहुल क्षेत्र पाली, तानाखार में कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच सीधी टक्कर रहती है। इस बार कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। वहीं छजकां भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम को साधने में लगी है।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष दाऊ राम रत्नाकर ने बताया, ‘पार्टी सुप्रीमो बहन मायावती का निर्देश है कि यदि ठीक-ठाक सीटों पर समझौता होता है तो ही गठबंधन होगा अन्यथा सभी 90 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी।’ वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों रायपुर में कहा कि सपा 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अभी बसपा और सपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। जबकि डॉ. रमन सिंह विकास यात्रा के दौरान उम्मीदवारों का फीडबैक भी ले रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा इस बार करीब तीन दर्जन नए उम्मीदवार उतारेगी। यानी ज्यादातर विधायकों के टिकट कटेंगे। 

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