रामनाथ का राजयोग है- प्यारेलाल कुबरी (बड़ा भाई)

उमेश सिंह।

ओपिनियन पोस्ट की टीम जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गांव पहुंची तो बड़े भाई प्यारेलाल कुबरी लिए कमरे के बाहर आए। कहा कि ‘बचपन से ही बहुत सीधे थे, बात भी कम करते थे। सुंदरकांड याद था। रामायण और गीता भी पढ़ते थे।’ मुस्कराते हुए कहा कि ‘रामनाथ को तो राजयोग है।’ झींझक सब्जी मंडी स्थित कपड़े की दुकान पर अब प्यारेलाल कम ही जा पाते हैं। उनके पुत्र पंकज कोविंद दुकान संभालते हैं, जबकि दूसरे पुत्र दीपक कोविंद रिंद नदी का जल घड़े में भरकर दिल्ली लेकर गए थे। पंकज ने कहा कि ‘चाचा गांव के पास बहने वाली रिंद नदी में स्नान करने जाते थे।’

आह्लादित है स्व. मोहनलाल का परिवार
गली में तीसरा मकान स्व. मोहनलाल का है। यहां पर इनके बेटे, बहू, नाती-पोता रहते हैं। चाचा के राष्ट्रपति प्रत्याशी बनने की सूचना से पूरा परिवार आह्लादित है। राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पूरा परिवार उनके आने का इंतजार कर रहा है।

सहपाठी गदगद
जसवंत सिंह ने कहा कि ‘हमें नाज है कि हमारा सखा रामनाथ देश का प्रथम नागरिक बनने वाला है। सुनने के बाद सहसा भरोसा नहींं हुआ और खुशी से रात भर नींद भी नहींं आई। राज्यपाल बनने के बाद आए थे तो सहज मुलाकात हुई थी।’

विजय पाल ने कहा कि ‘मेरे दोस्त के पिता गृहस्थ साधु थे। घर में ही छोटी सी दुकान चलाते थे लेकिन बैदिकी का बड़ा गहरा ज्ञान था। जड़ी-बूटी से इलाज करते थे और सेवा के बदले रुपया नहींं लेते थे। हम तो कक्षा पांच तक ही पढ़ पाए लेकिन कभी-कभार मैं उनके साथ जूनियर हाईस्कूल खानपुर डिलवल भी जाता था। स्कूल से सटी हवेलियों को मेरा दोस्त बड़े गौर से निहारता था। पथरी देवी की ऐसी कृपा हुई कि देश की सबसे बड़ी हवेली में रहने जा रहे हैं।’

राजकिशोर ने कहा, ‘बचपन में हम लोग पड़ोस में बहने वाली रिंद नदी में नहाया करते थे। बरसात में उधर जाने से मनाही थी। मेरे दोस्त के पिता भगत थे। वे कागज पर ‘रामनाम लड्डू’ व विल्व पत्र पर ‘शिव-शिव’ लिखा करते थे। गांव के लोगों को इसे लिखने की प्रेरणा देने के साथ इसे बांटते भी रहते थे। वे दीये में मिट्टी के तेल के बजाय सरसों व अरंडी के तेल का प्रयोग करते थे। इस बात के रहस्य को कोई समझ नहींं पाया।’ मनिहरन ने बताया, ‘हमारे बालसखा बहुत सरल हैं। सांसद बनने के बाद गांव आए तो चांदी के ग्यारह मुुकुट उन्हें पहनाए गए जिन्हें उन्होंने धारण करने के बाद वापस कर दिया। गांव वाले उन्हें सिक्के से तोलना चाहते थे लेकिन मना कर दिया।

ग्राम प्रधान चंद्रकली ने कहा, ‘गांव के लिए गौरव की बात है। उन्होंने गांव के विकास में बहुत योगदान दिया है। स्कूल, नलकूप, सड़क, बैंक सब कुछ तो है। अब तो बस उनके आने का इंतजार है। गांव में बहुत बड़ा जश्न मनाया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *