वॉशिंगटन।

क्‍या तीसरा विश्‍व युद्ध होकर रहेगा ? यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्‍योंकि दुनिया की कई महाशक्तियों में ठन गई है। ये हालात तीसरे विश्‍व युद्ध की सुगबुगाहट पैदा कर रहे हैं। सीरिया के मामले में अमेरिका और रूस आमने सामने आ गए हैं। अमेरिका की तरह रूस भी दुनिया की दूसरी महाशक्ति है। महाशक्तियों की गोलबंदी की बात करें तो अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन सीरिया के खिलाफ हैं तो रूस, ईरान और तुर्की सीरिया के पक्ष में।

सीरिया में 7 अप्रैल को बेगुनाह लोगों पर किए गए रासायनिक हमले के जवाब में अमेरिका ने सीरिया पर 13 अप्रैल की रात मिसाइलों से हमला कर दिया। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के मुताबिक, दमिश्क और होम्स में 100 से ज्यादा मिसाइलें दागी गईं।

सीरिया के सरकारी टीवी ने दावा किया है कि उसने इनमें से 13 को मार गिराया। इस कार्रवाई में फ्रांस और ब्रिटेन ने उसका साथ दिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि यह शैतान की इंसानियत के खिलाफ की गई कार्रवाई का जवाब है।

रूस ने इसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अपमान बताया है। उसका कहना है कि वह इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। खुद पुतिन ने ट्रम्प को मौजूदा दौर का हिटलर तक कह दिया है। उधर, सीरियाई राष्ट्रपति के ऑफिस से ट्वीट किया गया- अच्छे लोगों को अपमानित नहीं किया जाएगा।

अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी जेम्स मैटिस ने बताया कि अब तक हमें नुकसान की जानकारी नहीं मिली है। हालांकि, रूस ने कहा है कि इन हमलों में उसके किसी भी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया है।

आरोप है कि असद सरकार ने पिछले हफ्ते पूर्वी घोउटा के डूमा में लोगों पर रासायनिक हमले किए थे। ट्रम्प ने पिछले दिनों इस पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

हमले क्यों किए गए?

आरोप है कि पिछले हफ्ते 7 अप्रैल को सीरिया के पूर्वी घोउटा में विद्रोहियों के कब्जे वाले आखिरी शहर डूमा में हुए संदिग्ध रासायनिक हमले में 80 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे। 1000 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। स्थानीय स्वयंसेवी संस्था ह्वाइट हेलमेट्स ने हमले के बाद की तस्वीरें पोस्ट की थीं।

सीरिया की बशर-अल-असद की सरकार ने इन खबरों को झूठा करार दिया था। सीरिया पर इन हमलों के बाद पेंटागन ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि सीरिया में तीन जगहों को निशाना बनाया गया। पहला-दमिश्क का साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, दूसरा-होम्स जहां रासायनिक हथियार रखे जाते हैं, तीसरा होम्स के पास का एक ठिकाना, जहां रासायनिक हथियार उपकरण को स्टोर किया जाता है और यह एक अहम कमांड पोस्ट है।

डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- “यह किसी इंसान की हरकत नहीं हो सकती है। यह एक शैतान की इंसानियत के खिलाफ की गई हरकत है। हमारे हवाई हमले सीधे तौर पर रूस की नाकामी का नतीजा हैं। रूस असद को रासायनिक हथियारों से दूर नहीं रख पाया। आज की रात की गई कार्रवाई का उद्देश्य रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल, प्रसार और उत्पादन पर अंकुश लगाना है। जब तक उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता हर तरह की जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।”

कौन किसके साथ?

अमेरिका का साथ ब्रिटेन और फ्रांस ने दिया है। वैसे, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, तुर्की, जॉर्डन, सऊदी अरब, इटली, जापान, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड्स, इजरायल, स्पेन और यूएस की कार्रवाई के सपोर्ट में है। ये सभी असद के खिलाफ हैं।