जदयू नेता शरद यादव के नई पार्टी बनाकर महागठबंधन तैयार करने की काेशिशाें काे तेज करने की चरचा सियासी गलियाराें में तेजी से फैल रही । हांलांकि पटना में  शरद यादव के करीबी विजय शर्मा इसे सही बता रहे  है।
बता दें कि नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के बाद से ही शरद यादव नाराज बताए जा रहे है। शरद यादव , नीतीश के इस फैसले से खफा हैं। वहीं नीतीश से शरद की दूरी बढता देख राजद सुप्रीमो लालू यादव ने शरद को अपनी तरफ लाने की कोशिश शुरू कर दी है। जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता शरद यादव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले से नाराज हैं और भारतीय जनता पार्टी की मदद से बनी नई सरकार को जनता के खिलाफ बता रहे हैं। लेकिन, 26 जुलाई को नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जिस तरह से शरद यादव ने चुप्पी साधी और पांच दिनों के बाद मीडिया के सामने आकर सोमवार को नीतीश के फैसले का विरोध किया, उसके बाद अहम सवाल ये है कि आखिर वह अपनी पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर क्यों अपना रहे हैं। शरद यादव ने अभी तक अपने अगले कदम के बारे में कुछ नहीं बताया है। लेकिन, राजनीतिक विश्लेषक शरद यादव के ऐसे तेवर के कई मायने निकाल रहे हैं।
शरद यादव ने कहा था “जो वर्तमान स्थिति बनी है वहा काफी दुखदायक है। बिहार के ग्यारह करोड़ मतदाताओं ने महागठबंधन बनाकर हुए समझौते पर अपना मत दिया था। इस महागठबंधन के टूटने पर मैं काफी दुखी हूं। चुनाव के समय जो समझौता होता है वह हमारे लिए एक बड़ा संकल्प होता है। यह गठबंधन नहीं टूटना चाहिए था। इस महागठबंधन के टूटने से मैं काफी उदास हूं। मैं पार्टी के लोगों की बात कर रहा हूं। इससे ज्यादा और कुछ कहना ठीक नहीं होगा। शरद यादव ने आगे कहा कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव, नीतीश और उन्होंने इस गठबंधन को बनाया था और केन्द्र सरकार के शासन को चुनौती देने का बडा़ प्रयास किया था।