निशा शर्मा।

नोट बंदी का 7वां दिन है। लोगों की भीड़ गांव हो या शहर कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। मोदी सरकार ने पांच सौ और एक हजार के नोट अचानक बंद करके कालेधन के खिलाफ साहसिक कदम तो उठाया है, लेकिन यह कदम कितना कारगर साबित हो रहा है। इसकी पड़ताल जरूरी है।

कहावत है कि चोर चोरी से जाए पर हेरा-फेरी से ना जाए ऐसा ही देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों कालेधन को सफेद करने में लगे लोगों का हाल है। दरअसल,, जिन लोगों के पास काल धन जमा है उन्होंने अपने काले धन को सफेद करने के लिए नए तरीके इज़ात कर लिए हैं।

आपको बताते हैं क्या हैं यह तरीके जो लोग कालेधन को सफेद करने के लिए अपना रहे हैं-

एक्सिस बैंक के बाहर खड़े गार्ड से ओपिनियन पोस्ट ने जब जानना चाहा कि पैसा बैंकों में इतनी जल्दी खत्म क्यों हो जा रहा है? पैसा बंट रहा है तो भीड़ ज्यों कि त्यों क्योंं बनी हुई है? आम आदमी कह रहा है कि उसे अभी तक पैसा नहीं मिला है? क्या पैसे की कमी है? इसके जवाब में गार्ड (जिसने अपना नाम नहीं बताया) इस बात से इनकार करता है कि पैसे की कमी नहीं है। लेकिन जवाब में एक चौंकाने वाला खुलासा करता है और कहता है कि यह सब इसलिए ऐसा हो रहा है क्योंकि कई जगहों  में कुछ गाड़ियों से लोग उतरते हैं और बैंकों के बाहर लाइन लगा कर खड़े हो जाते हैं। यह वह लोग नहीं हैं जो जरूरतमंद हैं। यह वह लोग हैं जो 300 सौ, 500 सौ, 1000 रूपए की दिहाड़ी के लिए लाइन में लगे हैं और 4000 रुपए बदलवाने के लिए दिहाड़ी पर रखे गए हैं। जिनके पास काला धन है वह इस तरह से दिहाड़ी देकर लोगों से पैसा निकलवा रहे हैं। किसी को पुराने नोट यानी 4000 रुपए बदलवाने पर 300 रुपए मिल रहे हैं, तो किसी को 500 रुपए, तो कहीं किसी को 1000 रुपए, यह इस समय मार्किट रेट है। यह पूरी दिल्ली में हो रहा है। क्नॉट प्लेस में सुबह- सुबह गाड़ियों में से करीब 50-60 लोग उतरते हैं और लाइन में लग जाते हैं। आप ही बताइए इसमें कोई क्या कर सकता है। आप कितने भी प्लॉन ले आईए यहां कोई ना कोई तोड़ तो निकल ही जाता है।

एक कॉलेज प्रोफ़ेसर आलिया खान (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि काले धन को धड़ल्ले से सफेद किया जा रहा है। जिस गैर सरकारी संस्थान में आलिया पढ़ाती हैं वहां पर उन्हें उनकी सैलरी कैश के तौर पर दी जा रही है। वह बताती हैं कि मेरी सैलरी 35 हजार के करीब है, इसी तरह इस संस्थान में कुछ लोगों की सैलरी 90 हजार, डेढ़ लाख के आसपास है जो कैश तौर पर दी जा रही है। इससे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि कालाधन सफेद करने के कितने तरीके अपनाए जा रहे हैं यह वह तरीके हैं जो सामने आ रहे हैं इसके अलावा भी कई तरीके होंगे जो अपनाए जा रहे होंगे।

काले धन को सफेद करने के इन तरीकों पर ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया’ के कार्यकारी निदेशक राम नाथ झा का कहना है कि यह सच है कि काले धन को सफेद करने के लिए लोग कई तरह के उपाए ढूंढ रहे हैं। मुझे भी किसी ने बताया था कि उसके ऑफिस के बॉस ने अपने करीब 200 कर्मचारियों के आईडी के दो–दो फोटो कॉपी करवाकर 4000- 4000 रुपए निकलवाए। यानी की एक इंसान ने एक ही बार में करीब 16 लाख रुपए (200 कर्मचारी,एक कर्मचारी के आईडी की 2 फोटो कॉपी मतलब 200 X 2= 400 कर्मचारी। 400 X 4000= 16,00,000 ) के काले धन को सफेद करवा लिया। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि कुछ बैंक तो एंट्री ही नहीं कर रहे हैं कि कौन कितना पैसा बदलवा रहा है, कुछ बैंक सिर्फ सिंपल एक्सल शीट पर एंट्री कर रहे हैं।

आने वाले समय में बैंकों को यह डाटा फिल्टर करना मुश्किल होगा। मोदी की नोटबंदी की रणनीति में नोट बदलवाने का यही तरीका सबसे बड़ा लूप होल साबित हो रहा है, अगर मोदी इस फैसले को थोड़ा योजनाबद्ध तरीके से लागू करते जिसमें एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता ताकि कोई भी एक शख्स दिन में एक बार से ज्यादा पैसा नहीं निकलवा पाता। अगर ऐसा किया जाता तो मोदी सरकार का यह निर्णय बड़ा प्रभावशाली कदम साबित हो सकता था।

खबर यह भी है कि इस तरह की कालाबाजारी को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पैसा बदलवाने वाले लोगों की उंगली पर उस स्याही का प्रयोग करने जा रहा है, जो वोट देने के समय वोटर की उंगली पर लगाई जाती है।

इस पर ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया’ का कहना है कि यह कोई कारगर कदम साबित नहीं होगा क्योंकि इस स्याही को हटाने के सभी तरीके बाजार में उपलब्ध हैं। जो अक्सर चुनावों के दिनों में भी प्रयोग किए जाते हैं।

राम नाथ झा कहते हैं कि कालेधन पर मोदी की योजना पूरी तरह सफल हो ना हो लेकिन सरकार के इस कदम से नकली नोटों की काला बाजारी पर सौ प्रतिशत की रोक लगेगी।