नई दिल्ली। बैंकों और एटीएम पर जन सैलाब को देख कर एक शेर याद आने लगता है। ये इश्क नहीं आसां, एक आग का दरिया है और डूबके जाना है। उसी तर्ज पर बैंक और एटीएम की लाइनों में लगना आसान नहीं है। तमाम व्यवस्था के बावजूद नोट बदलवाने में लगे लोगों की लाइन छोटी नहीं हो पा रही है।
कुछ कंपनियों ने तो अपने कर्मचारियों को छुट्टी दे दी है और कहा है कि अब कंपनी के 500 व 1000 रुपये के नोट बदलवाना ही उनकी एकमात्र ड्यूटी है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 10 से 13 नवंबर के बीच बैंकों में 500 और 1000 रुपये के नोटों के जरिये कुल 3 लाख करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं। इस दौरान बैंकों और एटीएम से 50,000 करोड़ रुपये निकाले गए हैं।
नोट चेंज करने खुद बैंक पहुंचीं मोदी की मां
नरेंद्र मोदी की मां हीराबा मंगलवार को करंसी बदलवाने के लिए खुद चलकर गांधीनगर के एक बैंक पहुंचीं। उनके पास 500-500 के 9 नोट थे। बैंक में उन्होंने बाकायदा फॉर्म भरा। आपको यह पता ही है कि मोदी ने 8 नवंबर को 500-1000 के नोट बंद किए जाने का एलान किया था।
हीराबा के साथ छोटे बेटे और नरेंद्र मोदी के भाई पंकज भी थे। हालांकि बैंक में हीराबा का अकाउंट नहीं है, लेकिन बैंक में पंकज का अकाउंट है। हीराबा के इस कदम को इन्सपिरेशन देने वाला माना जा रहा है। उन्होंने सीनियर सिटिजन वाली लाइन में पैसे जमा कराए।
विवादित बयान
उधर, भाजपा नेता विनय सहस्त्रबुद्धे ने बैंक की लाइन में लगने के कारण मरने वालों पर विवादित बयान दिया है। नोट बदलने के लिए बैंकों के सामने लग रही लंबी कतारों और कुछ लोगों की मौत के बाद भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मध्य प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा-लोग राशन की लाइन में भी मर सकते हैं। हालांकि भाजपा नेता ने साथ में जोड़ दिया कि वे लोगों की दिक्कतों को लेकर असंवेदशील नहीं है। मगर ये हादसे हैं, कई बार ऐसा हो जाता है।
पिछले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी 500 और 1000 के नोट बंद करके सबको चौंका दिया था। शनिवार को मध्य प्रदेश के ही सागर जिले में बैंक के बाहर लाइन में लगे 70 वर्षीय बुजुर्ग चक्कर खाकर गिर पड़े थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।