रियो ओलंपिक में नहीं रही इनकी राहें आसान…

अभिनव बिंद्रा अकेले भारतीय हैं, जिन्होंने ओलंपिक में हॉकी के अलावा स्वर्ण पदक जीता है। बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिग स्पर्धा में 2008 के बीजिंग ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने रियो जाने से पहले ही घोषणा कर दी थी कि यह उनका आखिरी ओलंपिक है। वह पदक के साथ ओलंपिक से विदाई लेना चाहते थे। वह अपने सपने को साकार करने की तरफ बढ़ते नजर भी आ रहे थे। लेकिन एलिमिनेशन दौर में चार निशानेबाजों के बीच यूक्रेन के कुलिश के साथ 163.8 अंक बनाकर संयुक्त तीसरे स्थान पर रहने पर शूट आॅफ में कुलिश के 10.5 के मुकाबले 10 अंक बनाने से पदक के साथ समाप्ति करने से चूक गए।

अभिनव बिंद्रा ने इस ओलंपिक की तैयारी के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए थे। वह जब ओलंपिक के टेस्ट खेलों में भाग लेने के लिए रियो गए थे, तो उन्होंने शूटिंग रेंज की हर एंगल से फोटो खींचकर अपनी मां को चंडीगढ़ में भेजी और मां ने घर स्थित शूटिंग रेंज को रियो जैसी शूटिंग रेंज में बदल दिया। अभिनव ने इसी शूटिंग रेंज में तैयारी की। पर भाग्य के साथ नहीं देने से वह अपने इरादों में कामयाब नहीं हो सके।

वहीं दीपा कर्माकर ने रियो ओलंपिक की जिम्नास्टिक में पहले वॉल्ट स्पर्धा के फाइनल में स्थान बनाकर और फिर चौथा स्थान पाकर इतिहास भले रच दिया। चाहे वह बहुत ही मामूली अंतर से पदक जीतने से चूक गई लेकिन वाहवाही उन्हें पदक जीतने वालों से भी ज्यादा मिली है। इसकी वजह यह कि जिम्नास्टिक को लेकर देश में कोई कल्चर नहीं है। यहां तो जिम्नास्टिक वालों को कोई तरजीह ही नहीं दी जाती है। यही नहीं कई बार पक्षपातपूर्ण फैसलों से अपने दम पर आगे बढ़ने वाले जिम्नास्टों का मनोबल तक तोड़ दिया जाता है।

दीपा आज भले ही देश की हीरोइन बन गई हैं, लेकिन कुछ समय पहले विदेश में एक चैंपियनशिप के दौरान एक दूसरी जिम्नास्ट को पहले स्थान पर रखकर दीपा को दूसरे स्थान पर रख दिया गया था। इसको लेकर उनके कोच बिरे नंदी ने जब आपत्ति की तो उन्हें कॅरियर खत्म करने को लेकर धमकाया भी गया। लेकिन नंदी के अड़ने और फिर त्रिपुरा सरकार से दीपा के खिलाफ साजिश की शिकायत करने पर मामला रफा-दफा हो गया। यह सभी जानते हैं कि दीपा के कोच नंदी हैं पर फिर भी दीपा की इस सफलता को भुनाने में कुछ और कोच लगे हैं। वह इसके आधार पर द्रोणाचार्य अवार्ड पाना चाहते हैं। पर दीपा के इस प्रयास को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। वह हमेशा देश के लिए प्रेरणा देने वाली बनी रहेगी।

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