नई दिल्ली।

पाकिस्‍तान के आतंकी गतिविधियों में लिप्‍‍त होने के कारण अमेरिकी सांसदों ने उसे घेरने के लिए रणनीति बनाई है। अमेरिकी सीनेटरों के एक द्विदलीय समूह ने अफगानिस्तान में भारत के साथ सहयोग बढ़ाए जाने की मांग की है तो पाकिस्‍तान को अमेरिका की ओर से कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक प्रतिबंध झेलने पड़ सकते हैं।

प्रमुख रिपब्लिकन सांसद जॉन मैक्केन ने इस बाबत सीनेट में विधेयक भी पेश कर दिया है। इसमें नई दिल्ली के अफगान सुरक्षा बलों की मदद करने की बात भी शामिल है जिससे पाकिस्तान परेशान हो सकता है। सांसदों ने सीनेट में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) 2018 में एक विधायी संशोधन का प्रस्ताव पेश कर उसका समर्थन करने की मांग की कि भारत की भागीदारी को हमेशा प्रोत्साहित करेंगे।

भारत युद्धग्रस्त देश में विकास संबंधी सहायता प्रदान करने वाले बड़े प्रदाताओं में से एक है। संशोधन से पाकिस्तान इसलिए परेशान हो सकता है क्योंकि वह पड़ोसी देश अफगानिस्तान में भारत के किसी भी तरह के दखल का विरोध करता है।

संशोधन में अफगान सुरक्षा बलों को साजो सामान, खतरे संबंधी आकलन, सामग्री और रखरखाव संबंधी सहायता देने में भारत की भूमिका बढ़ाने की मांग की गई है। सीनेटर मार्क वार्नर,  डैन सुलिवान और जॉन कॉर्निन ने बृहस्‍पतिवार को यह संशोधन पेश किया था।

वे सीनेट इंडिया कॉकस के सह अध्यक्ष भी हैं। अगर यह संशोधन कांग्रेस से पारित हो गया और कानून में बदल गया तो रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री को एनडीए पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद छह महीने के भीतर कांग्रेस को एक रिपोर्ट सौंपनी होगी।

भारत ने अफगानिस्तान को एक स्वतंत्र एवं समृद्ध राष्ट्र का उसका सपना पूरा करने में उसे हर संभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है। भारत हमेशा अफगानिस्तान का पहला रणनीतिक सहयोगी रहेगा और भारत हमेशा अफगान जनता से एक मजबूत स्वतंत्र, एकजुट और समृद्ध अफगानिस्तान के उस सपने को साझा करेंगे,  जिसके लिए बहुत से अफगान लोगों ने बहुत से बलिदान दिए हैं।

नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट 2018 के नाम से पेश संशोधन विधेयक में मैक्केन ने साफ किया है कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए तालिबान और हक्कानी नेटवर्क का खात्मा जरूरी है। यह तभी हो सकता है जब पाकिस्तान उन संगठनों के समर्थन की अपनी नीति को खत्म करे।

अमेरिकी सुरक्षा हितों के लिए अफगानिस्तान में शांति रहना आवश्यक है। मैक्केन सीनेट की शक्तिशाली सैन्य सेवा समिति के प्रमुख हैं। उनके द्वारा पेश विधेयक को संसद की आवाज माना जाता है। विधेयक में कहा गया है कि संसद की भावना है कि आतंकी संगठनों के खात्मे के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।