navin patnayak

पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से राज्य की सत्ता पर काबिज बीजू जनता दल को चुनौती देने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है. कांग्रेस भी अपने पुराने दिन वापस लाने की कोशिश में है. लेकिन, बेदाग छवि वाले नवीन पटनायक को मात देना इतना भी आसान नहीं है.

navin patnayakआगामी लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा विधानसभा के भी चुनाव होने हैं. राज्य में लोकसभा की 21 और विधानसभा की 147 सीटें हैं. पिछले 19 सालों से राज्य की राजनीति पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का दबदबा कायम है. उनका तिलिस्म तोडऩे में अभी तक कोई राजनीतिक दल कामयाब नहीं हो सका. साल 2014 में नरेंद्र मोदी का जादू भी यहां बेअसर रहा था. वहीं साल 2000 में राज्य की सत्ता से बेदखल होने के बाद से कांग्रेस का ग्राफ निरंतर ढलान की ओर जा रहा है. अब तो वह खुद के मुख्य विपक्षी दल होने की हैसियत बचाने के लिए भाजपा से संघर्ष कर रही है. ऐसे में आगामी लोकसभा-विधानसभा चुनाव सत्तारूढ़ बीजू जनता दल, भाजपा एवं कांग्रेस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. यही वजह है कि इन सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीति के साथ चुनावी समर में ताल ठोंकना शुरू कर दिया है.

भारी-भरकम लक्ष्य

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ओडिशा विजय के लिए विधानसभा की 120 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. कांग्रेस ऐसी किसी घोषणा से परहेज कर रही है, लेकिन अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों को एकजुट करने के लिए उसने पूरा जोर लगा रखा है. जबकि बीजू जनता दल का मानना है कि राज्य के लोग नवीन पटनायक सरकार पर ही अपना भरोसा जताएंगे. भाजपा और कांग्रेस चिकोटियां काटने के अलावा उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगी. पटनायक ने उक्त दोनों राष्ट्रीय दलों का मुकाबला करने के लिए सरकारी योजनाओं का पिटारा खोल दिया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में जीत से उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बीती 25 जनवरी को एक दिवसीय ओडिशा दौरे पर आए. एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने नवीन पटनायक और नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की. उन्होंने नवीन पटनायक पर नरेंद्र मोदी के साथ साठगांठ का आरोप लगाया. पटनायक को भ्रष्ट बताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की चाबी नरेंद्र मोदी के हाथ में है. अगर कांग्रेस राज्य की सत्ता में वापस आई, तो दस दिनों के भीतर ही किसानों के कर्ज माफ कर दिए जाएंगे. साथ ही धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 2,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया जाएगा. राहुल की मौजूदगी में बीजद नेता एवं राज्य के पूर्व वित्त मंत्री पंचानन कानूनगो ने कांग्रेस का दामन थाम लिया.

भाजपा ने ओडिशा को प्रमुख प्राथमिकता वाले राज्यों में शुमार कर रखा है. वह यहां की ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें भी जीतना चाहती है. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह बार-बार ओडिशा का दौरा कर रहे हैं. बीती 29 जनवरी को अमित शाह ने पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए कटक स्थित सालेपुर में एक सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कार्यकर्ताओं से आगामी चुनाव में नवीन सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया. अमित शाह ने बीजद और कांग्रेस को एक सिक्के के दो पहलू बताते हुए नवीन सरकार से कई सवाल पूछे. शाह ने कहा कि 19 सालों के उनके शासन के बाद भी ओडिशा गरीब क्यों है. सरकार जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की रक्षा नहीं कर पाई, डीएमएफ राशि खर्च नहीं हो पाई और राज्य में आयुष्मान भारत क्यों नहीं लागू किया गया. उन्होंने नवीन पटनायक के उडिय़ा भाषा के ज्ञान पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा उडिय़ा जानने वाले शख्स को ही राज्य का मुख्यमंत्री बनाएगी.

नवीन की नई रणनीति

बीजद भी विपक्षी दलों की गतिविधियों के प्रति लापरवाह नहीं है. नवीन पटनायक ने इसके लिए नई रणनीति अपनाई है. वह प्रधानमंत्री मोदी या राहुल गांधी के राज्य दौरे के दिन ही उनका प्रभाव कम करने के उद्देश्य से किसी और जगह पर अलग दलीय या सरकारी कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. 25 जनवरी को उन्होंने ‘किसान समावेश’ का आयोजन किया, जिसमें किसानों की मददगार कालिया योजना की शुरुआत हुई. पटनायक ने राहुल गांधी के आरोप को बकवास बताया. वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी तीन बार ओडिशा दौरे पर आए, लेकिन अमित शाह की तुलना में वह पटनायक सरकार के प्रति नरम दिखे. भाजपा को लोकसभा में बहुमत न मिलने की स्थिति में बीजद से समर्थन पाने की उम्मीद है. शायद यही वजह है कि मोदी अपने भाषणों में अपेक्षाकृत आक्रामक नहीं दिखे. कमोबेश यही स्थिति बीजद की नजर आ रही है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार ने नवीन पटनायक की बहन गीता मेहता को साहित्य में उनके योगदान के लिए ‘पद्मश्री’ देने की घोषणा की, लेकिन गीता ने उसे स्वीकार करने से नम्रतापूर्वक इंकार कर दिया. उनका कहना था कि यह सम्मान स्वीकारने से कांग्रेस के उस आरोप को बल मिलेगा कि भाजपा और बीजद के बीच कोई साठगांठ है.

आप की हुंकार

चुनाव के इस मौसम में कोई भी राजनीतिक दल किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. आम आदमी पार्टी प्रमुख एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बीती ३१ जनवरी को ओडिशा आए थे. उन्होंने कहा कि राज्य में बीजद, भाजपा एवं कांग्रेस का गठबंधन है, तीनों ही मिलजुल कर राज्य को लूट रहे हैं. हालांकि, ओडिशा में बीजद, भाजपा एवं कांग्रेस के अलावा कोई भी अन्य राजनीतिक दल किसी प्रकार की चुनौती खड़ी करने की स्थिति में नहीं है. यह अलग बात है कि इन तीनों दल के कुछ असंतुष्ट नेता आपस में मिलकर या स्वतंत्र रूप से चुनाव पर प्रभाव डालने की कोशिश में हैं, लेकिन उनकी कामयाबी को लेकर संदेह है. जो भी उठा-पटक होनी है, फरवरी के अंत तक हो जाएगी. उसके बाद ही यहां की राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी. बहरहाल, नवीन पटनायक आज भी राज्य के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. उनके दामन पर कोई दाग न होना उनकी सबसे बड़ी खूबी है. हालांकि, मीडिया द्वारा कराए गए कुछ सर्वेक्षणों में लोकसभा चुनाव में भाजपा को बढ़त मिलने की बात कही गई है, लेकिन विधानसभा चुनाव के मामले में सर्वेक्षण भी नवीन पटनायक का जलवा बरकरार बताते हैं.