नई दिल्ली।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल महज नौ माह बचा था, क्‍योंकि उनकी राज्‍यसभा सदस्‍यता की अवधि 2018  के अप्रैल माह में समाप्त हो रही है। ऐसे मौके पर उनके इस्‍तीफे से कोई हानि तो होगी नहीं, लेकिन दलित वोट आकर्षित करने का एक नायाब मौका उनके हाथ लगा है। इसीलिए मायावती के इस्‍तीफे को उनकी राजनीति का मास्‍टर स्‍ट्रोक माना जा रहा है।

लेकिन कुछ जानकारों का मत है कि मायावती को लाभ तभी मिल पाएगा, जब वह दलितों को यह समझाने में कामयाब हो जाएं कि वे दलितों के हितों के लिए इस्‍तीफा दे रही हैं। इस्तीफे के बाद मायावती ने कहा कि जब सत्तापक्ष मुझे अपनी बात रखने का भी समय नहीं दे रहा है तो मेरा इस्तीफा देना ही ठीक है। उधर, मायावती के इस्तीफे के बाद यूपी के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा “मायावती का यूपी के विकास में कोई सहयोग नहीं रहा है। शांत प्रदेश में अशांति फैलाने की कोशिश न करें।”

मायावती पर अक्‍सर यह सवाल उठता रहा है कि वह दलितों को एकजुट कर उनका राजनीतिक फायदा तो उठाती हैं, लेकिन दलितों के लिए कुछ भी नहीं करती हैं। पर मायावती कहती हैं कि अब सभी राजनीतिक दल दलितों का राजनीतिक फायदा उठा रहे हैं। राष्‍ट्रपति चुनाव का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि एनडीए को मजबूर होकर राष्‍ट्रपति पद के चुनाव में दलित प्रत्‍याशी को उतारना पड़ा और कोविंद के मुकाबले विपक्ष ने मीरा कुमार को प्रत्‍याशी बनाया। इस चुनाव में अगर कोई जीता है तो दलित। यही बसपा की सफलता है।

इससे पहले, राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान मायावती ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि उन्‍हें वहां न तो सुना जा रहा है और न ही बोलने दिया जा रहा है। इसलिए उन्‍होंने राज्‍यसभा से इस्‍तीफा देने का फैसला किया है। मायावती का समर्थन कांग्रेस ने भी किया और पार्टी नेता रेणुका चौधरी ने सवाल किया?, ‘एक दलित नेता को बोलने का अधिकार नहीं है?  उन्‍होंने हाउस में नोटिस देकर बात करने का प्रयास किया।’

इसके पहले सहारनपुर व उत्तर प्रदेश में दलितों का मुद्दा उठाते हुए उन्‍होंने राज्‍यसभा से वॉकआउट किया था जिसके समर्थन में कांग्रेस ने भी वॉकआउट किया। बसपा सुप्रीमो ने कहा, लानत है अगर मैं अपने कमजोर वर्ग की बात सदन में नहीं रख सकी तो मुझे हाउस में रहने का अधिकार नहीं है। राज्‍यसभा में मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है इसलिए आज राज्यसभा से इस्तीफा दे दूंगी।