ओपिनियन पोस्‍ट
वध के लिए पशुओं की खरीद बिक्री पर रोक के केन्द्र के फैसले के खिलाफ मेघालय की कांग्रेस सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। सोमवार (12 जून) को मेघालय विधानसभा की विशेष सत्र में ये प्रस्ताव पास किया गया। बता दें कि इसी साल 28 मई को केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर वध के लिए पशु मंडियों में जानवरों की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है। केन्द्र के इस फैसले को बीफ बैन से जोड़कर देखा जा रहा है। और इस फैसले का मेघालय समते कई राज्यों में जबर्दस्त विरोध हो रहा है। केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ मेघालय बीजेपी के कई नेताओं ने इस्तीफा भी दे दिया है।

बता दें कि सोमवार को इस मुद्दे पर बहस के दौरान विधायकों ने केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई और केन्द्र के इस फैसले को पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं पर कुठाराघात बताया। मेघालय में आदिवासियों और जनजातियों समूहों के बीच बीफ खाने का रिवाज रहा है। लेकिन केन्द्र की इस अधिसूचना को लेकर पूर्वोत्तर के लोग खासे नाराज हैं। केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ मेघालय के बीजेपी नेताओं ने भी पार्टी आलाकमान के खिलाफ बगावत का बिगूल फूंक दिया और बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। बीजेपी से इस्तीफा देने वालों में बाचू मराक और बर्नाड मराक ने कहा कि केन्द्र सरकार आदिवासी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है।

केन्द्र की बीजेपी सरकार को इस मसले पर पूर्वोत्तर के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी विरोध झेलना पड़ रहा है। इस याचिका को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई थी, इसके बाद  कोर्ट मदुरै बेंच ने केन्द्र की अधिसूचना पर हफ़्ते के लिए रोक लगा दी है। इधर केन्द्र सरकार का कहना है कि उसकी मंशा लोगों की खान-पान की आदतों पर लगाम लगाना नहीं है बल्कि गायों और दूसरे जानवरों की तस्करी रोकना है, साथ ही गोवध के नाम पर जानवरों के साथ होने वाले अत्याचार को भी बंद करना है।  केन्द्र की इस अधिसूचना के तहत अब लाइसेंसी बूचडखानों को वध के लिए जानवरों को सीधे किसानों से ही खरीदना पड़ेगा। बूचडखाना मालिक पशु मंडियों में अपने जानवरों को नहीं बेच पाएंगे। पशु मालिक भी मार्केट में वध के लिए अपने जानवरों को नहीं बेच पाएंगे।