रमेश कुमार ‘रिपु’

मध्य प्रदेश में भी चुनावी साल की वजह से सियासी पुण्य के लिए सियासी दल यात्राओं को अहमियत देने लगे हैं। क्योंकि राजनीतिक यात्रा से पहचान मिलती है। वोट मिलता है और विरोधियों पर दबाव बनता है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे प्रदेश में सियासी पुण्य के लिए कई नामों की यात्राएं देखने को मिलेंगी। परिवर्तन यात्रा और संकल्प यात्रा विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस के कई नेता अपने अपने जिले में निकाल रहे हैं। वैसे भी भाजपा का इतिहास रहा है सियासी यात्राओं का। कभी लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक राम जन्म भूमि मंदिर आंदोलन के पक्ष में सियासी यात्रा निकाल कर देश की राजनीतिक दशा और दिशा बदलने की कोशिश की थी। अब ऐसी यात्राओं का मकसद बदल गया है। विपक्ष को कमजोर करने या फिर विपक्ष सत्ता पक्ष को कुर्सी से बेदखल करने के लिए राजनीतिक यात्राएं करता है। सवाल यह है कि प्रदेश में भाजपा पिछले 14 सालों से सत्ता में है फिर शिवराज सिंह चौहान को नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के बाद आदि शंकराचार्य एकात्म यात्रा की जरूरत क्यों पड़ गई? इस यात्रा में 140 जिलास्तरीय जन संवाद हुए। 19 दिसंबर को पममठा रीवा से शुरू हुई जो 35 दिनों की इस यात्रा का 20 जनवरी 2018 तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से धातु संग्रहण एवं जनजागरण करते हुए 22 जनवरी को ओंकारेश्वर में समापन हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हंै, ‘आदि शंकराचार्य के विचारों को जन जन तक पहुंचाने के लिए रीवा से एकात्म यात्रा शुरू की गई। अद्वैत दर्शन के प्रति जन जागरण और ओंकारेश्वर को विश्वस्तरीय वेदांत दर्शन केंद्र के रूप में विकसित करना ही इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य रहा। आदि शंकराचार्य के दर्शन से समाज को परिचित कराना और उनकी अष्ठ धातु की प्रतिमा प्रतिष्ठापित करने के लिए धातु संग्रह किया गया। हमने निर्णय लिया है कि मध्य प्रदेश की पाठ्य पुस्तकों में आदि शंकराचार्य को जोड़ा जाए। उनका प्रकटोत्सव मनाया जाए। ओंकारेश्वर में शंकर संग्रहालय, वेदांत प्रतिष्ठान और शंकराचार्य की बहुधातु मूर्ति स्थापित की जाए।’

भ्रष्टाचार की आहुति
कांग्रेस विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना कहते हैं, ‘प्रदेश की जनता के दिमाग को मोड़ने के लिए भाजपा राम मंदिर, नर्मदा सेवा यात्रा और एकात्म यात्रा की नौटंकी करती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने 12 साल के पाप को छुपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। व्यापम कांड में प्रदेश के दर्जनों बच्चे मौत के गाल में समा गए। प्रदेश अस्मत लुटेरों का प्रदेश बन गया है। भ्रष्टाचार की आहुति भाजपा सरकार ने इतनी दी है कि दूर से ही घोटाले का धुआं दिख जाता है। जनता इनकी किसी भी धार्मिक यात्रा से अपनी सोच नहीं बदलने वाली। अटेर और चित्रकूट के विधानसभा चुनाव से बात साफ हो गई है कि प्रदेश में परिवर्तन की आंधी चल पड़ी है। मंूगावली और कोलारस विधानसभा भी कांग्रेस ही जीतेगी।’

सवर्ण वोटर को रिझाने की यात्रा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने 12 साल के कार्यकाल में विपक्ष को हैरान करने और जनता का बुनियादी समस्याओं से ध्यान भंग कर अपने से जोड़ने वाली सुर्खियों की राजनीति को ज्यादा तरजीह दी है। विपक्ष ने उनकी इस सियासी चाल को मात देने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को सामने किया है। शिवराज बनाम महाराज की सियासत के बीच प्रदेश में सरकार बनाने की सियासत अब तेज हो गई है। प्रदेश कांगे्रस के सचिव विमलेन्द्र तिवारी कहते हैं, ‘राजनीति से जाति को भाजपा मुक्त नहीं करना चाहती। मोदी सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति स्थापित कर यह बताना चाहते हैं कि भाजपा पटेलों के बहुत करीब है। जबकि आज तक भाजपा को सरदार पटेल याद नहीं आए। शिवराज सिंह चौहान एक तरफ सवर्ण वोटरों को नजर अंदाज कर कह रहे हैं कोई माई का लाल आरक्षण रोक नहीं सकता, दूसरी ओर सवर्ण वोटरों को रिझाने के लिए आदि शंकराचार्य एकात्म यात्रा कर उनकी मूर्ति के लिए धातु संग्रह की राजनीति कर रहे हैं। ताकि हिन्दू वोटों का धु्रवीकरण हो जाए। प्रदेश के सवर्ण वोटर इनके सियासी फंदे में अब नही फंसेंगे। चाहे कितनी यात्रा कर लें। इनकी नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। अब एकात्म यात्रा की बारी है।’

आरक्षण की राजनीति
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगता है कि 15 फीसदी अनुसूचित जन जाति और 21 फीसदी अनुसूचित जन जाति के वोट को अहमियत देना जरूरी है। इसलिए वे दावे के साथ कहते हैं कि प्रमोशन में आरक्षण को कोई माई का लाल नहीं रोक सकता। जबकि हाई कोर्ट ने 2002 के मध्य प्रदेश लोकसेवा प्रोन्नति नियमों को रद्द कर दिया है। इस नियम के तहत एससी, एसटी के सरकारी कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण मिला हुआ था। हाई कोर्ट के इस आदेश से संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत की उस बात को बल मिलता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में आरक्षण पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि प्रदेश में एससी की 35 और एसटी की 47 सीटें हैं। 2013 के चुनाव में भाजपा को एससी की 28 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 4 और बसपा को 3 सीटें मिली थीं। एसटी की 30 सीटें भाजपा को, 15 कांग्रेस को और एक सीट निर्दलीय को मिली थी। शिवराज सिंह चौहान इस साल होने वाले चुनाव में कांग्रेस और बसपा को मिलने वाली सीटें छीनने के लिए आरक्षण की वकालत कर रहे हैं। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन याचिका खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है। लेकिन मुख्यमंत्री ने यह कहकर चौंका दिया, ‘किसी की भी प्रोन्नति वापस नहीं ली जाएगी, कम से कम अभी तो नहीं।’ एक सवर्ण विधायक कहते हैं, ‘जब भाजपा सवर्ण विरोधी रुख अख्तियार कर रही है तो फिर सवर्ण क्या घास काटेंगे? नहीं, भाजपा का वोट इस बार काटेंगे। शिवराज दलित नेता बनने के लिए ऐसा कर रहे हैं जबकि उनके ही शासन में अब तक 36 हजार दलित बेटियां लापता हो गई हैं। सबसे अधिक अजा, जजा जाति की बेटियों की आबरू लूटी जा रही है।’

हवा बनाने की बाजीगरी
पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर का नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा पर सबसे पहले बयान आया कि ‘नर्मदा यात्रा में धनबल से लेकर प्रशासनिक मशीनरी का जमकर दोहन किया गया। यह राजशाही यात्रा है। करोड़ों रुपये फूंक कर हवा बनाने की बाजीगरी है।’ लेकिन दिग्विजय सिंह की यात्रा को बाबूलाल गौर पूरी तरह राजनीतिक करार देते हैं, ‘दिग्गी अपनी इस धार्मिक यात्रा के जरिये मध्य प्रदेश में फिर से प्रवेश करना चाहते हैं।’ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा सेवा यात्रा पर तंज कसते हुए कहा, ‘उनकी नर्मदा यात्रा पूरी तरह से प्रोपेगंडा थी। वो तो रेत की खोज करने के लिए निकले थे। एक महीने पहले उन्होंने अवैध खनन पर रोक लगाई थी और अब रोक शिथिल कर दी है। मुख्यमंत्री ही नहीं उनका पूरा परिवार और मंत्रिमंडल के लोग अवैध खनन में लगे हुए हैं। प्रदेश में अवैध वसूली की जा रही है।’ नर्मदा परिक्रमा से राजनीतिक लाभ के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘दिग्विजय सिंह पहले ही कह चुके हैं कि उनकी यात्रा पारिवारिक और धार्मिक है। जाहिर है कि उनकी यात्रा में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के शामिल होने से लाभ मिलेगा ही। इसलिए भी कि वे प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।’ गौरतलब है कि दिग्गी राजा की नर्मदा परिक्रमा 120 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी।

भ्रष्टाचार की चकाचौंध
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा सत्ता की छाया से दूर नहीं रही। साथ ही उन्होंने इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की ताकि भाजपा की सियासत का अंग बन जाए। हैरान करने वाली बात यह है कि प्रशासनिक तामझाम की वजह से उनकी नर्मदा परिक्रमा चर्चा का विषय बनी। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘आरटीआई से पता चला मुख्यमंत्री की एक आरती के लिए सरकार ने एक इवेंट मैंनेजमेंट कंपनी को 59 हजार रुपये का भुगतान किया। 148 दिन चली इस यात्रा में सिर्फ आरतियों पर ही 1.74 करोड़ रुपये खर्च होना आश्चर्य की बात है। जबकि घर और मंदिरों में आरती पर महज 5-10 रुपये ही खर्च होता है। हिंदू, राष्ट्रवाद और भगवान राम की बात करने वाली भाजपा और उसके मुख्यमंत्री चौहान ने नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में आरती घोटाला कर पूरे हिंदू समाज को शर्मसार किया है।’

सियासी यात्रा का मकसद
शिवराज सिंह चौहान ने सवर्ण वोटरों को साधने के लिए आदि शंकराचार्य एकात्म यात्रा शुरू की। इसलिए कि संघ की रिपोर्ट के अनुसार 65 विधायक चुनाव हार रहे हैं और आधे मंत्री भी। सवाल यह भी है कि जब प्रदेश में उनकी सरकार हर माह दो बड़े भ्रष्टाचार के यज्ञ में शामिल रही तो ऐसी स्थिति में क्या चौथी बार भी भाजपा को जनता कुर्सी पर बिठाएगी? प्रदेश का किसान नाराज है। शिक्षा कर्मी, आंगनबाड़ी कर्मी, कर्मचारी संगठन, चिकित्सा जगत सरकार की नीतियोंं से नाखुश है। देश में मध्य प्रदेश को नंबर एक राज्य बनाने की बात करने वाले मुख्यमंत्री का प्रदेश अस्मत लुटेरों और घोटाले का प्रदेश बन गया है। जैसा कि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल कहते हैं, ‘सीएम का यह दावा भी झूठा निकला कि मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी। राज्य में 12 माह में 23 घोटाले हुए। कुल 2732 करोड़ के घोटाले हुए। इतना ही नहीं, 150 से ज्यादा अधिकारी व कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए और लोकायुक्त के छापों में 30 करोड़ रुपये से अधिक की अनुपातहीन संपत्ति उजागर हुई। भाजपा सरकार वर्ष 2017 में भ्रष्टाचार के मामले में भी अव्वल रही है।’

किस्म किस्म के घोटाले
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का दावा है, ‘प्याज खरीद में 11 करोड़, दाल खरीद में 250 करोड़, डीजल खरीद में 200 करोड़, रेरा में 180 करोड़, पौधरोपण में 700 करोड़, आरटीआई में 80 करोड़, कटनी में बिजली के पोल की शिफ्टिग में 1 करोड़, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में 10 करोड़, सिर्फ भोपाल में मनरेगा में फर्जी जॉब कार्ड में 100 करोड़, स्मार्ट फोन खरीद में 80 करोड़, गुना के मुक्तिधाम निर्माण में 15 करोड़, भोपाल इंदौर में झूला घर में 16 करोड़ और खिलचीपुर नगर पालिका में 61 लाख का घोटाला वर्ष 2017 में हुआ। किसानों के नाम पर प्याज की खरीदारी में व्यापक पैमाने पर घोटाला हुआ। भोपाल की करौंद मंडी में 2000 क्विंटल प्याज को गायब कर दिया गया। वहीं सीहोर में 1700 क्विंटल प्याज को गायब पाया गया। गुना में 90 लाख तो विदिशा में 33 लाख की प्याज गायब। अनुमान है कि लगभग 5000 क्विंटल प्याज खरीदने के बाद सड़ गई। इसी तरह दाल खरीद में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। 250 करोड़ के घोटाले में एक किसान से जहां कई बार दाल खरीदी गई वहीं 950 क्विंटल टन मूंग दाल का कोई हिसाब ही नहीं पाया गया। दो हेक्टयर में 50 क्ंिवटल दाल का उत्पादन बताया गया है। होशंगाबाद की एक समिति ने अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर इटारसी और सिवनी मालवा में दाल खरीदी। गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड दर्ज कराने के लिए मुख्यमंत्री ने नर्मदा के किनारे किनारे छह करोड़ पौधे लगाने का दावा किया था। इन पौधों का तो पता नहीं लेकिन 700 करोड़ का घोटाला सामने आया। जमीनी परिणाम न होने से अभी तक वर्ल्ड रिकार्ड का कोई प्रमाण पत्र नहीं मिला है। इंदौर में 42 करोड़ का आबकारी घोटाला हुआ है जिससे शासन को 34 करोड़ का नुकसान हुआ। बिल्डरों से मकान उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए रेरा कानून को भी धता बताते हुए 1500 करोड़ के भवनों को पूर्ण बता दिया गया। इससे शासन को 241 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई। नर्मदा सेवा यात्रा के नाम पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ब्रांडिंग पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। पहले सरकार ने कहा, जन सहयोग एवं भागीदारी से यह यात्रा की गई। लेकिन सदन में इसी सरकार ने यह जबाव दिया कि ‘21 करोड़ से अधिक सिर्फ विज्ञापन पर खर्च हुए।’

बहरहाल, शिवराज सरकार के पास विपक्ष के गंभीर आरोपों का जवाब नहीं है। वह इस समय हिन्दुओं को भाजपा के पंडाल में एकत्र करने की सियासी यात्राओं का मंत्र फूंक रही है। वहीं विपक्ष को भरोसा है कि इससे प्रदेश की जनता की सोच नहीं बदलेगी और इस बार वह हाथ में जीत की लकीर बनाएगी।