वीरेंद्र नाथ भट्ट

इस्लामी शिक्षा के केंद्र मदरसों को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मुख्य धारा में शामिल कर राज्य, समाज और संवैधानिक व्यवस्था के प्रति जवाबदेह बनाने के कदम से विवाद खड़ा हो गया है। आजादी के बाद से अब तक राज्य, समाज और संवैधानिक व्यवस्था के प्रति जवाबदेही से मुक्त मदरसों को प्रदेश सरकार के आदेश रास नहीं आ रहे हैं। योगी सरकार ने मदरसों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। मदरसों में होने वाली धांधली को रोकने के लिए सरकार ने नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक प्रदेश में संचालित होने वाले सभी मदरसे आॅनलाइन किए जाएंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद् ने एक पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के लॉन्च होने से मदरसा शिक्षा बोर्ड से जुड़े तमाम मदरसों में होने वाली किसी भी अनियमितता को रोकने में मदद मिलेगी।
मदरसा शिक्षा परिषद् का कहना है कि इस पोर्टल के जरिये राज्य के सभी अनुदानित और गैर अनुदानित मदरसों को आॅनलाइन किया जाएगा। इसकी मदद से मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में भी मदद मिलेगी। साथ ही मदरसों की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में भी सरकार को मदद मिलेगी। पोर्टल के लॉन्च होने के बाद वेतन भुगतान, छात्रवृत्ति सहित तमाम दिक्कतों का निपटारा आॅनलाइन किया जा सकेगा। प्रदेश में अभी 8,000 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं जिनमें से 560 को अनुदान मिलता है। अनुदान प्राप्त करने वाले मदरसे के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन मिलता है। मान्यता प्राप्त मदरसों का पोर्टल पर अनिवार्य पंजीकरण के बाद सरकार को मदरसों में शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों और छात्रों की जानकारी मिल सकेगी। पोर्टल पर मदरसों की फोटो भी अपलोड की जाएंगी। साथ ही वेबसाइट पर शिक्षकों के स्वीकृत पद, तैनात कर्मचारी और रिक्त पदों का भी ब्योरा रहेगा। पोर्टल के माध्यम से सभी कर्मचारी और शिक्षक वेतन सहित तमाम बिलों के भुगतान के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। साथ ही अधिकारियों की मंजूरी के बाद कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन को भी सीधे उनके खाते में ट्रांसफर भी कर दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश मदरसा अरबिया एसोसिएशन के महामंत्री मौलाना दीवान साहब जमन कहते हैं, ‘मदरसों का आॅनलाइन पंजीकरण और सत्यापन के आदेश से भाजपा सरकार की मुसलिम विरोधी मानसिकता सामने आ गई है। इस आदेश के जरिये सरकार यह संदेश देना चाहती है कि मदरसे अवैध गतिविधि के केंद्र हैं और सरकार सब कुछ ठीक करने की कोशिश कर रही है।’ योगी सरकार सरकार ने इससे पहले स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में तिरंगा फहराने का आदेश दिया था। साथ ही पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी कराने का भी आदेश दिया था। सरकार के इस कदम का मुसलिम संगठनों की तरफ से विरोध भी हुआ था। मुसलिम संगठनों का कहना था कि इस आदेश से ऐसा लगता है कि सरकार हम पर शक कर रही है।
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद् के सचिव राहुल गुप्ता का कहना है, ‘इस पोर्टल की मदद से मदरसों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने और पारदर्शी व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी। वेतन भुगतान, छात्रवृत्ति सहित तमाम दिक्कतों का निपटारा आॅनलाइन किया जाएगा और बड़े स्तर पर हो रही धांधली को रोका जा सकेगा। अब तक सौ से अधिक मदरसों का पंजीकरण हो चुका है।’ मदरसों के लिए 400 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। बजट में मदरसों को दिए जाने वाले अनुदान के साथ आधुनिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। यानी केवल धार्मिक शिक्षा देकर सरकार से मदद की गुहार लगाना बेकार होगा। मदरसों को अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और कंप्यूटर का ज्ञान देना अनिवार्य होगा। आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था न होने पर सरकार इस वित्तीय वर्ष में मदरसों को कोई आर्थिक मदद नहीं देगी।
राज्य के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने बताया, ‘अनुदान उन्हीं मदरसों को मिलेगा जो इस्लामिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा भी दे रहे हों ताकि इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के साथ मुख्यधारा में आकर रोजगार पाने की स्थिति में भी आ जाएं।’ प्रदेश में केवल 10 फीसदी मदरसों में ही आधुनिक शिक्षा के जरूरी इंतजाम हैं। इनमें गणित, विज्ञान, कंप्यूटर और अंग्रेजी को पढ़ाने की व्यवस्था की गई है। बाकी केवल इस्लामिक शिक्षा ही देते हैं। इनको अब तक अनुदान मिलता रहा है। मदरसा बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक योगी सरकार बनने के एक महीने के भीतर ही प्रदेश के सभी बड़े मदरसा संचालकों को बुला कर स्पष्ट कर दिया गया था कि सरकार केवल उन्हीं मदरसों को अनुदान देगी जिनमें गणित, विज्ञान, कंप्यूटर और अंग्रेजी पढ़ाने के लिए जरूरी संसाधन और शिक्षक होंगे। इस व्यवस्था पर अब अमल भी शुरू कर दिया गया है।

मदरसा शिक्षा का बुरा हाल
प्रदेश में मदरसा शिक्षा का बुरा हाल है। मान्यता प्राप्त करीब 8,000 मदरसों के अलावा प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त हजारों मदरसे संचालित हैं। इनमें केवल इस्लामिक शिक्षा ही दी जाती है। राजधानी लखनऊ के कंधारी लेन में मदरसा संचालित करने वाले हाफिज मोहम्मद सरफराज कहते हैं, ‘मदरसों के लिए आधुनिक शिक्षा के इंतजाम जुटाना टेढ़ी खीर होगा। हमारे पास जो सरकारी इमदाद आती है, उसमें केवल जारी व्यवस्थाओं को ही कायम रख पाना संभव है। इनके अतिरिक्त नए इंतजाम कर पाना बहुत मुश्किल होगा।’ अकबरी गेट इलाके में रहने वाले मदरसा छात्र इकराम अली का कहना है, ‘अब तक हमें अंग्रेजी और कंप्यूटर की शिक्षा के लिए अलग से रुपया खर्च करना पड़ता है। मगर सरकार के इस नियम के चलते हो सकता है कि मदरसों में भी ये व्यवस्था शुरू कर दी जाए। इससे छात्रों को काफी लाभ होगा।’ पोर्टल के माध्यम से परिषद् की मुंशी/ मौलवी/आलिम/कामिल एवं फाजिल स्तर की 2018 की परीक्षा भी संपन्न कराई जाएगी।
हज राज्य मंत्री मोहसिन रजा के मुताबिक, ‘प्रदेश में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। इन मदरसों को फंड कहां से मिल रहा है सरकार को इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी। इसके अलावा मदरसों में पढ़ाई जाने वाली शिक्षण सामग्री या सिलेबस भी कई बार विवादों में आती रही है। इसलिए राज्य सरकार ने मदरसों के संचालन में आ रही इन शिकायतों को सुनने के बाद ये फैसला लिया है। कई मदरसे ऐसे हैं जो राज्य सरकार से भी आर्थिक सहायता पाते हैं और उन्हें कई दूसरे स्रोतों से भी पैसा मिलता है। सरकार इन पर निगाह रखना चाह रही है। सरकार मदरसों के प्रबंधन का एकसूत्रीकरण करना चाहती है ताकि मदरसों की पूरी गतिविधियों पर राज्य सरकार की निगाह रहे।’ राज्य सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता मुहम्मद शाहिद कहते हैं, ‘योगी सरकार वैसे ही कदम उठा रही है जिससे राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़े। राज्य सरकार को मदरसों को अलग आईने में नहीं देखना चाहिए।’ 