राकेश चंद्र श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में कतर्निया जंगल से घिरे गांव टेड़िया में गरीबी से जूझती भानमती वन ग्रामवासियों को नागरिक अधिकार दिलाने और गरीब महिलाओं की आज ध्वजवाहक बन गई हैं। भानमती के त्याग और बहादुरी के नाते उसे भारत की उन सौ ताकतवर महिलाओं मे शामिल किया गया है जिन्होंने गरीब महिलाओं की आवाज बुलंद की है। उन्हें 22 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ भोज में शामिल होने का मौका मिला। राष्ट्रपति भवन में ही एक सम्मान समारोह में उन्हें सम्मानित भी किया गया।

अपने परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के साथ भानमति
अपने परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के साथ भानमति

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव वंदना गुप्ता ने पहली जनवरी को पत्र भेजकर भानमती को राष्ट्रपति भवन आने का बुलावा भेजा था। दलित समाज की भानमती फल बेचकर और ट्रेनों में पल्लेदारी कर अपनी जीविका चलाती हैं। बहराइच के मिहींपुरवा विकास खंड के सात वन ग्रामों में से एक टेड़िया भी है। यहां के मजदूर शिवबरन की पत्नी भानमती (42) को 10 साल पहले लोग घरेलू महिला के रूप में जानते थे। अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए भानमती और उनके पति दिन रात मजदूरी करते थे। वनग्राम के ग्रामीणों को उस समय तक कोई नागरिक अधिकार नहीं मिला था। इसी बीच सामाजिक संस्था देहात ने वन ग्रामीणों पर काम शुरू किया तो भानमती 150 साल से नागरिक हकों से वंचित वन ग्रामीणों को अधिकार दिलाने वाले आंदोलन से जुड़ गर्इं। जल्दी ही वह अपनी बात लोगों तक पहुंचाने की कला में निपुण हो गर्इं। साथ ही  महिलाओं की टोली का नेतृत्व करने लगीं। अनपढ़ होने के बावजूद सीखने व बोलने की क्षमता ने जल्द ही भानमती को एक महिला अगुवाकार की भूमिका में खड़ा कर दिया।

यूपी की 12 ताकतवर महिलाएं

भानमती – बहराइच, उर्मिला भार्गव – नोएडा, स्वाति मेहरोत्रा – गाजियाबाद, सुरती नागवंशी – वाराणसी, नाजनीन अंसारी – वाराणसी, लक्ष्मी शिकरवार – फिरोजाबाद, पूर्णिमा बर्मन – लखनऊ, ऊषा विश्वकर्मा – लखनऊ, बेगम शहनाज – लखनऊ, प्रकाशो – बागपत, डॉ लक्ष्मी – मथुरा, प्रतिभा शर्मा – मथुरा

उन्होंने सूचना के अधिकार, नरेगा, मानवाधिकार, महिला अधिकार, बाल अधिकार के मुद्दों पर प्रशिक्षण हासिल किया और सक्रिय नेता के रूप मे कुव्यवस्थाओं के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। भानमती ने पहली बार कोटे के भ्रष्टाचार के खिलाफ सामूहिक रूप से 54 आवेदन पत्र डलवाकर नए युग का सूत्रपात किया। सफलता की बुलंदी पर चढ़ते देख वनग्राम की महिलाओं का एक बड़ा समूह भानमती के नेतृत्व में आ गया। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन किया। एक बार भानमती ने वन ग्रामीणों की मांगों को लेकर मोतीपुर से बहराइच तक 70 किलोमीटर की पदयात्रा कर बहराइच जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। उनके संघर्ष का ही असर था कि जिला प्रशासन की ओर से वन ग्रामीणों को मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड और आधार कार्ड मिलने शुरू हो गए। इस दौरान उन्हें कई यातनाएं भी सहनी पड़ी पर वह डरी नहीं। भानमती वनग्राम अधिकार मंच की अध्यक्ष भी हैं। 10 ग्राम पंचायतों की करीब 3000 महिलाओं के साथ वह अधिकारों को लेकर वह संघर्ष कर रही हैं। भानमती के चार पुत्र व एक पुत्री हैं।

कैसे हुआ चयन

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के साथ मिलकर वोटिंग के जरिए महिला हकों के लिए लड़ने वाली महिलाओं को चयनित करने का अभियान शुरू किया। विश्व भर से हुई वोटिंग के जरिए भानमती भारत की सौ शक्तिशाली महिलाओं में चुनी गर्इं। इसी के साथ भानमती उत्तर प्रदेश की 12 ताकतवर महिलाओं में भी शुमार हुर्इं।

क्या कहते है समाज के प्रबुद्ध वर्ग

उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव एवं बहराइच के जिलाधिकारी रहे डॉ ओम प्रकाश का कहना है कि भानमती ने संघर्ष कर इस मुकाम को पाया है जो बहराइच के लिए गर्व की बात है। वह जब बहराइच के जिलाधिकारी थे तभी उन्होंने भानमती में संवेदना और गरीबों के लिए लड़ने का जज्बा पाया था। समाज सेविका महिमा श्रीवास्तव का कहना है कि भानमती दलित समाज से है। इस तबके का समाज में हमेशा शोषण हुआ है। अपने संघर्ष और ताकत के बल पर भानमति का राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना इस तबके की महिलाओं के लिए गौरव की बात है।

व्यापार मंडल के संरक्षक श्यामकरन टेकड़ीवाल का कहना है कि भारत की सौ ताकतवर महिलाओें मे पहुंचकर भानमती ने बहराइच का मान बढ़ाया है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ भोजन करना व राष्ट्रपति का भानमती को सम्मानित करने को कभी भुलाया नहीं जा सकता। युवा समाज सेवी मोहम्मद सलीम का कहना है कि भानमती को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित करना बहराइच सहित पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है। दलित वंचित समाज से आकर जिस तरह से भानमती ने संघर्ष किया है वह महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। लोकतंत्र रक्षक सेनानी सरदार जोगेंद्र सिंह का कहना है कि अपने परिवार के पांच बच्चों का लालन-पोषण, मजदूरी और रेलवे स्टेशन पर पल्लेदारी करते हुए उन्होंने जिस तरह का काम किया है वह बेमिसाल है। भानमती को पूरा बहराइच सलाम करता है।