खडूूर साहिब उपचुनाव : इतनी चुप्पी क्यों?

चंडीगढ़। पंजाब के खडूर साहब में सब चुप हैं। न उपचुनाव का शोर है न दीवारों पर पोस्टर। लग ही नहीं रहा यहां उपचुनाव हो रहा है। यहां अभी भी सामान्य माहौल है। इसके विपरीत पूरे पंजाब में सियासी हलचल अपने चरम पर है। लग रहा है आज कल में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। खूब सियासी पेंच लड़ाए जा रहे हैं जबकि यहां विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं। इसकी तैयारी में हर दल पूरी शिद्दत से जुड़ा है। यही वजह है कि खडूर साहब उपचुनाव पंजाब की राजनीति में गौण सा लग रहा है।

उपचुनाव सत्ताधारी दल लड़ रहा है। बाकी विपक्ष दल बाहर है। कांग्रेस व आप पहले ही उपचुनाव से बाहर हो गई थी। ऐसे में यहां कोई विपक्ष बचा ही नहीं। ओपिनियन पोस्ट संवाददाता ने यहां का दौरा किया तो साफ हो गया कि यहां से अकाली दल उम्मीदवार रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा  की जीत लगभग पक्की है क्योंकि मैदान में दूसरा कोई मजबूत उम्मीदवर है ही नहीं। यही वजह है कि इस उपचुनाव का कोई शोर नहीं है। सब  मान कर चल रहे है अकाली दल के उम्मीदवार की जीत पक्की है। अब सवाल यह है कि इस जीत से अकाली दल को मिलेगा क्या?

अकाली दल पंजाब में नौ साल से सत्ता में हैं। खडूर साहिब की जीत अकाली दल की मुश्किल को आसान करती तो कतई नजर नहीं आ रही है क्योंकि बाकी पंजाब के  मतदाता ने अकाली दल को खारिज करना शुरू कर दिया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकाली दल की रैलियों के प्रति आम आदमी में अब पहले जैसा जोश नहीं है। अकाली दल की यह मुश्किल भाजपा  भी कम करती नजर नहीं आ रही है। हालांकि भाजपा ने एक बार फिर से अकाली दल के साथ ही गठबंधन में चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। दिल्ली में पिछले दिनों  भाजपा कोर ग्रुप की मीटिंग में भी ज्यादातर भाजपाई इस पक्ष में थे कि अकाली दल के साथ ही गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। ऐसा करना भाजपा की मजबूरी भी है। भाजपा अकेले अपने दम पर विधानसभा चुनाव में उतरने का जोखिम नहीं ले सकती। विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा ने अकाली दल पर कई बार आरोप लगाए। ऐसे में यदि अब वे अकाली दल के साथ विधानसभा में जाते हैं तो विपक्ष को गठबंधन के खिलाफ एक ओर मुद्दा बैठे बिठाए मिल जाएगा।

भाजपा की नई परेशानी नवजोत कौर सिद्धू

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुई पंजाब डिप्टी सीएम सुखबीर बादल की बैठक के बाद अमृतसर की विधायक और सीपीएस  नवजोत कौर सिद्धू ने विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर लडऩे से इनकार कर दिया है। जबकि उनके पति नवजोत सिंह सिद्धू विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रचार करेंगे। यह निर्णय भाजपा अकाली दल गठबंधन के लिए बड़ा झटका है। अमृतसर से एक लंबे अरसे से नवजोत सिंह सिद्धू गायब हैं यहां तक कि लोकसभा चुनाव में भी वे सक्रिय नहीं हुए। ऐसे में अब उनकी पत्नी का यह ऐलान कि अकाली से गठबंधन हुआ तो भाजपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगी बड़ा झटका साबित हो सकता है।

उन्होंने कहा कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगी लेकिन समय बताएगा कि वह आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगी या फिर किसी और राजनीतिक दल मेंशामिल होंगी। काफी समय से यह चर्चा भी चल रही है कि नवजोत सिंह सिद्धू पर आम आदमी पार्टी नजर जमाए हुए है। उन्हें आम आदमी पार्टी सीएम पद का उम्मीदवार भी घोषित कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो अकाली भाजपा गठबंधन के साथ साथ कांग्रेस के लिए भी यह खतरे की घंटी हो सकता है। सांसद  भगवंत मान आप में सक्रिय हैं। उन्होंने पंजाब के मशहूर कॉमेडियन गुरप्रीत घुग्गी को आम आदमी पार्टी में शामिल कराया। बुधवार को चंडीगढ़ में उनके क्लासमेट रहे भगवंत मान ने घुग्गी को झाड़ू थमाई। इस दौरान पार्टी नेता संजय सिंह भी मौजूद थे। नवजोत सिंह सिद्धू भी टीवी से जुड़े हैं। ऐसे में उनके भगवंत मान से अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में यह नवजोत सिंह सि्द्धू और उनकी धर्मपत्नी नवजोत कौर सिद्धू के भाजपा के प्रति तल्ख तेवर कुछ इशारा तो कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

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