निशा शर्मा।
पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के क़रीब तीन भारतीय सैनिकों को मारा है और इनमें से एक सैनिक के शव के साथ बर्बरता की। जिसके बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
पहले भी हैं बर्बरता के कई उदाहरण
हालांकि हमेशा की तरह पाकिस्तान ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पाकिस्तान ने किसी शव के साथ बर्बरता का सलूक किया हो।इससे पहले 30 अक्तूबर को सैनिक मनदीप सिंह की हत्या के बाद शव को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
2013 में भी इसी तरह का मामला उछला था, जब भारतीय सेना ने दावा किया कि नियंत्रण रेखा पर लांस नायक हेमराज का सिर कटा हुआ पाया गया।
दोनों देशों के बीच कारगिल की जंग के दौरान भी सैनिकों के शवों के साथ ऐसी बर्बरता की गई थी।5 मई ,1999 को कैप्टन सौरभ कालिया अपने साथियों के साथ लद्दाख के बटालिक में बजरंग पोस्ट पर पैट्रोलिंग कर रहे थे तभी पाकिस्तानियों ने इनको साथियों सहित बंदी बनाया था। तीन हफ्ते बाद उनके शव क्षत-विक्षत हालत में सेना के पास लौटाए गए थे। लौटाए गए शवों की हालत ऐसी थी कि उनकी पहचान करना भी मुश्किल हो गया था।
कैप्टन सौरभ कालिया के पिता एन के कालिया ने भारतीय शवों के साथ पाकिस्तान की बर्बरताओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की मांग की थी साथ ही मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया। एन के कालिया से ओपिनियन पोस्ट ने भारतीय शवों के साथ बर्बरताओं को ना रुकने की वजह जाननी चाही तो एन के कालिया ने कहा कि- “यह बर्बरताएं कभी नहीं रुकेंगी इसकी एक वजह तो यह है कि पाकिस्तान इन बातों को कभी नहीं स्वीकारेगा कि उसने यह जघन्य अपराध किया है, क्योंकि झूठ उसके डीएनए में है। दूसरा भारत का रवैया पाकिस्तान के लिए नर्म रहा है। जिसकी वजह से वह अपनी क्रूरता को अमन, चैन की बातचीत के तले ढक लेता है। मेरे बेटे के साथ जो हुआ वह आज भी भारतीय सैनिकों के साथ हो रहा है और होता रहेगा। हम जब तक दोनों देशों के रिश्तों के नाम पर पाकिस्तान की जघन्यता को अनदेखा करेंगे पाकिस्तान को उतनी ही शय मिलती रहेगी। पाकिस्तान का इतिहास गवाह है कि उसने हमें (भारत को) कभी कुछ नहीं दिया सिवाए दर्द के। पाकिस्तान भारत में नकली नोटों का कारोबार चलाता है, आतंकियों की घुसपैठ करवाता है, मासूम भारतीयों की जानों से खेलता है और हम उसे बदले में व्यापार देते हैं, उसके साथ मैच खेलते हैं, उसके कलाकारों को अपने यहां रुतबा और काम देते हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान हमें संवेदनशील मानकर अपनी असंवेदनशीलता से हमारा गला काटता है।”
क्या है कानून ?
ना तो सैनिकों के शव क्षत-विक्षत करने के आरोप नए हैं और ना ही उन पर दी जाने वाली सफ़ाई। सैनिकों के शवों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए, इस बारे में अंतरराष्ट्रीय कानूनों में पर्याप्त निर्देश दिए गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत जिनेवा कनवेंशन से लेकर ऑक्सफ़ोर्ड मैनुअल तक में, साफ़ कहा गया है कि शवों के साथ किसी तरह की बदसलूकी की इजाज़त किसी देश की सेना को नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शवों से बर्बरता के मामले को उठाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई असरदार मंच नहीं है। हालांकि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट है, लेकिन दिक्कत ये है कि ना तो भारत इसका हिस्सा है और ना ही पाकिस्तान।