अाेपिनियन पाेस्ट ।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया है। जिसके बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘इसके खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे और चाहेंगे कि सीजेआइ इस पर कोई निर्णय न ले, चाहे वह सूचिबद्धता को लेकर हो या कोई और सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय लेगा हम स्वीकार करेंगे।‘ बता दें कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया। नायडू के अनुसार, इसमें सीजेआइ के दुर्व्यवहार को साबित करने वाले पर्याप्त सबूतों की कमी थी।
सिद्ध नहीं हुआ आरोप
नायडू ने कहा, ‘महाभियोग प्रस्ताव में लगाए गए सभी पांच आरोपों पर मैंने गौर किया और इसके साथ लगे दस्तावेजों की जांच की। प्रस्ताव में जिक्र किए गए सभी तथ्यों के जरिए मामला नहीं बनता जो सीजेआइ को दुर्व्यवहार का दोषी बताए।’ सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव के खारिज किए जाने के बाद दीपक मिश्रा समेत सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने मिलकर 20 मिनट की बैठक की। रिपोर्टों के अनुसार, फैसला करने से पहले राज्यसभा अध्यक्ष के तौर पर नायडू ने कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों से मामले पर चर्चा की। इस प्रस्ताव पर हुई चर्चा के एक दिन बाद खारिज करने का नोटिस आया। 20 अप्रैल को कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी पार्टियों ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (4)-217(1) के तहत सीजेआइ को हटाने की मांग करते हुए राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव पर सदन के मौजूदा 64 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे।
महाभियोग प्रस्ताव पर दोनों सदनों की मंजूरी आवश्यक
किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव पर संसद के दोनों सदनों की मंजूरी जरूरी होती है। संसद के दोनों सदनों में से किसी भी एक सदन में महाभियोग का प्रस्ताव लाया जा सकता है। लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव आने के लिए कम से कम 100 सदस्यों का प्रस्ताव के पक्ष में हस्ताक्षर जरूरी है, वहीं राज्यसभा में इस प्रस्ताव के लिए सदन के 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। जब किसी भी सदन में यह प्रस्ताव आता है, तो उस प्रस्ताव पर सदन का सभापति या अध्यक्ष उस प्रस्ताव को स्वीकार या खारिज कर सकता है। संविधान के अनुसार, न्यायाधीश को केवल महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 124 (4)-217(1) में सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के जज को हटाए जाने का प्रावधान है। ये सदस्य संबंधित सदन के पीठासीन अधिकारी को जज के खिलाफ महाभियोग चलाने की अपनी मांग का नोटिस दे सकते हैं। प्रस्ताव पारित होने के बाद संबंधित सदन के अध्यक्ष तीन जजों की एक समिति का गठन करते हैं।