गुजरात में सत्‍ता परिवर्तन कितना चुनावी ?

अहमदाबाद। प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष विजय रूपाणी ने गुजरात के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले ली है। रूपाणी काफी आक्रामक नेता माने जाते हैं। वह आनंदीबेन सरकार में ट्रांसपोर्ट,  जलापूर्ति,  श्रम और रोजगार विभाग के कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने गुजराती में शपथ ली। गवर्नर ओपी कोहली ने उन्‍हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके बाद उपमुख्‍यमंत्री के रूप में नितिन पटेल ने शपथ ली। सौरभ पटेल समेत 9 मंत्रियों को हटाया गया। पटेल कम्युनिटी से 8 मंत्रियों ने शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे। 1 अगस्त को आनंदीबेन ने फेसबुक पर इस्तीफे की घोषणा की थी। सूत्रों की मानें तो गुजरात की सत्‍ता में यह परिवर्तन अगले वर्ष विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लाया गया है, लेकिन यह कितना कारगर साबित होगा, यह देखने वाली बात होगी। जिस प्रकार दो घंटे में विजय रूपाणी गुजरात के शाह बन गए, उससे यह साफ हो गया है कि उनमें चुनावी करामात दिखाने की कोई न कोई खासियत जरूर होगी। इस संदर्भ में संकेत मिले हैं कि गुजरात में ‘पटेल फैक्टर’  की बजाय ‘मोदी फैक्टर’ पर ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा। मोदी खुद को किसी जातीय दबाव में झुका हुआ दिखना पसंद नहीं करते। जो तेज चलेगा, खुद को बेस्ट मानेगा, वह पीछे रहेगा। सवाल यह है कि क्‍या रूपाणी इस मानक को पूरा करते हैं।

60 साल के रूपाणी का जन्म रंगून (म्यांमार) में 2 अगस्त, 1956 हुआ था। तब उनके पिता वहां कारोबार करते थे। 1960 में वह परिवार के साथ राजकोट आ गए थे। जैन समुदाय के विजय रूपाणी गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री बने हैं। 1980 में भाजपा ज्वाइन करने से पहले इमरजेंसी के दौरान रूपाणी मीसा के तहत जेल में भी रहे। उन्हें नरेंद्र मोदी और अमित शाह का करीबी माना जाता है। उन्हें भाजपा संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। वह लगातार चार बार प्रदेश भाजपा के महासचिव भी रहे हैं। उधर, पाटीदार आरक्षण आंदोलन की अगुआई करने वाले हार्दिक पटेल ने गुजरात के नए मुख्‍यमंत्री को अमित शाह का आदमी बताया है। उन्होंने कहा कि रुपाणी शाह के करीबी हैं। उनके बहाने शाह ही गुजरात चलाएंगे। इससे भाजपा को कोई फायदा नहीं होने वाला है। देशद्रोह मामले में आरोपी हार्दिक पटेल फिलहाल जमानत पर हैं। उन्हें 6 महीने गुजरात से बाहर बिताने का आदेश दिया गया है।

दरअसल, नरेंद्र मोदी का गृह राज्‍य बीते कुछ महीनों से आंदोलनों से जूझ रहा है। एक तरफ पटेल कम्युनिटी कोटा दिए जाने की मांग कर रही है, वहीं दलितों की पिटाई पूरे देश में चर्चा का मुद्दा बनी। अगले साल गुजरात में विधान सभा चुनाव हैं। इन मुद्दों का प्रदेश की राजनीति पर असर पड़ सकता है। शुक्रवार को विधायक दल की बैठक में अमित शाह ने ऐन वक्त पर रणनीति बदलते हुए मुख्‍यमंत्री पद के लिए रूपाणी के नाम की घोषणा कर दी। शनिवार को रूपाणी ने गवर्नर ओपी कोहली से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

 

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