अभिषेक रंजन सिंह

गुजरात में चुनावों की सरगर्मी उतनी कभी नहीं देखी गई जितनी इस बार। कांग्रेस जीएसटी और पाटीदार आंदोलन को भाजपा के खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। वहीं भाजपा विकास को अपना कवच मान रही है। जबकि गुजरात की जनता के समक्ष जीएसटी और पाटीदार आरक्षण आंदोलन के अलावा और भी कई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा जरूरी है। गुजरात की कुल 182 सीटों पर दो चरणों में नौ और चौदह दिसंबर को मतदान होना है। पहले दौर में 89 सीटों पर मतदान होगा। वे सभी कच्छ-सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात क्षेत्रों में आती हैं। पाटीदारों और ठाकोर (क्षत्रिय-ओबीसी) का गढ़ कहे जाने वाले इस इलाके में फिलहाल सत्ताधारी भाजपा मजबूत है। लेकिन इस बार यहां उसे कई मोर्चांे पर चुनौती मिल रही है। मनसुख भाई पटेल का सूरत में कपड़े का कारोबार है। इनसे मेरी बातचीत हरिद्वार से वलसाड जाने वाली ट्रेन में हुई। मनसुख भाई ने बताया कि वे पाटीदारों में लोकप्रिय स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायी हैं और अपने पूरे जत्थे के साथ हरिद्वार का दर्शन कर वापस लौट रहे हैं।

मनसुख भाई के बहाने मैंने ट्रेन में मौजूद कारोबारियों की राय जाननी चाही कि गुजरात के कारोबारियों पर जीएसटी का कितना असर पड़ा है? बिना देरी किए उन्होंने कहा कि ‘जीएसटी की वजह से गुजरात दस साल पीछे चला गया। उनके मुताबिक नोटबंदी की मार किसी तरह व्यापारियों ने सहन कर ली। लेकिन जीएसटी ने तो बाजार को मंदी में धकेल दिया। इसी बीच साथ बैठे हितेश भाई ने पाटीदारों का जिक्र छेड़ दिया। क्या हार्दिक पटेल की वजह से पाटीदारों के मतों में विभाजन होगा? हितेश भाई बताते हैं, ‘हार्दिक पटेल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि अनामत (आरक्षण) के बहाने कई उपजातियों में बंटे पाटीदारों के बीच आपसी दूरियां कम हुर्इं।’ बाबू भाई वघानिया का सूरत में हीरे का बड़ा कारोबार है। पाटीदार समाज से संबंध रखने वाले वघानिया के मुताबिक, ‘आरक्षण आंदोलन से अधिक जीएसटी को लेकर लोगों खासकर पाटीदारों में नाराजगी है। जीएसटी से छोटे कारोबारियों को गहरी क्षति हुई है। इसलिए सरकार से वे नाराज हैं।’ राजकोट की रहने वाली जयश्री बेन यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं। उनकी इच्छा है कि भाजपा इस बार भी सत्ता में आए, क्योंकि भाजपा के शासन में ही गुजरात सुरक्षित है। जयश्री कहती हैं, ‘कुछ लोग जीएसटी और नोटबंदी को लेकर सरकार की आलोचना करते हैं, लेकिन गुजरात में हुए बुनियादी विकास की कोई चर्चा नहीं करता। गुजरात एक सरहदी राज्य है इसकी सीमाएं पाकिस्तान से सटी हैं। यह राज्य हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रहा है, लेकिन सरकार की सख्ती और मुस्तैदी की वजह से गुजरात में शांति है।’ अमरेली जिले के जगदीश सारंग के पास छह एकड़ जमीन है। गन्ना, मूंगफली, ज्वार और गेहूं उनके यहां की मुख्य फसल है। लेकिन फसलों की उचित कीमत नहीं मिलने से वह दुखी हैं, ‘गुजरात में लोगों को पर्याप्त बिजली मिल रही है, लेकिन किसानों के हिस्से की बिजली में कटौती की जा रही है।’ सूरत में हीरा कारोबारी बाबू भाई वघानिया जीएसटी को सरकार का सही फैसला करार देते हैं। उनका कहना है, ‘इसका विरोध वही लोग कर रहे हैं जो बगैर टैक्स दिए कच्चा कारोबार कर रहे हैं। फिलहाल इससे परेशानियां हो रही हैं लेकिन आने वाले दिनों में इसकी प्रक्रिया बेहद आसान हो जाएगी।’ उनके मुताबिक, ‘कांग्रेस के लिए चुनाव में जीएसटी एक अहम मुद्दा है। लेकिन इसका चुनावी फायदा उसे नहीं मिलेगा। पिछले बीस वर्षों में गुजरात का काफी विकास हुआ है और इसका श्रेय मौजूदा राज्य सरकार को जाता है।’ पाटीदारों के लिए अनामत यानी आरक्षण की मांग कर रहे हार्दिक पटेल की मांगों को भरूच के रहने वाले जयंत पटेल गैर मुनासिब मानते हुए कहते हैं, ‘पाटीदारों को आरक्षण देना जरूरतमंदों की हकमारी करने जैसा है।’