ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो।
यूपी में विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होने में अब एक महीने से भी कम का वक्त बचा है। लेकिन दो फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी के घमासान के बीच साइकल चुनाव चिह्न पर चुनाव आयोग अभी तक कोई फैसला ले पाया है । आज दिन भर की लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने सुरक्षित रख लिया है। गो सकता है देर रात या कल इस बारे में फैसला आए ।
इससे पहले आज सुबह समाजवादी पार्टी के दोनों गुटों के नेता सुबह चुनाव आयोग पहुचे । साइकल चुनाव चिह्न मुलायम या अखिलेश गुट में किसका होगा, इस विवाद को लेकर तीनो मुख्य चुनाव आयुक्त दोनों चुनाव आयुक्तों और विधिक टीम ने सुनवाई शुरू की । अखिलेश और मुलायम, दोनों के गुट सुबह से ही चुनाव आयोग के दफ्तर में डटे थे। अखिलेश खेमे के नेता कई दिन से दिल्ली में कैंप किए हुए थे । चुनाव आयोग में जवाब देने से पहले सुबह रामगोपाल यादव का घर अखिलेश खेमे के लिए वॉर रूम बना हुआ दिखा । रामगोपाल यादव के दिल्ली के लोधी एस्टेट हाउस पर सपा के सांसद और अन्य नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो चुका था । इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने मुलायम सिंह से साइकिल से दावा वापस लेने की अपील तक की ।
बता दें कि समाजवादी पार्टी के दोनों गुट ने खुद को असली समाजवादी पार्टी बताते हुए साइकल सिंबल पर अपना दावा ठोंका है। मुलायम और शिवपाल 12 बजे के करीब चुनाव आयोग पहुंचे। कुछ देर बाद ही अखिलेश खेमे की कमान संभाले रामगोपाल यादव भी आयोग के दफ्तर पहुंचे । चुनाव आयोग में मुलायम की तरफ से वरिष्ठ वकील मोहन पाराशरन, एन हरिहरन और एमसी धींगरा ने प्रतिनिधित्व किया जबकि अखिलेश गुट की पैरवी कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने की ।
सबसे पहले अखिलेश यादव के खेमे ने अपनी बात रखी। जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके पास 2 तिहाई बहुमत है लिहाजा ‘साइकिल’ उन्हीं को मिलनी चाहिए। कपिल सिब्बल ने आयोग के समक्ष तर्क दिया कि सिंबल आदेश के सेक्शन 15 के मुताबिक पार्टी में प्रतिनिधि, विधायकों, विधान पार्षदों और सांसदों का दो तिहाई से ज़्यादा संख्या अखिलेश के साथ है इसलिए नियमतः चिन्ह उन्हें दिया जाये । सिब्बल ने ये भी कहा कि चुनाव चिन्ह पर विवाद की स्थिति में फैसला बहुमत के आधार पर होता है। जिसका संख्या बल ज़्यादा होता है चिन्ह उसी का होता है।
इसके बाद जब मुलायम गुट की तरफ से जवाब देने की बारी आई तो मुलायम गुट की तरफ से कहा गया कि चुनाव चिन्ह पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का अधिकार होता है । उन्होंने कहा जो गुट समाजवादी पार्टी से अलग हुआ है उसका गठन असंवैधानिक रूप से हुआ है ।
बता दे कि आयोग इस विवाद को 17 जनवरी के पहले सुलझाना चाहता था। क्योंकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के पहले चरण का चुनाव 11 फरवरी को होना है और इसके लिए नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत 17 जनवरी को होगी। क्योंकि चुनाव चिन्ह के बिना किसी भी गुट का उम्मीदवार नामांकन दाखिल नहीं कर सकता था ।