आज एक बार फिर कैराना सुर्खियों में है. भारतीय जनता पार्टी कैराना के उस पलायन की याद दिला रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने दावा किया कि कैराना के जिन परिवारों ने पलायन किया था, उनकी अब वापसी हो गई है. योगी आदित्य नाथ ने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर लखनऊ में एक प्रेसवार्ता के दौरान यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, यह वही प्रदेश है, जहां दंगों का लंबा सिलसिला चला और कैराना से हिंदू परिवारों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.

16 अगस्त 2014.दिन के करीब 12 बजे कैराना के मुख्य बाजार में विनोद कुमार रोज की तरह अपनी दुकान की गद्दी पर बैठे थे, तभी अचानक दो बाइक पर सवार चार बदमाश आए और उन्हें गोलियों से छलनी कर गए. दिनदहाड़े हुई इस वारदात से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. कैराना के दुकानदार दहशत में आ गए. कैराना इस हादसे से उबरने की कोशिश ही कर रहा था कि उसी महीने की 24 तारीख को बाइक सवार बदमाशों ने सरेआम गोली मारकर दो व्यापारी भाइयों शिव कुमार एवं राजेंद्र की हत्या कर दी. शाम के करीब चार बजे शहर के प्रमुख लोहा व्यापारी शिव कुमार उर्फ शंकर पुत्र रामेश्वर (42) और राजेंद्र उर्फ राजू पुत्र महेश (50) पानीपत हाईवे स्थित अपनी दुकान पर बैठे थे, तभी बाइक सवार तीन बदमाश आए और उन्होंने दनादन गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. यह हत्याकांड भी रंगदारी न देने के कारण अंजाम दिया गया. कैराना शहर में मूला पंसारी के नाम से मशहूर किराने की दुकान है. 2014 में उनका पौत्र अभय दुकान चलाता था. रंगदारी का दौर चलने पर इस परिवार को धमकी मिली, पुलिस ने सुरक्षा भी दी, लेकिन मन से दहशत नहीं निकली और अभय दुकान बंदकर सूरत चला गया और वहीं कारोबार करने लगा. गऊशाला के पास स्थित कोल्ड ड्रिंक एजेंसी के मालिक ईश्वर चंद उर्फ बिल्लू से 14 अगस्त 2014 को रंगदारी मांगी गई, उसी दिन मुख्य बाजार में विनोद कुमार की हत्या हो गई. 19 अगस्त को ईश्वर चंद दुकान और मकान बंद करके पानीपत चले गए.

इन सभी वारदातों में एक चीज कॉमन थी कि अपराधी मुस्लिम समुदाय से थे और पीडि़त हिंदू. कैराना और आसपास के इलाकों में बदमाशों का खौफ था, वे दुकानदारों को सरेआम धमकाते थे. पुलिस-प्रशासन का कोई खौफ नहीं था और इसी वजह से कैराना से पलायन शुरू हुआ. आंकड़ों के मुताबिक, कैराना की कुल आबादी करीब एक लाख 77 हजार है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, कैराना में 80 प्रतिशत मुस्लिम और 20 प्रतिशत हिंदू परिवार हैं. पलायन करने वालों में हिंदुओं की संख्या अधिक थी, इसलिए इसे सांप्रदायिक रूप देना आसान था. कैराना से तत्कालीन भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने 2016 में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया, तो राजनीतिक हलकों में भूचाल आ गया. हुकुम सिंह ने 346 परिवारों की सूची जारी करते हुए कहा था कि एक समुदाय विशेष से मिलने वाली धमकियों और अवैध वसूली के कारण उक्त परिवार कैराना से पलायन कर गए. कैराना को कश्मीर बनाने की साजिश का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया था कि रंगदारी न देने पर 10 लोगों की हत्या कर दी गई. जमीनी स्तर पर तमाम पड़तालें हुईं, दावे पर संदेह जताए गए, कई मामले गलत भी पाए गए. मामले को उठाने वाले हुकुम सिंह खुद एक साल बाद इस मुद्दे पर सफाई देने लगे थे. जानकारों के मुताबिक, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक धु्रवीकरण के लिए इस मुद्दे ने ‘आग में घी’ का काम किया और उसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला.

आज एक बार फिर कैराना सुर्खियों में है. भारतीय जनता पार्टी कैराना के उस पलायन की याद दिला रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने दावा किया कि कैराना के जिन परिवारों ने पलायन किया था, उनकी अब वापसी हो गई है. योगी आदित्य नाथ ने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर लखनऊ में एक प्रेसवार्ता के दौरान यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, यह वही प्रदेश है, जहां दंगों का लंबा सिलसिला चला और कैराना से हिंदू परिवारों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा. कैराना और उसके आसपास के लोगों एवं व्यापारियों से बातचीत करने पर योगी आदित्य नाथ की बात सही लगती है. मुख्य बाजार में जिन विनोद कुमार की हत्या हुई थी, उनके भाई वरुण आजकल दुकान संभालते हैं. वरुण को यूपी पुलिस का एक कांस्टेबल मिला हुआ है. वरुण बताते हैं कि वह बहुत बुरा दौर था, भय का माहौल था. उस समय पुलिस-प्रशासन मौन था, व्यापारियों की कोई सुनने वाला नहीं था, आजकल सब ठीक है. कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी है. योगी सरकार आने के बाद स्थिति में काफी बदलाव आया है. व्यापारियों में सुरक्षा का भाव है. गऊशाला स्थित कोल्ड ड्रिंक एजेंसी के मालिक ईश्वर चंद की दुकान खुल गई है, धंधा अच्छा चल रहा है, मन में बस यही चिंता है कि वह दौर दोबारा नहीं आना चाहिए. मुल्ला पंसारी की दुकान भी खुल गई है. दुकान में रौनक है. दुकान अब जेके मित्तल संभालते हैं. मित्तल बताते हैं कि तब दहशत का माहौल था. परिवार को दिक्कत जरूर हुई, लेकिन अब उन्हें यहां कोई डर नहीं है. कैराना के वकील महिंदर सिंह उस दौर और आज के बदलाव पर कहते हैं कि कैराना में हिंदू-मुस्लिम विवाद जैसा मुद्दा कभी नहीं रहा. यहां समस्या कानून व्यवस्था की थी. हां, अपराधी मुस्लिम समुदाय से थे, इसलिए उनके निशाने पर हिंदू व्यापारी ज्यादा होते थे. समाजवादी पार्टी की सरकार थी, असामाजिक तत्वों में पुलिस-प्रशासन का कोई भय नहीं था. अब स्थिति बहुत बेहतर है.