भारत ने बढ़ाई अपनी सामरिक ताकत

नई दिल्ली।

पाकिस्‍तान पर नकेल कसने के लिए भारत ने कई पहल की है। जम्‍मू कश्‍मीर में आतंकियों को पकड़ने के लिए सेना सर्च अभियान चला रही है तो पत्‍थरबाजों से भी निपटने की तैयारी की जा रही है। इसी क्रम में भारत ने अपनी दो मिसाइलों का सफल परीक्षण करके सेना की ताकत बढ़ा ली है। बुधवार को जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के आधुनिक संस्करण का परीक्षण किया गया तो बृहस्‍पतिवार को महत्वकांक्षी अग्नि-2 बैलिस्टिक मिसाइल के व्‍यावहारिक परीक्षण किया गया जिसकी जद में समूचा पाकिस्तान आ गया है।

भारतीय सेना ने बुधवार को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के आधुनिक संस्करण का सफल परीक्षण किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, दक्षिण पश्चिमी कमान स्‍ट्राइक वन कोर ने भूमि पर प्रहार करने वाली क्रूज़ मिसाइल प्रणाली से युक्त अत्याधुनिक ब्रह्मोस का लगातार दूसरे दिन सफल परीक्षण किया। लगातार सफल परीक्षण ने दुर्जेय हथियारों से मार करने की क्षमता को और मज़बूत किया है।

दोनों ही परीक्षणों के दौरान लक्ष्य पर हमले करने के मामले में मिसाइल की सटीकता एक मीटर से भी कम रही। यह लगातार पांचवां मौका है,  जब ब्रह्मोस के इस संस्करण का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया है और भूमि पर हमला करने के मामले में इसकी श्रेणी के किसी अन्य हथियार ने अभी तक यह अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल नहीं की है।

2007 में ब्रह्मोस को अपनाने वाली दुनिया की पहली थल सेना की उपलब्धि पाने वाली भारतीय सेना इस दुर्जेय हथियार की कई अन्य श्रेणियों को विकसित कर चुकी है। इस मिसाइल को संयुक्त रूप से भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम द्वारा विकसित किया गया है।

ये प्रायोगिक परीक्षण सुबह 10.22 बजे ओडिशा तट के एपीजे अब्दुल कलाम परीक्षण रेंज से किया गया। अग्नि 2 बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 2000 किलोमीटर है। अग्नि 2 मिसाइल मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (एमआरबीएम) श्रेणी की है। इसकी री एंट्री व्हीकल (आरवी) में दो सॉलिड फ्यूल स्टेज और एक पोस्ट बूस्ट व्हीकल लगा होता है। री एंट्री व्हीकल कार्बन-कार्बन कम्पोजिट मैटेरियल से बना हुआ है जो उसे उच्च ताप पर संभालने में सक्षम होता है।

2014 में अग्नि-2 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) का परीक्षण किया गया था। रक्षा सेवाओं में पहले ही इसे शामिल किया जा चुका है। यह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा उपलब्ध करवाए गए साजो-सामान के साथ किए जाने वाले प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा है।

इसी तरह नवंबर 2016 में ओडिशा तट से ही अग्नि 1 का सफल परीक्षण किया गया था। यह 700 किलोमीटर तक मार कर सकती है। इस परीक्षण को ओडिशा के तट पर स्थित परीक्षण रेंज से अंजाम दिया गया।

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