विशेष संवाददाता
दिल्ली / इलाहाबाद । इलाहाबाद। मथुरा के जवाहरबाग मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। कोर्ट ने आज सुरक्षित फैसले पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। आपके बता दें कि शहीद एसपी सिटी मुकुल की पत्नी अर्चना समेत कुल 9 लोगों ने सीबीआई जांच के लिए याचिका दाखिल किया था। जनहित याचिका में जवाहर बाग कांड की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की गई है। याचिका पर न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति आरएन कक्कड़ की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।
याचिका में कहा गया है कि जवाहर बाग की घटना में सत्तारूढ़ दल और सरकार में शामिल कई लोगों के अलावा दूसरे प्रदेशों के नक्सली समूहों की संलिप्तता की बात भी सामने आई है। ऐसे में इसकी जांच सीबीआई से कराना आवश्यक है। सरकार घटना में शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को मुआवजा देने में भी भेदभाव कर रही है।
याचिकाकर्ताओ का कहना था कि जवाहर बाग घटना के मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव को सरकार ने मात्र 14 दिन के लिए धरना देने की अनुमति दी थी। इसके बाद वहां पूरा नगर बस गया। असलहे जमा हो गए। यह सब राजनीतिक संरक्षण के बिना मुमकिन नहीं है। राजनीतिक शह के कारण ही पुलिस बेबस हो गई।
आपको बता दें कि दो जून, 2016 को जब जवाहर बाग को खाली कराने के लिए पुलिस गई, तो कब्जाधारी रामवृक्ष के गुर्गों ने हमला कर दिया था। इसमें एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष यादव शहीद हो गए थे। बाग में आग लगा दी गई। रामवृक्ष के सैकड़ों समर्थक जवाहर बाग से बाहर आ गए। सड़क पर भीड़ थी। इन भाग रहे लोगों की भीड़ ने पिटाई की। इनके प्रति पूरे मथुरा में गुस्से की लहर थी।
इस मामले में सभी पक्ष सीबीआई जांच की मांग कर रहा था। कई राजनीतिक दलों का आरोप था कि जवाहर बाग कांड के तार सीएम अखिलेश यादव के परिवार से जुड़े हुए हैं।