नई दिल्ली।

मोदी सरकार ने ऑपरेशन ब्लैक मनी-2 शुरू कर दिया है। इसे ऑपरेशन ब्यूरोक्रेट्स का नाम दिया गया है। इस पूरी कार्यवाही पर ईडी डायरेक्टर कर्नल सिंह नजर बनाए हुए हैं। अब नौकरशाहों पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई है। आईएएस, आईएफएस और बाकी नौकरशाहों के ठिकानों पर छापेमारी जारी है। जिन प्रदेशों में छापेमारी की जा रही है उनमें दिल्ली, गोवा, पश्चिम बंगाल आदि शामिल हैं।

इससे पहले मोदी सरकार के कहने पर प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने 2 अप्रैल को देश भर में अभियान चलाया था, जिसमें 1,000 फर्जी कंपनियों का पता लगा था। इन सबके बारे में कालेधन के संदेह पर देश भर में चलाए गए सर्च ऑपरेशन के बाद पता चला। ईडी ने देश भर में 16 राज्यों में तलाशी अभियान चलाया था।

ये संदेहास्पद कंपनियां ही देश में कालेधन की रीढ़ हैं। अंतिम जानकारी मिलने तक ईडी की टीम कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, पणजी, कोच्चि, बेंगलूरू, हैदराबाद, दिल्ली, लखनऊ, पटना, जयपुर, चंडीगढ़, जालंधर, श्रीनगर, इंदौर और कुछ हरियाणा में कुल मिलाकर 110 ठिकानों पर पहुंची थी।

उत्तर प्रदेश में तीन मामलों में पांच जगहों पर छापेमारी चल रही है। इसके साथ ही यादव सिंह के केस में भी छापेमारी चल रही है। रामेंद्र सिंह के ठिकानों पर भी ईडी की टीम पहुंच चुकी है। रामेंद्र सिंह वही हैं जिन्होंने यादव सिंह केस में पूरे घोटाले का पर्दाफाश किया था। रामेंद्र ने साफ तौर पर बताया था कि किस ब्यूरोक्रेट्स को कितने पैसे दिए गए हैं।

नकली नोटों और कालेधन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बैन कर दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत काले धन की घोषणा करने की अंतिम तारीख 31 मार्च तय की गई थी।

आयकर विभाग ने काला धन रखने वालों को चेतावनी दी थी कि वे स्कीम के तहत काले धन की घोषणा करें या फिर बेनामी लेन-देन कानून के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहें। विभाग ने कहा कि योजना में घोषणा न करने वाले डिफाल्टरों के नाम दूसरी केंद्रीय जांच एजेंसियों को भी दे दिए जाएंगे। ऐसे लोगों पर 137 फीसद तक टैक्स व जुर्माना लगाया जा सकता है।

इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय ने एक अप्रैल को 300 शेल कंपनियों के ठिकानों पर देश भर में छापेमारी की। ये कंपनियां राकांपा नेता छगन भुजबल, वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी और नोएडा के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह जैसे हाईप्रोफाइल लोगों के काले धन को सफेद करती रही हैं।

खास बात यह है कि इनमें से कई कंपनियों ने नोटबंदी के दौरान 500 रुपये व 1000 रुपये के नोट के रूप में रखे गए कालेधन को भी सफेद किया था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने फरवरी के शुरू में ही शेल कंपनियों की कारगुजारियों का जायजा लेते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई करने को एक टास्क फोर्स का गठन किया था।