बृजेश शुक्ल

उत्तर प्रदेश सरकार ने जब यह एलान किया था कि राज्य की तस्वीर बदलने के लिए इन्वेस्टर समिट का आयोजन होगा तब लोगों की यही राय थी कि रोजगार देने के नाम पर एक कर्मकांड और होने जा रहा है। लेकिन इस आयोजन के बाद हवाएं बदली हैं। हवाओं के रुख से महसूस हो रहा है कि उत्तर प्रदेश बदलाव के रास्ते पर चल पड़ा है। बदलाव इसलिए भी लग रहा है क्योंकि पहली बार अब सवाल पूछे जा रहे हैं कि राज्य में कितना पूंजी निवेश होगा। जब इस समिट के बाद राजधानी लखनऊ से मेहमान विदा हो रहे थे उस समय इस समिट पर गहरी नजर जमाए चैक में चिकन का कारोबार करने वाले अजय खन्ना पूछते हैं कि ‘क्या अब चिकन के कपड़े बनाने का कारखाना डाल दिया जाए। नौकरशाही उद्योग लगाने में अडंÞगा तो नहीं डालेगी?’ अब तो लग रहा है कि सरकार व्यापारियों व उद्योगपतियों की नए उद्योग लगाने में मदद करेगी। अब उद्योग व व्यापार के लिए माहौल बन रहा है। यह सवाल बड़ा है। इन्वेस्टर समिट में उद्योग जगत के दिग्गज मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला, गौतम अडानी, आनंद माहिन्द्रा, एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चन्द्रा, टाटा समूह के चेयरमैन एन चन्द्रशेखरन की उपस्थिति में चार लाख अट्ठाइस हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस समिट में पांच सौ कम्पनियों ने पूंजी निवेश के लिए हस्ताक्षर किए। समिट में आए एक उद्योगपति कहते हैं कि ‘यह तो सभी जानते हैं कि पूंजी निवेश के लिए होने वाले सारे समझौते धरती पर नहीं उतरते लेकिन यदि कुल समझौतों के पचास प्रतिशत धन का भी निवेश हो गया तो उत्तर प्रदेश की तस्वीर व तकदीर बदल जाएगी। यदि सरकार द्वारा घोषित योजनाएं भी धरती पर उतर गर्इं तो राज्य विकास के रास्ते पर और तेजी से चल पड़ेगा।’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं, ‘लगभग चार लाख करोड़ की अन्य पंूजी निवेश की योजनाओं के प्रस्ताव विचाराधीन हैं।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर बनाने की घोषणा कर प्रदेश के लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। लगभग एक लाख करोड़ के निवेश से बनने वाले डिफेंस कॉरिडोर का काम अगले माह से शुरू हो जाएगा। भारत सरकार ने राज्य के लिए कई और सौगातें दीं। उत्तर प्रदेश में रेल के दो कारखाने खुलेंगे। वास्तव में पहली बार विकास का केन्द्र बुंदेलखंड को चुना गया है जहां पर अभी तक विकास की किरण नहीं पहुंची। राज्य के लिए यह उपलब्धि भी बड़ी है। यदि प्रधानमंत्री की घोषणा पूरी होती है तो बुंदेलखंड के उन लोगों के भी हालात बदलेंगे जो पिछले डेढ़ दशक से भुखमरी से जूझ रहे हैं। यह कॉरिडोर आगरा से शुरू होकर चित्रकूट तक जाएगा। इसमें एक लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा और लगभग ढाई लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। वहीं रेल विभाग ने भी बुंदेलखंड को ही तोहफा दिया है। एक रेल कोच कारखाना बुंदेलखंड के झांसी और दूसरा बुंदेलखंड से सटे जिले फतेहपुर में खुलेगा। यह दिलचस्प है कि फतेहपुर से मात्र 40 किलोमीटर दूर रायबरेली के लालगंज में एक रेल कोच कारखाना है। झांसी का रेल कोच कारखाना लालगंज के रेलकोच कारखाने से तीन गुना बड़ा होगा। लेकिन रायबरेली के रेल कोच कारखाने की क्षमता 600 कोच प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 3000 कोच प्रतिवर्ष की जाएगी।
उद्योगपतियों को पूंजी निवेश के लिए आकर्षित करने हेतु इतना विराट शो शायद ही किसी राज्य में हुआ हो। राज्य का पूरा तंत्र अपने मेहमानों के लिए पलक पांवड़े बिछाए था। न सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार बल्कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी देश के शीर्ष उद्योगपतियों को आश्वासन दिया कि देश का यह सबसे बड़ा राज्य उनके स्वागत व निवेश के लिए पलक पांवड़े बिछाए है। समिट के लिए लखनऊ को जिस तरह से सजाया गया वैसा सुंदर लखनऊ तो किसी ने अब तक देखा नहीं। वास्तव में वे सारे प्रयास किए जा रहे हैं जिससे राज्य में उद्यमियों को आकर्षित किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगभग चार घंटे तक रुके। राज्य व केन्द्र सरकार ने उद्योगपतियों को विश्वास दिलाया कि उत्तर प्रदेश में अब उन लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जो पूंजी निवेश के लिए रेड कार्पेट की जगह रेड टेप लगाते हैं। वास्तव में पहली बार सरकार ने पूंजी निवेश के लिए ठोस योजना तैयार की है।
स्वयं समिट की सफलता के बाद ये प्रश्न उठ रहे हैं कि आखिर राज्य में ऐसा क्या बदलाव आया जिससे यह कहा जा सके कि उत्तर प्रदेश बदलाव के रास्ते पर चल रहा है। यदि पिछले पन्द्रह सालों का इतिहास देखा जाए तो राज्य में उद्योगपतियों को आकर्षित करने व नए उद्योग लगाने के ढिढोरे खूब पीटे गए।
राज्य के एक प्रमुख व्यापारी बताते हैं कि ‘अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उन लोगों की सोच को कैसे बदलते हैं जो यह मानकर चलते रहे हैं कि बिना घूस के कोई फाइल आगे न खिसकने दो।’ लगभग एक दशक पहले रिलायंस ने खुदरा सामान के लिए रिलायंस फ्रेश नाम से स्टोर खोले थे। उत्तर प्रदेश में ये स्टोर खोलने की तैयारी पूरी हो चुकी थी। लेकिन इससे पहले ही रिलायंस ने उत्तर प्रदेश में रिटेल स्टोर खोलने का फैसला वापस ले लिया।
रिलायंस के इस फैसले को लेकर तरह तरह की चर्चा होती रही। यदि ये स्टोर खुलते तो किसानों व आम लोगों को लाभ होता। यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश को यहां के बाबूराज ने ही बर्बाद किया लेकिन इस तंत्र को नेताओं ने न सिर्फ प्रश्रय दिया बल्कि उद्योगपतियों को दुधारू गाय मानकर धन वसूली के लिए परेशान किया गया। क्या इस बात की जांच नहीं होनी चाहिए कि रिलायंस फ्रेश आखिर उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं खुले? लखनऊ शहर के बीचोबीच अपट्रान की फैक्ट्री बंद पड़ी है। इस फैक्ट्री के कलपुर्जे चोर खोलकर ले गए और किसी सरकार ने यह चिंता तक नहीं की कि लगभग तीस एकड़ क्षेत्र में फैली इस फैक्ट्री को कैसे फिर से चलाया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश भी अब बदलाव के लिए उतावला है। केन्द्र व योगी सरकार ने राज्य में बदलाव की शुरुआत की है लेकिन बाबूराज खत्म नहीं हुआ तो राज्य इस बदलाव के रास्ते पर चलने से चूक जाएगा। इस सोच को बदलना होगा कि उद्योगपति सिर्फ मुनाफे के लिए ही आते हैं इसलिए उन्हें जितना लूटा जा सके, लूट लो। यह आम धारणा है कि राज्य में कानून व्यवस्था बहुत ही लचर रही है। लेकिन अब बदलाव दिख रहा है। पिछले तीन माह में कानून व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कठोर कदम उठाए गए हैं। ताबड़तोड़ चल रहे एनकाउंटर से अपराधियों में खलबली है। इस बदले माहौल में उत्तर प्रदेश ने पहली बार देखा इतना बड़ा सपना। राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ जब इस मेगा शो के मंच की सीढ़ियां चढ़ रहे थे तो वह आत्मविश्वास से भरे थे। वह बोले कि आज जो एमओयू साइन हुए हैं उनकी मॉनीटरिंग स्वयं करेंगे। उनकी सरकार उद्योगपतियों के साथ है। प्रमुख उद्योगपतियों को शामिल कर एक एडवाइजरी बॉडी राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड का गठन किया गया है। साफ है कि वह जानते हैं कि भ्रष्टाचार के तमाम पिछले खेल राज्य को पतन की ओर ले जाते रहे हैं। जब तक बिजली, सड़कें, परिवहन आदि की बुनियादी सुविधाएं नहीं होंगी राज्य में उद्योगपति नहीं आएंगे। उत्तर प्रदेश के बारे में आम धारणा रही है कि यहां पर गुंडे ज्यादा ताकतवर हैं। यही कारण रहा कि पिछले दस साल में डेढ़ लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए लेकिन निवेश नहीं आया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा निवेश राज्य में कराया जा सके।
बड़े उद्योगपतियों से बड़ी उम्मीद
पहली बार देश के शीर्ष उद्योगपतियों ने उत्तर प्रदेश में दिल खोलकर पूंजी निवेश की घोषणाएं कीं। लेकिन सरकारी कंपनियों ने 90 हजार करोड़ रुपये के निवेश के एमओयू साइन कर उद्योगपतियों को टक्कर दी। सबसे बड़ा निवेश ऊर्जा क्षेत्र में होगा जहां पर एक लाख करोड़ रुपये के समझौते हुए। इसमें 67 हजार करोड़ रुपये सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश का प्रस्ताव है। रिलायंस के सीएमडी मुकेश अंबानी ने तीन साल में दस हजार करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया। रिलायंस यह निवेश जियो को गांव गांव तक फैलाने के लिए करेगा। इसके साथ ही उन्होंने रिलायंस फाउंडेशन से गंगा सफाई में मदद का भी एलान किया। गौतम अडानी 35 हजार करोड़, कुमार मंगलम बिड़ला 5 हजार करोड़, सुभाष चन्द्रा ने 19 हजार करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की।

एक जिला एक उत्पाद
उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ठोस योजनाएं तैयार की हैं। राज्य में यह पहली बार हुआ कि पूंजी निवेश के लिए मजबूत तैयारी व ठोस संभावनाओं के साथ उद्योगपतियों को प्रस्ताव दिए गए हैं। राज्य सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना तैयार की है। किस जिले में कौन सा उद्योग फले फूलेगा इसके सर्वेक्षण के लिए सरकार ने बजट की व्यवस्था की है। वास्तव में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में उद्योग की अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार जिलों में उन उद्योगों को आर्थिक व प्रशासनिक दृष्टि से मदद देगी जो उद्योग से संबंधित जिलों के लिए चयनित होंगे। इस साल आलू के दामों में भारी गिरावट के कारण किसान संकट में फंस गए। यदि आलू उत्पादन वाले जिलों में चिप्स बनाने के कारखाने लगे होते तो किसानों को भी भारी नुकसान न होता और हजारों लोगों को रोजगार मिलता। लखनऊ में चिकन उद्योग का डंका पहले से बज रहा है। लेकिन अफसरशाही के मकड़जाल में फंसा यह उद्योग अब अपनी चमक खो रहा है। अलीगढ़ में ताला, फिरोजाबाद में कांच उद्योग, कानपुर में लेदर, आगरा में जूता, सहारनपुर में लकड़ी, खुर्जा में चीनी मिट्टी के बर्तन, मुरादाबाद में पीतल उद्योग, भदोही में कालीन, वाराणसी में बनारसी साड़ी, मेरठ में खेल के सामान का देश व विदेश में नाम है। फर्रुखाबाद व आगरा में आलू, प्रतापगढ़ में आंवला, लखनऊ, अमरोहा व नगीना में आम, इलाहाबाद में अमरूद का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। इन जिलों में इन उत्पादों के आधार पर उद्योग लगाने की तैयारी हो रही है।