विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । पहले इमीग्रेशन बैन और अब ग्रीन कार्ड पर अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की कैंची। सात मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन लगाने के बाद अब अमेरिका की संसद में एक संशोधन प्रस्ताव दिया गया है जिसके मुताबिक अमेरिका अगले 10 साल तक वहां कानूनी तौर पर रहने वाले इमीग्रेंट्स की संख्या को घटाकर आधी कर देगा।
अमेरिका के दो टॉप सीनेटर्स ने इमिग्रेशन आधा करने के लिए सीनेट में एक बिल पेश किया है। इसे ग्रीन कार्ड हासिल करने या अमेरिका में स्थायी निवासी बनने की इच्छा रखने वालों के लिए बड़ी चुनौती समझा जा रहा है। रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर डेविड पर्डू ने ‘रेज एक्ट’ पेश किया है जिसमें हर साल जारी किए जाने वाले ग्रीन कार्ड या कानूनी स्थायी निवास की मौजूदा करीब 10 लाख की संख्या को कम करके पांच लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बिल को ट्रंप प्रशासन का समर्थन प्राप्त है।
यदि यह बिल पास हो जाता है तो इससे उन लाखों भारतीय-अमेरिकियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा जो रोजगार आधारित वर्गों में ग्रीन कार्ड मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बताते चलें कि मौजूदा समय में किसी भारतीय को ग्रीन कार्ड हासिल करने के लिए 10 से 35 साल इंतजार करना पड़ता है और अगर ये बिल पास होकर कानून बन जाता है तो यह समय सीमा बढ़ सकती है। इस बिल में एच-1बी वीजा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है। कॉटन ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि हमारी इमिग्रेशन प्रणाली अमेरिकी कर्मियों के लिए काम करना शुरू करे। ’’ कॉटन ने कहा, ‘‘रेज एक्ट ज़्यादा सैलरी को बढ़ावा देगा जिसके आधार पर सभी काम करने वाले अमेरिकी भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।’’
साल 2015 में 1,051,031 प्रवासी यहां आए थे। इस बिल के पास होने से पहले साल में इमिग्रेंट्स की कुल संख्या कम होकर 6,37,960 रह जाएगी और 10वें साल में यह 5,39,958 हो जाएगी। पर्डू ने कहा, ‘‘हम हमारी कानूनी इमिग्रेशन प्रणाली में मौजूद कुछ कमियों को दूर करने के लिए कदम उठा रहे है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘कानूनी इमिग्रेशन के हमारे ऐतिहासिक रूप से सामान्य स्तरों पर वापस पहुंचने से अमेरिकी नौकरियों और सैलरी के स्टैंडर्ड के सुधार में मदद मिलेगी।’’
‘रेज एक्ट’ अमेरिकी नागरिकों और कानूनी स्थायी निवासियों के पति या पत्नी और नाबालिग बच्चों के लिए इमिग्रेशन प्राथमिकताओं को बरकरार रखेगा। जबकि परिवार के अन्य सदस्य और परिवार के व्यस्क सदस्यों के कुछ वर्गों के लिए प्राथमिकताएं हटा दी जाएंगी। इसमें वीजा लॉटरी को भी समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘डाइवर्सिटी लॉटरी में धोखाधड़ी होती है, इससे कोई आर्थिक या मानवीय हित पूरा नहीं होता। रेज एक्ट इस लॉटरी को मनमाने ढंग से दिए गए 50,000 वीजा समाप्त कर देगा। ’’ इस बिल में रिफ्यूजियों के लिए स्थायी निवास पर जिम्मेदाराना सीमा तय करने का प्रस्ताव पेश किया गया है। रेज एक्ट स्थायी निवास पाने वाले शरणार्थिायों की संख्या को हर साल 50,000 तक सीमित करेगा।
क्या है ये ग्रीन कार्ड
green_cardदरअसल ग्रीन कार्ड नाम की कोई चीज नहीं होती। किसी दूसरे देश से आकर अमेरिका में बसे लोगों को वहां काम करने और रहने के लिए एक कार्ड बनाया जाता है जिसे यूनाइटेड स्टेट्स पर्मानेंट रेसिडेंट कार्ड कहा जाता है । यह कार्ड उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स लॉफुल पर्ममानेंट रेसिडेंसी के तहत दिया जाता है। पहले इसे एलियन रजिस्ट्रेशन कार्ड भी कहा जाता था।
इसके तहत इमीग्रेंट्स को दिए जाने वाले कार्ड का रंग हरा होता है इसलिए यह ग्रीन कार्ड कहा जाने लगा। जिन लोगों को यह कार्ड मिलता है वो अमेरिका में हमेशा के लिए रह सकते हैं और वहां काम कर सकते हैं।
ग्रीन कार्ड्स की वैलिडिटी 10 साल की होती है जिसके बाद इसे या तो रीन्यू कराना होता है या फिर यह नया जारी होता है। ग्रीन कार्ड एक इमीग्रेशन प्रोसेस को भी कहा जाता है जिसके जरिए इमीग्रेंट्स को वहां की पर्मानेंट सिटिजनशिप दी जाती है।
भारतीयों से पैसा वसूलता है अमेरिका जो वापस नहीं देता
भारत से अमेरिका जाकर कमाई करने वाले लोगों से उनकी सैलरी का लगभग 30 फीसदी तक पैसे बतौर टैक्स काट लिए जाते हैं। वो उन्हें वापस तब मिलता है जब वो वहां 5 साल तक काम करते हों। लेकिन इनमें से ज्यादातर 5 साल से पहले ही वापस आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में पैसा वहीं रह जाता है जो अमेरिका की जीडीपी में अहम रोल निभाता है।
ग्रीन कार्ड्स की मुख्य बातें
– हर साल अमेरिका में 10 लाख लोगों को ग्रीन कार्ड दिए जाते हैं.
– ग्रीन कार्ड होल्डर अमेरिका के सिटिजन नहीं होते और न ही वोट कर सकते.
– ग्रीन कार्ड होल्डर्स को वहां के सिटिजन न होने तक अमेरिकी पासपोर्ट नहीं मिलता.
– ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अमेरिकी इनकम टैक्स फाइल करना होता है.
– ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अपनी प्राथमिक सिटिजनशिप अमेरिका की रखनी होती है.
– भारतीयों को ग्रीन कार्ड के लिए करना होता है 10 से 35 साल का इंतजार.
– 50 लाख लोग अभी भी कर रहे हैं ग्रीन कार्ड का इंतजार.