संध्या द्विवेदी। 

पूर्व मुख्यमंत्री का चुटकी भरा अंदाज जनता को पहली बार देखने- सुनने को मिल रहा है। नतीजे आने के बाद से ही अखिलेश यादव का सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का हो गया है। चुनाव के बाद वह लगातार चुटकी ले रहे हैं। उनके इस अंदाज-ए-चुटकी को सुनकर कभी खुशी कभी गम की काजोल के डायलॉग की याद आ गई, तुसी बड़े मजाकिया हो जी..।

सरकार ही नहीं जनता, प्रेस, अधिकारियों और मुख्यमंत्री पर अखिलेश यादव तंज कस रहे हैं। इसे सेंस ऑफ ह्यूमर कहें या खीझ मगर यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद  पहली बार आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने जमकर चुटकी ली।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकारी दफ्तरों में हफ्ते में एक बार स्वचछता अभियान चलाने के आदेश पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘हमें पता होता कि अधिकारी इतनी अच्छी झाड़ू लगाते हैं तो मैं भी लगवाता।’

बूचड़खानों के खिलाफ चलाये जाने वाले अभियान की भी चुटकी ली। उन्होंने कहा, ‘बूचड़खाने बंद होने की बात पर कहा, यूपी के शेर भूखे हैं, करीब मत आना।’

प्रेस की चुटकी लेते हुए कहा, ‘उम्मीद है कि आप लोग रेप के मामलों में योगी की फोटो उसी तरह से लगायेंगे जैसे मेरी लगाते थे।’

अखिलेश यादव 11 मार्च को चुनाव नतीजे आने के बाद दिये अपने इंटरव्यु में जनता द्वारा दिये गये जनादेश की भी चुटकी ली थी। उन्होंने कहा था ‘शायद जनता को मैट्रो नहीं बुलेट ट्रेन चाहिये।’

अखिलेश बोले, एक जाति पर साध रहे निशाना

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार केवल एक जाति के पुलिसवालों को निशाना बना रही है। जाति विशेष के पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड किया जा रहा है, ट्रांसफर किये जा रहे हैं। दरअसल आईपीएस हिमांशु कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। यह वही आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले ट्वीट कर आरोप लगाया था नई सरकार यादव जाति के पुलिसवालों को टारगेट कर रही है। जाति विशेष के नाम पर पहले भी कट चुका है, हंगामा   


जस्टिस मारकंडेय काटजू ने 2015 में एक ट्विट कर कहा था, यूपी में पी.सी.एस. परीक्षा में चुने गये 86 में से 56 एस.डी.एम. जाति विशेष के हैं। आगे गीता के श्लोक को दर्ज करते हुए चुटकी ली थी, हे कृष्ण, हे यादव, हे सखे,, मैंने जाने, अनजाने जो गलत कहा, तो माफ कर देना…।