हर ओर मेजर अभिजीत के जज्‍बे की चर्चा

नई दिल्‍ली।

सुजवां अमल्ट्री स्टेशन पर फिदायिन हमले में घायल बहादुर मेजर अभिजीत को होश आ गया है। होश में आते ही देश के इस वीर सपूत ने सबसे पहले आतंकियों के बारे में पूछा। मेजर गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें तीन दिन तक बाहरी दुनिया का कुछ पता नहीं था। उनका इलाज उधमपुर के कमांड अस्पताल में चल रहा है।

हर ओर मेजर अभिजीत के जज्‍बे की चर्चा हो रही है। हो भी क्‍यों न, मेजर को जैसे ही होश आया, उनका पहला सवाल सुनकर सभी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया और लोग उनके मनोबल की सराहना करने से अपने को रोक नहीं सके।

मेजर जनरल नादीप नैथानी ने बताया, ‘मेजर अभिजीत का मनोबल बेहद ऊंचा है। सर्जरी के तुरंत बाद उन्‍होंने सबसे पहला सवाल यही पूछा कि हमला करने वाले आतंकवादियों का क्‍या हुआ? वह फील्‍ड में जाने के लिए बेहद उत्‍सुक हैं। अब उनकी हालत काफी ठीक है।’

मेजर अभिजीत से जब बात की गई, तो उन्‍होंने कहा, ‘मैं अब ठीक हूं और काफी अच्‍छा महसूस कर रहा हूं। मैं डॉक्‍टरों से बातचीत कर रहा हूं। उन्‍होंने मुझे बताया कि अगले कुछ दिनों में मैं बैठ और चल फिर सकता हूं। मुझे नहीं पता कि पिछले 3-4 दिनों में क्‍या हुआ है।’

बता दें कि जम्‍मू के सुंजवां आर्मी बेस पर हुए आतंकी हमले में घायल मेजर अभिजीत अब खतरे से बाहर हैं। आतंकी हमले में 6 जवान शहीद हो गए। हमले को अंजाम देने वाले सभी आतंकियों को सेना के जवानों ने ढेर कर दिया। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इस हमले का माकूल जवाब दिया जाएगा।

आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के इरादे से आए थे। लेकिन सेना के जवानों ने आतंकियों के इरादों को पूरा नहीं होने दिया।

जम्मू-कश्मीर में आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले पर एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और पीडीपी पर निशाना साधा है। ओवैसी ने कहा, ‘भाजपा और पीडीपी वाले दोनों बैठकर मलाई खा रहे हैं। कब तक ड्रामा करते रहेंगे ये लोग। ये आतंकी हमला दोनों पार्टियों की नाकामियों का नतीजा है। अब ये सोचना होगा कि इन आतंकी हमलों की जिम्‍मेदारी किसकी होगी।’

उन्‍होंने कहा कि 7 में से जो 5 लोग मारे गए, वो कश्‍मीरी मुसलमान थे। अब इस पर कुछ क्‍यों नहीं बोला जा रहा है। इससे सबक हासिल करना होगा उन लोगों को जो मुसलमानों की वफादारी पर शक करते हैं। वे लोग जो आज भी उन्‍हें पाकिस्‍तानी कर रहे हैं। हम तो जान दे रहे हैं।

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