गुलाम चिश्ती/सदन मोहन महाराज।

किसी भी सरकार के सौ दिन के कार्यकाल को मूल्यांकन का आधार नहीं माना जा सकता। बावजूद इसके सौ दिन के कार्यों को लेकर सोनोवाल सरकार खुद अपनी पीठ थपथपा रही है। वहीं विपक्ष का कहना है कि महज तीन महीनों में ही राज्य सरकार से लोगों का विश्वास टूट गया है। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी मानते हैं कि किसी भी सरकार के लिए सौ दिन काफी नहीं हैं मगर सोनोवाल सरकार का इतनी जल्द अलोकप्रिय हो जाना अच्छे संकेत नहीं हैं। गोगोई के नहले पर दहला मारते हुए राज्य के वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यटन मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा का कहना है कि सोनोवाल सरकार ने तीन महीने में जो काम किए हैं वह कोई भी पूर्ववर्ती सरकार तीन साल में नहीं कर पाई थी।

मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल कहते हैं, ‘उनकी सरकार विदेशी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और प्रदूषण जैसी समस्याओं के समाधान के प्रति कटिबद्ध है। इनके समाधान के प्रयास तेज कर दिए गए हैं ताकि राज्यवासियों की इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके। राज्य के लोग पूर्व की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार से तंग आ गए थे। लोगों का विश्वास शासन तंत्र से उठ गया था। ऐसे में भाजपा गठबंधन एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आया। भाजपा के चुनावी विजन डॉक्यूमेंट और राज्य सरकार के बजट में जो-जो वादे किए गए हैं उन्हें पांच सालों में पूरा कर लिया जाएगा। किसी भी सरकार के मूल्यांकन के लिए सौ दिन काफी नहीं होते। इस अवधि में परिवर्तन भले ही न आया हो मगर उसका खाका जरूर खींच दिया गया है।’

मुख्यमंत्री कहते हैं कि उनके कार्यों से प्रशासनिक तंत्र को सुधारने, उसे जवाबदेह बनाने और त्वरित कार्रवाई कर भुक्तभोगी को तत्काल राहत दिलाने में मदद मिली है जो गोगोई सरकार में पंगु थी। उस समय शासन नाम की कोई चीज नहीं थी। अपहरण और आतंक के शिकार लोगों को न्याय नहीं मिल पाता था। उन्होंने कहा,‘कोकराझाड़ के बालाजान बाजार और दुमदमा में घटी आतंकी घटनाओं के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और आतंकी को मार गिराया। पूर्ववर्ती सरकार में एनआरसी अद्यतन का काम सुस्त पड़ गया था मगर वर्तमान सरकार के आने के बाद वित्तीय समस्या दूर की गई और यह काम अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। हम असम को विदेशी मुक्त बनाने के प्रति कृत संकल्प हैं। इसलिए एनआरसी अद्यतन का कार्य 2017 तक पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही सीमा सील करने का काम भी जल्दी करना हमारी पहली प्राथमिकता है ताकि बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में आने से रोका जा सके।’

बताते चलें कि बीते दिनों सोनोवाल ने मानकाचार स्थित भारत-बांग्लादेश सीमा का दौरा कर यथास्थिति की समीक्षा की थी। साथ ही इस कार्य को जल्द पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई थी। सोनोवाल चाहते हैं कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी जम्मू व कश्मीर स्थित भारत-पाकिस्तान सीमा जैसे कटीले तार लगाए जाएं और यह काम केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी की देखरेख में होना चाहिए। चुनाव के मौके पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने बड़े नदी बांध का विरोध किया था मगर अब वे इससे पीछे हटते दिख रहे हैं। इस बारे में सोनोवाल का कहना है कि बड़े नदी बांध पर सरकार की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति की जो रिपोर्ट आएगी उस पर अमल किया जाएगा।

ग्रेटर नगालैंड पर केंद्र और एनएससीएन के बीच समझौते का जो मसौदा बना है उसमें असम, मणिपुर और अरुणाचल के नगा बहुल क्षेत्रों में सुप्रा स्टेट की तर्ज पर स्वायत्तता देने का प्रस्ताव है। ऐसे में असम सरकार के रुख के सवाल को टालते हुए सोनोवाल का कहना है कि वे राज्य के लोगों के हितों को प्राथमिकता देंगे। हालांकि स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से वे बचना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के लिए कारगर कदम उठाए हैं। पहली बार उनकी समस्याओं के समाधान के लिए मंत्री, विधायक और अधिकारी उनके पास गए और उनके लिए फौरी व त्वरित सुविधाएं उपलब्ध कराई गर्इं। मुख्यमंत्री का दावा है कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है। महज तीन महीनों में सात हजार टीईटी शिक्षकों की नौकरी स्थायी की जा चुकी है जबकि 11 हजार और शिक्षकों की नौकरी स्थायी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। दो अक्टूबर को नए कैंसर अस्पताल की शुरुआत हो जाएगी।

गुवाहाटी के एक शिक्षक रोबिन डेका का कहना है कि बेलगाम महंगाई के कारण भले ही सोनोवाल सरकार की आलोचना की जा रही हो मगर सरकार की नीयत पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। सरकार बनने के तुरंत बाद पहले कैबिनेट फैसले में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नौकरी के लिए साक्षात्कार समाप्त कर दिया गया। इसके माध्यम से इस श्रेणी की नौकरी में बड़े पैमाने पर घूसखोरी चलती थी। साथ ही चेक गेट को समाप्त कर वहां होने वाले लेनदेन पर अंकुश लगाया गया। मुख्यमंत्री ने आम लोगों की परेशानी कम करने के लिए अपनी सुरक्षा व्यवस्था में भी कटौती की है। व्यापारी रामशरण अग्रवाल का कहना है कि राज्य सरकार राज्य में वाणिज्य व व्यापार को बढ़ावा देने के प्रति कृतसंकल्प दिख रही है। इसलिए‘द असम इजी डूइंग बिजनेस’ विधेयक सदन में पेश किया गया है। साथ ही टैक्सों को जमा करने की प्रक्रिया को आॅनलाइन किया गया है। परिवहन व्यवस्था को सुधारने के लिए काम किए जा रहे हैं। अग्रवाल कहते हैं कि राज्य सरकार के प्रयास से ही 1400 करोड़ रुपये से अधिक की आॅयल रायल्टी राज्य को मिल पाई जो पूर्ववर्ती सरकार वसूलने में असफल रही थी। सीएम के समर्थक सुभाष राभा का कहना है कि सोनोवाल सरकार ने सौ दिन में हीपरिवर्तन का खाका खींच दिया है। इसके माध्यम से आने वाले समय में परिवर्तन दिखेगा और सरकार राज्यवासियों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी।

मगर असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवब्रत सैकिया सोनोवाल समर्थकों के तर्क से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है, ‘भाजपा गठबंधन ने चुनाव के मौके पर राज्यवासियों के सामने कई वादे किए थे मगर सरकार बनने के बाद वह उन वादों के विपरीत कार्य कर रही है। आम लोग सरकार के कार्यों से हताश और क्षुब्ध हैं।सोनोवाल और उनके सहयोगियों ने चुनाव के समय कहा था कि वह मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाएगी मगर रोजमर्रा के सामानों की कीमत बेतहाशा बढ़ रही है। एक प्रतिशत वैट बढ़ा देने से आवश्यक सामग्री की दर यकायक बढ़ गई है। सीमेंट की दरों में वृद्धि से राज्य का निर्माण कार्य बाधित हो रहा है। राज्य सरकार उन पर अंकुश लगाने में विफल है। राज्य व केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया है जबकि सरकार की ओर से बड़ी चतुराई से यह प्रचारित किया जा रहा कि इसे समाप्त नहीं किया गया है।’

सैकिया का कहना है, ‘इस वर्ष बाढ़ ने राज्य में भयंकर कहर बरपाया है। 30 लोगों की जान चली गई और 23 जिलों के 13 लाख लोगों का जनजीवन प्रभावित हुआ। दो लाख हेक्टेयर में लगी फसल पूरी तरह तबाह हो गई। जब भाजपा विपक्ष में थी तो वह बाढ़ की समस्या को राष्ट्रीय समस्या घोषित करने की मांग करती थी मगर वह इस वर्ष अपनी पार्टी की केंद्र सरकार से इसे राष्ट्रीय समस्या के रूप में मान्यता दिलाने में विफल रही। इतनी बड़ी बाढ़ आने के बाद भी प्रधानमंत्री ने यहां आना तक उचित नहीं समझा। न ही केंद्र ने किसी तरह के आर्थिक पैकेज की घोषणा की।’

सैकिया ने बांग्लादेश को भूमि हस्तांतरण, रोहा में एम्स की स्थापना, निजी कंपनियों को तेल क्षेत्र की नीलामी और एनआरसी अद्यतन मसले पर राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि इन मामलों में केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका राज्यवासियों के हित के विपरीत रही। कांग्रेस विदेशियों की समस्या का स्थायी समाधान चाहती है मगर केंद्र और राज्य सरकार ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है। उनके मुताबिक, विदेशी मुद्दे पर आईएमडीटी कानून रद्द करवाने में अहम भूमिका निभाकर सोनोवाल राज्यवासियों के बीच जातीय नायक बने थे मगर भाजपा इस मुद्दे को धर्म के नाम पर बांट रही है और सोनोवाल की खामोशी कई तरह की समस्या पैदा कर रही है। अल्पसंख्यक समाज के लोगों के मन में सरकार की नीति और मंशा को लेकर कई तरह की आशंका है।