देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रही है । जंगल में फैलती आग को काबू करने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर जुटे हुए हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राज्य पुलिस और वन विभाग की कई टीमें भी लगी हुई हैं। जंगलों में लगी आग से इलाके में वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल से फोन पर बात की और हर संभव मदद का भरोसा दिया। साथ ही हालात का जायजा लेने के लिए केंद्र सरकार की ओर से चार विशेषज्ञों की एक टीम उत्तराखंड भेजी गई है, जो एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
ग्लेशियर्स पर असर
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से हिमालय के ग्लेशियर्स पिघल सकते हैं। जंगलों में लगी आग से उठते धुएं में ब्लैक कार्बन नाम का एक केमिकल होता है, जो ग्लेशियर पर जम जाता है, जिससे ये जल्दी पिघल सकते हैं। आग से ओजोन लेयर पर सीधा असर पड़ रहा है।  नैनीताल के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ऑब्जर्वेशनल साइंसेस और अल्मोड़ा के गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एन्वायरन्मेंट एंड डेवलपमेंटने कहा कि धुएं और राख में मौजूद कार्बन ग्लेशियर्स को कवर कर चुका है।
किन ग्लेशियर्स पर असर
गंगोत्री, मिलाम, सुंदरदुंगा, नेवला और चीपा के ग्लेशियर्स पिघल सकते हैं। इस वजह से नॉर्थ इंडिया की कई नदियों पर भी असर पड़ सकता है।
हिमाचल के करीब एक दर्जन इलाकों में आग

उत्तराखंड के अलावा हिमाचल के करीब एक दर्जन इलाकों में जंगल की आग से नुकसान की खबर है। कसौली के एक स्कूल तक पहुंची आग को वक्त रहते बुझा दिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। जिस वक्त आग स्कूल तक पहुंची थी, उस दौरान स्कूल में करीब 600 बच्चे मौजूद थे। वहीं सोलन जिले की करीब आधा दर्जन जगहों पर आग से जान-माल का ख़तरा बना हुआ है। 12 जगहों पर बड़ी आग है और 90 जगहों पर छोटी आग है। सोलन के अलावा शिमला, सिरमौर, कुल्लू और कांगड़ा में भी जंगल की आग से काफ़ी नुकसान की ख़बर है। 3,000 दमकलकर्मी आग पर क़ाबू पाने में जुटे हैं। ख़तरनाक रास्तों की वजह से दमकलकर्मी प्रभावित इलाकों में नहीं पहुंच पा रहे हैं।

2 फरवरी को सामने आई थी पहली घटना
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक, गर्मी के दिनों में जंगल में आग लगना आम बात है। लेकिन इस बार यह बड़े स्केल पर देखी गई। आमतौर पर यहां के जंगलों में ‘फायर सीजन’ 15 फरवरी से शुरू होकर 15 जून तक चलता है। रिपोर्ट की मानें तो 2 फरवरी को जंगल में लगी आग से दो महिलाओं की मौत हो गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि जंगल में तभी से आग लगनी शुरू हुई।
इस बार इतनी क्यों भड़की आग?
 राज्य के 1900 एकड़ में आग सूखा मौसम, तेज गर्मी और तेज हवाओं के चलने की वजह से फैली। जानकारों के मुताबिक, गर्मी के दिनों में इन इलाकों में बारिश हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं। एडमिनिस्ट्रेशन ने भी आग की इन घटनाओं को सीरियसली नहीं लिया और धीरे-धीरे ये जंगलों में फैलती रही। इस वजह से पौड़ी, गढ़वाल, नैनीताल, पिथौड़ागढ़, बागेश्वर और चमौली में हालत बेहद खराब हैं। इन जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। चिंता की बात यह है कि अब यह आग हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक पहुंच गई है।