ओपिनियन पोस्‍ट।

16 अगस्‍त। शाम पांच बजकर पांच मिनट। एक दिन पहले स्‍वतंत्रता दिवस पर लाल किला परिसर को रौनक बख्‍शने वाली गहमागहमी जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान परिसर में आकर पसर गई थी। सत्‍ता और विपक्ष के दिग्‍गज नेता भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, कवि, चिंतक और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्‍वास्‍थ्‍य की कुशल क्षेम जानने के लिए जितना बेचैन रहे, उतनी ही बेचैनी जनता में भी व्‍याप्‍त रही।

न्‍यूज चैनलों पर जहां बुलेटिनों की भरमार रही वहीं पैनलिस्‍टों का दल भी आशंका में डूबा रहा। सोशल मीडिया भी इससे अछूता न रहा और वहां तरह-तरह की अफवाहों का दौर चला। अंतत: अटल जी के निधन की खबर जारी की गई तो लोग शोक में डूब गए। काल के कपाल पर लिखने मिटाने वाला भारतीय राजनीति का यह योद्धा 93 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद उसी काल के साथ एकाकार हो गया।

अस्‍पताल प्रशासन के अनुसार, पिछले 36 घंटों से उनकी हालत लगातार बिगड़ रही थी, जिसके कारण उन्‍हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्‍हें बचाया नहीं जा सका। उन्‍हें पिछेल 11 जून को एम्‍स में भर्ती किया गया था। उनका शव शुक्रवार को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के हेडक्वार्टर में श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा। उनकी अंतिम क्रिया विजयघाट पर शुक्रवार को शाम 5 बजे की जाएगी। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर 7 दिन के शोक की घोषणा की है।

उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया और कहा कि उनका मार्गदर्शन हर भारतीय को हमेशा मिलता रहेगा। टि्वटर पर लिखा- ‘‘मैं नि:शब्‍द हूं, शून्‍य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्‍वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्‍येक पल उन्‍होंने राष्‍ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।’’

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक ट्वीट के जरिये शोक संदेश में कहा, ‘‘भारतीय राजनीति की महान विभूति श्री अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान से मुझे गहरा दु:ख हुआ है। उनका विलक्षण नेतृत्‍व, दूरदर्शिता और अद्भुत भाषण शैली उन्‍हें एक विशाल व्‍यक्तित्‍व प्रदान करते थे। उनका विराट एवं स्‍नेहिल व्‍यक्तित्‍व हमारी स्‍मृतियों में बसा रहेगा।’’

इसके अलावा भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम दिग्‍गजों ने अटल जी के निधन पर शोक जताया है। आम जनता ने भी सोशल मीडिया के जरिये संवेदना व्‍यक्‍त की है।

अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भाजपा की स्थापना की थी और उसे सत्ता के शिखर पहुंचाया। भारतीय राजनीति में अटल-आडवाणी की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। अटल बिहारी देश के उन चुनिन्दा राजनेताओं में से एक थे, जिन्हें दूरदर्शी माना जाता था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में ऐसे कई फैसले लिए जिसने देश और उनके खुद के राजनीतिक छवि को काफी मजबूती दी।

उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ब्रह्ममूहुर्त में शिन्दे की छावनी वाले घर में हुआ था। वैसे उनके स्कूल के सर्टिफिकेट में जन्म की तिथि 25 दिसंबर 1926 लिखी है। यह दो वर्षों का अंतर उनके पिताजी ने इसलिए कराया था कि कम आयु लिखी जाएगी तो लड़का ज्यादा दिनों तक नौकरी कर सकेगा।