जम्मू में बच्ची से गैंग रेप मामले में पीड़िता पक्ष की वकील दीपिका सिंह राजावत आजकल नेशनल मीडिया से ही बात कर रही हैं। चुनिंदा लोगों के अलावा अगर उन्होंने किसी और का फोन उठा भी लिया तो बोल देंगी कि बिजी हूं। अगर उन्होंने मिलने का समय दे भी दिया तो उस समय पर मिलेंगी नहीं। हालांकि उनसे मुलाकात हो गई, लेकिन उनसे मिलकर ऐसा नहीं लगा कि वह पीड़िता पक्ष की वकील हैं जिसकी लड़ाई बच्ची को न्याय दिलाने के लिए है। ऐसा जरूर लगा कि एक दांव पेंच के खेल में वह भी एक ऐसी खिलाड़ी हैं जो निशाना सटीक बैठने पर ठहाके लगा सकती हैं। मुलाकात के दौरान ही उनके पास क्राइम ब्रांच की एक रिपोर्ट आ गई जिसे देख कर वह खुश हो गर्इं और कहने लगीं कि बाजी अब पलट गई है। जो कह रहे थे कि दुष्कर्म नहीं हुआ और इसी आशय की झूठी खबरें भी छपवा रहे थे, उन्हें अब सटीक जवाब दिया जाएगा।
बता दें कि बार काउंसिल आॅफ इंडिया के पूछताछ पैनल ने जम्मू बार एसोसिएशन के वकीलों को राहत देते हुए उनके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया है। जम्मू बार एसोसिएशन के वकीलों पर दीपिका सिंह राजावत को धमकाने के साथ-साथ पुलिस को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल न करने देने के लिए रोकने का भी आरोप लगा था। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि वकील पर हमला व उन्हें धमकाने के आरोप गलत हैं।
आखिर दीपिका ने हमारा फोन उठा ही लिया और मैंने उन्हें बताया कि मैं दिल्ली से हूं और कठुआ में बच्ची के साथ हुई गैंग रेप की घटना पर बातचीत करना चाहती हूं। उन्होंने चार बजे का समय दिया और जगह का नाम बताकर कहा कि किसी से पूछ लीजिएगा। मेरे घर का पता कोई भी बता देगा। उनके घर पहुंचने पर पता चला कि दीपिका घर में ही हैं और अपनी बेटी की ट्यूटर से बात कर रही हैं। उन्होंने अपनी बेटी को मुझसे मिलवाया और उससे पूछा कि बेटा बताओ आप क्या चाहते हो, उसने अपनी मम्मी की तरफ देखा तो दीपिका ने दोहराया जस्टिस फॉर आसिफा। फिर बच्ची ने कहा आसिफा। एक साल का बच्चा जिसे अभी ये नहीं पता कि न्याय क्या होता है, वो ये बातें दोहराए तो अजीब लगेगा ही।
हमने बात शुरू कि तो दीपिका का फोन बज उठा और वह किसी से बात करने लगीं। उनकी इस बातचीत के दौरान ही पता चल गया कि ‘द आजाद जम्मू एवं कश्मीर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उन्हें कोई अवार्ड दिया है। मेरे फोन में भी वट्स अप पर एक डाक्यूमेंट आया था जिसमें दीपिका को मिले अवार्ड की जानकारी थी। दीपिका ने कहा-‘द आजाद जम्मू एवं कश्मीर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने मुझे आॅनरेरी मेंबरशिप अवार्ड से नवाजा है। यह अमन का एक शुभ संकेत है। मुझे लग रहा है कि अब दोनों तरफ से अमन की बात होगी। वह किसी न किसी से बात करते हुए अवार्ड पर बात जरूर कर रही थीं।’ उनकी फोन कॉल्स के बीच मैंने पूछा कि आपके पास ये केस कैसे आया तो उन्होंने बताया- ‘मैं पीड़िता पक्ष के पास गई थी, ताकि उन्हें मदद दे सकूं। मैं एक एनजीओ भी चलाती हूं तो हमारा काम है अपनी सेवाएं उन लोगों को उपलब्ध कराना जिन्हें अपने हक के बारे में पता भी नहीं है। ये जो राष्ट्रवादियों की जमात है, उन्हें मैं सटीक जवाब दूंगी।’ मुझे लगा कि वह मुझसे ज्यादा बात नहीं करना चाहती हैं। मैंने पूछा कि आप पर पैसे लेने का भी आरोप है तो वह कहने लगीं- ‘आरोप लगाने वालों से कहो कि सबूत पेश करें।’