आरोप लगाने से कोई दोषी थोड़े ही हो जाता है

क्या कहना चाहेंगे बच्ची के साथ गैंग रेप मामले में?
मैं इस केस में शुरू से हूं, इसे हिंदुओं ने साजिश के तहत रचा है। ताकि बकरवाल समुदाय के लोगों को वहां से भगाया जा सके। हिंदू राजनेताओं ने, वकीलों ने पूरी कोशिश की थी कि मामला दब जाए लेकिन हम कोर्ट में गए ताकि कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच हो। हमने कोर्ट को बताया कि कौन इस मसले को प्रभावित कर सकता है और क्यों कर सकता है। ये लोग जो रैलियां निकाल रहे हैं, इनसे कोई पूछे कि क्या ये कोर्ट में गए तो इनका जवाब होगा- नहीं। उल्टा इन लोगों ने मामले में हो रही कार्रवाई में अड़चन पैदा करने की कोशिश की।

कहा जाता रहा है कि आपने पीड़िता के परिवार को कहा कि सीबीआई जांच की बात न करें?
ऐसा बिल्कुल नहीं है, वैसे भी सीबीआई की जांच क्यों होनी चाहिए। अगर क्राइम ब्रांच सही से काम कर रही है तो मामला सीबीआई के पास क्यों जाए। ये सब मामले को घुमाने के लिए किया जा रहा है। अगर बच्ची को इंसाफ के लिए ये लोग सच में खड़े होते तो लगाते कोर्ट के चक्कर। देते जांच में सहयोग, न कि कानून व्यवस्था से जुड़ने के बाद जांच में अड़चन पैदा करने की कोशिश करते। मामले को राजनीतिक रंग देकर ये लोग महज अपनी सियासत चमकाना चाहते हैं। जिस जगह पर ये मामला हुआ है वह हिंदू बहुल इलाका है। ये लोग दहशत पैदा करके बकरवाल लोगों को भगाना चाहते हैं। अगर ये लोग सच में चाहते तो कोर्ट में सीबीआई जांच के लिए अर्जी दाखिल करते। लेकिन ऐसा अभी तक किसी ने नहीं किया है।

नजाकत खटाना ने आरोप लगाए हैं कि आप ने मामले में पैसों की उगाही की है?
ये आरोप हैं। मैं आरोप लगाने वालों को चुनौती देता हूं कि वे इन आरोपों को सिद्ध करके दिखाएं। सबूत पेश करें, कोर्ट में अर्जी दें। देश में कानून है उसके तहत मुझ पर मुकदमा किया जाए ताकि मैं उसका जवाब वहां दे सकूं। आरोप लगाने से कोई दोषी थोड़े ही हो जाता है।

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