ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात की भोगनीपुर सीट से पहली बार बीजेपी के एमएलए बने विनोद कटियार पर आरोप है कि उन्होंने फ्लैट देने के नाम पर लोगों से पैसे वसूले लेकिन उन्हें फ्लैट नहीं दिए। करीब 200 लोगों ने आरोप लगाया है कि 2010 में उन्होंने नोएडा के सेक्टर 77 स्थित एवीएस आॅर्चर्ड प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराया था। यह प्रोजेक्ट एवीपी बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड का है। विनोद कटियार, उनके पिता नत्थू सिंह और प्रमिला सिंह इस कंपनी में उस समय बतौर निदेशक थे। प्रमिला सिंह अब निदेशक नहीं हैं। हालांकि इस प्रोजेक्ट में करीब 400 लोगों ने फ्लैट बुक करवाए हैं। विनोद कटियार ने फ्लैट बुक करवाने वाले लोगों से वादा किया था कि उन्हें फ्लैट बनवाकर 2013 तक दे दिया जाएगा लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

एवीएस आॅर्चर्ड प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराने वाले लोगों का कहना है कि बिल्डर ने जितना पैसा उनसे लिया है, उसकी एवज में प्रोजेक्ट में कुछ पैसा नहीं लगाया गया है। जमीन पर सिर्फ एक ढांचा खड़ा किया गया है। फ्लैट बुक कराने वाले अधिकतर लोग फ्लैट की कीमत का 70 फीसदी पैसा बिल्डर को दे चुके हैं। इस बिल्डर से परेशान लोगों को जब मामले का कोई समाधान नहीं दिखा तो उन्होंने नोएडा अथॉरिटी से इसकी शिकायत की मगर मामले की सुनवाई के दौरान विनोद कटियार अथॉरिटी में उपस्थित ही नहीं हुए।

रघुनंदन एवीएस आॅर्चर्ड प्रोजेक्ट में 90 फीसदी पैसा दे चुके हैं। ओपिनियन पोस्ट से बातचीत में रघुनंदन कहते हैं कि विनोद कटियार ने हमारा सारा पैसा चुनाव में लगाया है। पहले तो वह सिर्फ बिल्डर था लेकिन अब वह नेता बन गया है। इसलिए हमारे पैसे को खर्च करके भी आराम से बैठा है। हम अपनी शिकायत नोएडा अथॉरिटी के पास लेकर गए थे। नोएडा अथॉरिटी उसे डिफॉल्टर घोषित कर चुकी है। उसका कहना है कि उसके पास पैसा नहीं है। सवाल यह है कि जो पैसा हमने दिया वह कहां गया? उसने अगर वह पैसा फ्लैट बनाने में लगाया गया होता तो आज उस जमीन पर हमारे फ्लैट बने हुए मिलते।

सत्येंद्र गुप्ता ने एवीएस आॅर्चर्ड प्रोजेक्ट में 2010 में फ्लैट बुक करवाया था। गुप्ता कहते हैं, मैं फ्लैट के लिए 70 प्रतिशत राशि का भुगतान कर चुका हूं। 2017 तक फ्लैटों का कब्जा तो दूर फ्लैट बने भी नहीं हैं। यही नहीं बिल्डर ने हमारी सहमति के बिना फ्लैटों के क्षेत्रफल और दाम बढ़ा दिए हैं जिसकी हमें सूचना भी नहीं दी गई। बिल्डर ने बुकिंग की तारीख से बढ़े क्षेत्रफल की पूर्वव्यापी गणना के अनुसार बढ़ा हुआ शुल्क लगा दिया और उस पर भारी ब्याज भी जोड़ दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि फ्लैट की कीमत बुकिंग के समय की कीमत से कहीं ज्यादा हो गई है। अब पैसा भी जा चुका है और घर भी नहीं मिला।

ओपिनियन पोस्ट ने विनोद कटियार से फोन के जरिये संपर्क किया तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मैंने जब नोएडा अथॉरिटी से जमीन ली थी उस समय नोएडा अथॉरिटी ने यह नहीं बताया था कि जो वह विवादित जमीन है। वहां के किसानों का कहना था कि यह उनकी जमीन है। उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला है जिस कारण वे हमें उस जमीन पर काम करने नहीं देते थे। 2011 से काम करने में रुकावट आ रही थी। मामला सुलझ जाने के बाद 2014 के बाद काम में तेजी आई है। प्रोजेक्ट पूरा इसलिए नहीं पूरा हो पा रहा है क्योंकि उसके लिए पैसे की जरूरत है। लोगों ने अभी आधा पैसा ही दिया है। मैंने फ्लैट खरीदने वालों से कहा है कि वह पूरे पैसे का भुगतान कर दें ताकि जल्द से जल्द प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके। यह पूछने पर कि जो लोग पहले पैसा दे चुके हैं वे अब आपको किस विश्वास पर पैसा दे सकते हैं क्योंकि प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है के जवाब में कटियार कहते हैं कि मैंने लोगों से कहा है कि उन्हें अगर मुझ पर विश्वास नहीं है तो खुद एक कमेटी बनाकर उसके द्वारा मुझे पैसा दें ताकि मैं प्रोजेक्ट पूरा कर सकूं।

आमिर सैय्यद ने भी एवीएस आॅर्चर्ड में 2010 में फ्लैट बुक कराया था। वे फ्लैट की कीमत के 90 फीसदी हिस्से का भुगतान कर चुके हैं। आमिर कहते हैं कि 2013 के बाद से मामले को लेकर हम दर-दर घूम ही रहे हैं। पहले तो हमें उम्मीद थी कि यह प्रोजेक्ट पूरा होगा लेकिन अब तो कोई उम्मीद भी नजर नहीं आती है। अब हम इस प्रोजेक्ट की साइट पर जाते हैं तो लगता है कि जिस धीमी गति से वहां काम चल रहा उस हिसाब से तो प्रोजेक्ट अगले 4-5 साल में भी पूरा नहीं होगा। साइट पर जब भी जाओ कोई भी आधिकारिक व्यक्ति नहीं मिलता है। जो मिलते हैं वे कोई जवाब नहीं देते हैं। बुकिंग के सात साल बीत जाने के बाद भी यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है। हमने उपभोक्ता अदालत के अलावा पुलिस में भी विनोद कटियार के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। सवाल यह है कि क्या किसी आमजन का पैसा कोई बिल्डर या विधायक खा सकता है।