सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में 39 भारतीयों के मारे जाने की जानकारी देते हुए कहा कि हरजीत मसीह की कहानी सच्ची नहीं थी कि उनके सामने सभी भारतीय मार दिये गये। मेरे पास सबूत हैं। मैंने वीके सिंह (विदेश राज्य मंत्री) से कहा था कि वह मोसुल में कंपनी (जहां सभी काम करते थे) से बात करें। वीके सिंह ने मोसुल से यात्रा शुरू की। कंपनी और वीके सिंह की बात हुई। कंपनी ने बताया कि हमारे यहां 40 भारतीय काम करते थे। जिनमें बांग्लादेशी भी थे। जब आईएस ने मोसुल पर कब्जा करना शुरू किया तो कंपनी ने सभी से जाने के लिये कहा। उसके बाद इराक और अन्य देशों के नागरिक कंपनी छोड़कर चले गये। लेकिन भारतीय और बांग्लादेश के मजदूरों ने कंपनी नहीं छोड़ी।

हरजीत ने क्या कहा था भारत पहुंचने पर-

हरजीत मसीह ने कहानी गढ़ी कि सभी भारतीयों को उनके साथ ही जंगल ले जाया गया, सभी को गोली मारकर हत्या कर दी गई और मेरे पैर में गोली मारी गई। यह मनगढ़ंत कहानी थी। मसीह, अली बनकर इरबिल निकल गया था। आतंकी हर दिन सभी मजदूरों की गिनती करते थे। हरदीप के जाने के बाद 40 में से 39 बचे। आईएस ने सभी 39 भारतीयों को अलग शिफ्ट कर दिया। कंपनी के मालिक ने बताया कि उन्हें बदुश ले जाया गया। उसके बाद कंपनी को जानकारी नहीं मिली कि सभी भारतीय कहां हैं।

मसीह इराक से किसी तरह भाग कर भारत लौट आया था। उसने बताया था कि किस तरह आईएस के आतंकी 50 बांग्लादेशियों और 40 भारतीयों को उनकी कंपनी से बसों में भरकर किसी पहाड़ी पर ले गए थे और गोलियां बरसाई थीं।