आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। आप विधायकों ने याचिका दी थी कि जब दिल्ली हाईकोर्ट में संसदीय सचिव की नियुक्ति ही रद्द हो गई है, तो ऐसे में ये केस चुनाव आयोग में चलने का कोई मतलब नहीं बनता। चुनाव आयोग ने एक महीने पहले ही सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

ये मामला 13 मार्च, 2015 का है, जब आप ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। 19 जून 2015 को प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने राष्ट्रपति के पास आप के संसदीय सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन दिया था।

शिकायत में कहा गया था कि यह लाभ का पद है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। मई 2015 में चुनाव आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी। जनहित याचिका को आधार बनाकर चुनाव आयोग ने 21 विधायकों को मार्च 2016 में नोटिस देकर एक-एक करके बुलाने का फैसला लिया था।