सुप्रीम कोर्ट ने इतालवी नौसैनिक को स्वदेश लौटने की इजाजत दे दी है। भारत एवं इटली के बीच क्षेत्राधिकार के मामले पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसला लेने तक उसे अपने देश में रहने की अनुमति दी।
इटली की सरकार का कहना है कि उसके सैनिकों ने इरादतन हत्या नहीं की थी बल्कि नौसैनिक एक तेल टैंकर की सुरक्षा में तैनात थे और भारतीय मछुआरों को उन्होंने समुद्री डाकू समझ लिया था।
इटली इसके लिए यूएन की अदालत में भी चला गया था। इसी महीने की शुरुआत में यूएन की कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि भारत को जिरोने को रिहा करना चाहिए। जिरोने अब तक जमानत पर थे। वे पिछले चार साल से इटली के दूतावास में रह रहे हैं। द हेग में यूएन कोर्ट ने कहा कि जिरोने को घर लौटने देना चाहिए लेकिन उन्हें भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निश्चित की गईं जमानत की शर्तों का पालन करना होगा। बीते साल इस मामले में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी (ITLOS) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सारी कानूनी कार्रवाई को स्थगित कर दिया था।
इटली का कहना है कि घटना के वक्त उसके सैनिक यूएन के समुद्री डकैतों के खिलाफ चलाए गए मिशन पर थे और जब उन्होंने मछुआरों पर गोली चलाई तब वे भारतीय सीमा में नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे। इसलिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। भारत इस रुख का विरोध करता रहा है।