मंगलवार को सरकारी बैंकों की हड़ताल रहेगी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू ) की तरफ से कहा गया है कि उनकी सरकार के साथ बातचीत विफल हो गई है और अब हड़ताल के अलावा उनके पास कोई और रास्ता नहीं है।

यूएफबीयू, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक इम्‍प्‍लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्लू) समेत नौ यूनियनों का संगठन है।

एआईबीओसी के महासचिव डी टी फ्रैंको ने मीडिया में दिये अपने बयान में कहा कि मुख्य श्रम आयुक्त के साथ बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार और बैंकों के मैनेजमेंट की ओर से भी कोई आश्वासन नहीं मिला है। ऐसे में अब यूएफबीयू ने 22 अगस्त को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।

यूएफबीयू का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख है। बैंकिंग क्षेत्र के कुल कारोबार का 75 प्रतिशत 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हिस्से आता है।

ICICI, HDFC, AXIS और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे प्राइवेट बैंकों में काम सामान्य रहने की उम्मीद है। लेकिन चेक क्लीयरेंस में देरी हो सकती है।

यूनियनों की मांग है कि कंसोलिडेशन न किया जाए, कॉरपोरेट लोन के एनपीए के लिए नो राइट-ऑफ पॉलिसी, विलफुल डिफॉल्‍ट को क्रिमिनल ऑफेन्‍स घोषित किया जाना और एनपीए की रिकवरी को लेकर संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए।