नई दिल्‍ली। सिंगुर में टाटा मोटर्स के नैनो प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत जमीन को गैर कानूनी बताते हुए जो सियासी लड़ाई तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने छेड़ी थी उसे आज कानूनी सहारा भी मिल गया। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए अधिग्रहीत की गई करीब 1,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण रद्द कर 12 हफ्ते के भीतर जमीन किसानों को लौटाने का आदेश पश्चिम बंगाल सरकार को दिया है। साथ ही कहा है कि किसानों को जमीन के बदले मिला मुआवजा भी लौटाने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे दस साल तक अपने जमीन से वंचित रहे। उन्हें अपनी रोजी रोटी का जरिया गंवाना पड़ा। हाई कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण को सही ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला टाटा के साथ-साथ वाममोर्चा के लिए भी जोरदार झटका है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन बुद्धदेब भट्टाचार्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया। यह अधिग्रहण वर्ष 2006 में वाम सरकार के कार्यकाल के दौरान किया गया था। कोर्ट ने कहा कि निजी कंपनी के लिए जमीन अधिग्रहण करना जनहित का फैसला नहीं होता। राज्य सरकार ने इस मामले में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 का पूरी तरह पालन नहीं किया। जमीन अधिग्रहण कलेक्टर ने भूखंडों के अधिग्रहण के संबंध में किसानों की शिकायत की ठीक से जांच नहीं की।इसलिए यह अधिग्रहण पूरी तरह गैरकानूनी है। राज्य सरकार ने उस वक्त विरोध कर रहे किसानों की बात तक नहीं सुनी और उन्हें अधिग्रहण के लिए सही मुआवजा भी नहीं दिया गया।

इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने सरकार के अधिग्रहण को सही ठहराया था जिसके खिलाफ किसानों की ओर से गैर सरकारी संगठनों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वाम सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि लगता है सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए जिस तरह जमीन का अधिग्रहण किया, वह तमाशा और नियम-कानून को ताक पर रखकर जल्दबाजी में लिया गया फैसला था। सरकार ने यह तय कर लिया था कि इसी प्रोजेक्ट को जमीन देनी है। टाटा समूह ने इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग की थी।

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘हमने इस फैसले का दस साल इंतजार किया। ये किसानों की जीत है।’ मालूम हो कि सिंगुर को ही मुद्दा बनाकर ममता बनर्जी ने वाममोर्चा की 30 साल पुरानी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था। ममता के विरोध के चलते ही टाटा मोटर्स को नैनो प्लांट यहां से हटाकर गुजरात के साणंद ले जाना पड़ा था। सत्ता में आने के बाद ममता सरकार ने किसानों की जमीन वापसी की प्रक्रिया शुरू की थी जिसे टाटा मोटर्स ने कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।